Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

जैन धर्म में चातुर्मास का महत्व, जानिए 5 खास बातें

अनिरुद्ध जोशी
चातुर्मास का हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्म में खासा महत्व है। तीनों ही धर्म के संत इसका कड़ाई से पालन करते हैं। हिन्दू धर्म के सभी बड़े त्यौहार इन्ही चौमासा के भीतर आते हैं. सभी अपनी मान्यतानुसार इन त्यौहारों को मनाते हैं एवं धार्मिक अनुष्ठान भी करते हैं। वैसे जैन धर्म में चातुर्मास के कई नियम और उपदेश हैं परंतु यहां प्रस्तुत है सामान्य महत्व की 5 बातें।
 
ALSO READ: Chaturmas 2021: चातुर्मास में क्या करें और क्या नहीं, 20 काम की बातें
जैन धर्म का चातुर्मास:
1. चातुर्मास में सभी जैन संत अपनी यात्रा रोक देते हैं और मंदिर, आश्रम या संत निवास पर ही रहकर यम और नियम का पालन करते हैं। जैध धर्म के अनुसार यह चार माह व्रत, साधना और तप के रहते हैं। इस दौरान सख्‍त नियमों का पालन करना चाहिए।
 
2. जैन धर्म के अनुयायी इन चार माह में मंदिर जाकर धार्मिक अनुष्ठान, पूजा आदि करते हैं या सभी जैन धर्मी गुरुवरों एवं आचार्यों द्वारा सत्संग का लाभ प्राप्त करते हैं। संतों द्वारा मनुष्यों को सद्मार्ग दिखाया जाता हैं। यह हर तरह की जिज्ञासा और इच्छाओं को शांत करने के माह होते हैं और यही वह चार माह है जबकि धर्म को साधा या जाना जा सकता है।
 
ALSO READ: चातुर्मास कब से लग रहा है, जानिए 6 खास बातें
3. जैन धर्म में आमजनों को इन चार माह में संयमपूर्वक करने का उपदेश है। उक्त चार माह में किसी भी प्रकार से क्रोध नहीं करते हैं और संयम का पालन करते हैं। इन 4 महीनों में व्यर्थ वार्तालाप, अनर्गल बातें, गुस्सा, ईर्ष्या, अभिमान जैसे भावनात्मक विकारों से बचने की कोशिश की जाती है।
 
4. चातुर्मास में सभी भौतिक सुख-सविधाओं का त्याग कर के संयमित जीवन बीताया जाता है। पंखा, कूलर और अन्य सुख-सुविधाओं के साधनों के साथ ही टीवी और मनोरंजन की चीजों से दूरी बना ली जाती है। इन 4 महीनों में सफाई और जीव हत्या से बचते हुए सिर्फ घर पर बना भोजन ही किया जाता है।
 
 
5. चातुर्मास में ही जैन धर्म का सबसे प्रमुख पर्व पर्युषण पर्व मनाया जाता है। यदि वर्षभर जो विशेष परंपरा, व्रत आदि का पालन नहीं कर पाते वे इन 8 दिनों के पर्युषण पर्व में रात्रि भोजन का त्याग, ब्रह्मचर्य, स्वाध्याय, जप-तप मांगलिक प्रवचनों का लाभ तथा साधु-संतों की सेवा में संलिप्त रह कर जीवन सफल करने की मंगलकामना कर सकते हैं। चातुर्मास में महापर्व सम्वत्सरी भी आता है। यह चार माह व्यक्ति और समाज को एक सूत्र में पिरोने का भागीरथ प्रयास भी है।

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Dhanteras 2024: अकाल मृत्यु से बचने के लिए धनतेरस पर कितने, कहां और किस दिशा में जलाएं दीपक?

क्या है मुंबई स्थित महालक्ष्मी मंदिर का रहस्यमयी इतिहास,समुद्र से निकली थी यहां माता की मूर्ति

धनतेरस सजावट : ऐसे करें घर को इन खूबसूरत चीजों से डेकोरेट, आयेगी फेस्टिवल वाली फीलिंग

दिवाली पर मां लक्ष्मी को बुलाने के लिए करें ये 5 उपाय, पूरे साल रहेगी माता लक्ष्मी की कृपा

दिवाली से पहले घर से हटा दें ये पांच चीजें, तभी होगा मां लक्ष्मी का आगमन

सभी देखें

धर्म संसार

Diwali Muhurat : 29 अक्टूबर धनतेरस से लेकर 03 नवंबर 2024 भाईदूज तक के शुभ मुहूर्त

Dhanteras 2024 Date: धनतेरस पर करें नरक से बचने के अचूक उपाय

Diwali 2024 : दीपावली के लिए परफेक्ट मैनीक्योर टिप्स, घर बैठे पाएं पार्लर जैसा निखार

भारत की इन जगहों पर नहीं मनाई जाती दिवाली, जानिए इसके पीछे की दिलचस्प वजह

Diwali 2024 Outfit Tips : दीपावली पर सूट को करें यूं स्टाइल, हर कोई करेगा आपकी तारीफ

આગળનો લેખ
Show comments