Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

चटपटी बाल कविता : पूंछ मूंछ से बोली

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
बहुत दिनों के बाद ठसक कर,
पूंछ मूंछ से बोली।
शर्म नहीं आती करते हो,
मुझसे रोज ठिठोली।
 
मुंह को पीछे मोड़-मोड़कर,
मूंछें दिखलाते हो।
मैं हूं कोमल पूंछ,
मूंछ क्यों मुझसे टकराते हो।
 
मेरी सुंदर कोमल काया,
इन्हें नहीं सह पाती।
मूंछ तुम्हारी बहुत नुकीली,
कांटे सी चुभ जाती।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)

ALSO READ: बच्चों की मजेदार कविता : मुझे कहानी पढ़ना है

ALSO READ: फनी कविता : सबसे छोटा होना

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

जरुर पढ़ें

इस Festive Season, इन DIY Ubtans के साथ घर पर आसानी से बनाएं अपनी स्किन को खूबसूरत

दिवाली पर कम मेहनत में चमकाएं काले पड़ चुके तांबे के बर्तन, आजमाएं ये 5 आसान ट्रिक्स

दिवाली पर खिड़की-दरवाजों को चमकाकर नए जैसा बना देंगे ये जबरदस्त Cleaning Hacks

जानिए सोने में निवेश के क्या हैं फायदे, दिवाली पर अच्छे इन्वेस्टमेंट के साथ और भी हैं कारण

दीपावली की तैयारियों के साथ घर और ऑफिस भी होगा आसानी से मैनेज, अपनाएं ये हेक्स

सभी देखें

नवीनतम

दीपावली पर कैसे पाएं परफेक्ट हेयरस्टाइल? जानें आसान और स्टाइलिश हेयर टिप्स

Diwali Skincare : त्योहार के दौरान कैसे रखें अपनी त्वचा का ख्याल

Diwali 2024 : कम समय में खूबसूरत और क्रिएटिव रंगोली बनाने के लिए फॉलो करें ये शानदार हैक्स

धनतेरस पर कैसे पाएं ट्रेडिशनल और स्टाइलिश लुक? जानें महिलाओं के लिए खास फैशन टिप्स

पपीते का ये हिस्सा जिसे बेकार समझकर फेंक देते हैं, फायदे जानकर आज से ही करने लगेंगे स्टोर

આગળનો લેખ
Show comments