Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

रूस के हाइब्रिड वारफेयर से बिना गोली चलाए घुटने टेकने के लिए मजबूर होता यूक्रेन

रूस के हाइब्रिड वारफेयर से बिना गोली चलाए घुटने टेकने के लिए मजबूर होता यूक्रेन
, गुरुवार, 17 फ़रवरी 2022 (15:35 IST)
यूक्रेन और रूस के बीच चल रही तनातनी और युद्ध के खतरों के बीच रूस ने मंगलवार को एलान किया कि वो यूक्रेन की सीमा से अपनी कुछ टुकड़ियों को हटा रहा है जिसके बाद दुनिया में थोड़ी राहत महसूस की गई।
 
लेकिन इसके बाद हुए एक अहम घटनाक्रम में रूसी संसद ने वोटिंग कर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन के दो गणराज्यों लुहानस्क और दोनेत्स्क की आज़ादी को मान्यता देने की अनुमति दे दी। इन दोनों गणराज्यों ने खुद को यूक्रेन से स्वतंत्र घोषित कर दिया था और यदि रूस यूक्रेन से अलग हुए इन दोनों गणराज्यों को मान्यता दे देता है तो यह शांति समझौतों का उल्लंघन माना जाएगा।
 
रूस का कहना है कि उसने सेना की कुछ टुकड़ियों को यूक्रेन की सीमा से वापस बुला लिया है। लेकिन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने यूक्रेन पर इमरजेंसी कोबरा मीटिंग के बाद कहा कि यूक्रेन के नजदीक रूस फील्ड अस्पताल बना रहा है। इसके साथ ही अतिरिक्त बटालियनों को सीमा के और नजदीक लाया जा रहा है जिसे हमले की तैयारी ही माना जा सकता है। उन्होंने साफ तौर पर आशंका जताई कि रूस बड़ी तैयारियों में लगा है और किसी भी वक्त हमला कर सकता है।
क्यों है तनाव: वैसे तो रूस के यूक्रेन से सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्ते रहे हैं लेकिन रूस नहीं चाहता है कि यूक्रेन नाटो में शामिल हो लेकिन पश्चिमी देशों का सैन्य गठबंधन नेटो यह गारंटी देने के लिए तैयार नहीं है कि वह यूक्रेन को नाटो में शामिल नहीं करेगा। सोवियत संघ के बिखरने के बाद अब पुतिन एक बार फिर से रूस का पुराना गौरव पाने के लिए प्रयासरत हैं। 
 
हालांकि यूक्रेन से आ रही जानकारी के अनुसार रूस बिना कोई गोली चलाए यूक्रेन को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर रहा है। हाल ही में हुए सायबर अटैक में यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय और कई बैंकों की वेबसाइट्स ठप हो गई हैं। यूक्रेन का मानना है कि इसके पीछे रूस का ही हाथ है। इसकी वजह यह है कि 2014 में भी उसने ऐसा ही किया था। 
 
यूक्रेन के लोगों का कहना है कि रूस की ओर से उन पर हमला शुरू हो चुका है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेनी अधिकारियों का कहना है कि एक तरफ रूस ने तीन तरफ से सैनिकों को तैनात कर रखा है तो वहीं दूसरी ओर उसे अस्थिर करने की कोशिश में जुटा है। 
 
साइबर अटैक, आर्थिक उथलपुथल और हमलों की धमकियों के जरिए रूस की ओर से यूक्रेन को अस्थिर करने की कोशिशें की जा रही हैं। इन सब से यूक्रेन के लोगों में दहशत का माहौल है और इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। 
 
रक्षा मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि रूस ने यूक्रेन के खिलाफ हाइब्रिड वारफेयर छेड़ रखा है ताकि बिना एक गोली चलाए ही जंग जीत सके। अमेरिका और ब्रिटेन का तो यह भी कहना है कि रूस यूक्रेन में तख्तापलट की भी कोशिश कर रहा है ताकि अपनी कठपुतली सरकार बना सके। 
 
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेन्स्की के सुरक्षा सलाहकार ओलेक्सी डानिलोव ने कहा कि रूस का पहला टास्क यह है कि हमें अंदर से ही कमजोर किया जाए। रूस अलग-अलग रणनीति अपनाता रहा है ताकि यूक्रेन को कमजोर किया जा सके। दरअसल रूस ने 2014 में क्रीमिया समेत यूक्रेन के एक हिस्से पर कब्जा जमा लिया था। 
 
उन्होंने आरोप लगाया है कि पूर्वी यूक्रेन में रूस ने अलगाववाद को हवा देने के प्रयास लगातार किए हैं। रूस के समर्थन से ये अलगाववादी लगातार यूक्रेन की सेना पर अटैक करते रहे हैं। ग्लोबल अफेयर्स के जानकारों का मानना है कि इस अशांति की आड़ में रूस की सेना यूक्रेन में घुस सकती है। ऐसे ही उसने 2008 में जॉर्जिया में किया था।
 
अर्थव्यवस्था पर चोट: यूक्रेन पूर्वी यूरोप के गरीब देशों में से एक है, जिसकी इकॉनमी काफी कमजोर है। रूस की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है कि क्षेत्र में तनाव बनाए रखा जाए ताकि दूसरे देशों के निवेशक वहां से निकलने लगें और यूक्रेन की इकॉनमी ही ठप हो जाए।
 
इसका बड़ा कारण है कि यूक्रेन ने अपने कारोबार को रूस की बजाय यूरोप के साथ बढ़ा लिया है। रूस ने हाल ही में ब्लैक सी पर सैन्य अभ्यास किया था। रूसी नौसेना के बेड़े यहां तैनात होने के चलते यूक्रेन के बंदरगाहों पर व्यापारी जहाजों की आवाजाही प्रभावित होती है। यह भी यूक्रेन की इकॉनमी को कमजोर करने और उसे घेरने की एक रणनीति है। यूक्रेन के विदेश मंत्रालय ने इसे रूस का हाइब्रिड वारफेयर करार दिया है।
 
क्या है हाइब्रिड वारफेयर की रणनीति : हाइब्रिड वारफेयर का अर्थ मिक्स्ड ऑफ वारफेयर से है, जिसमें किसी भी दुश्मन के खिलाफ सुनियोजित तरीके से कई रणनीतियों को आजमाया जाता है। दूसरे देश की राजनीतिक, आर्थिक स्थिरता को कमजोर करना। सामाजिक अशांति उपद्रव कराने जैसी रणनीतियों को इसमें शामिल किया जाता है। 
 
किसी भी दुश्मन देश में आंतरिक उपद्रव, अलगाववाद फैला कर, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों जैसे शेयर मार्केट, ऑइल टर्मिनल, बैकिंग, इलेक्ट्रिक ग्रिड पर साइबर अटैक, अर्थव्यवस्था पर संकट खड़ा करने जैसी रणनीतियों को हाइब्रिड वारफेयर में शामिल किया जा सकता है। 
 
उल्लेखनीय है कि पहली बार फ्रैंक जी हॉफमैन ने हाइब्रिड वारफेयर टर्म का इस्तेमाल अपने एक रिसर्च पेपर में किया था। 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

NSE के कामकाज पर चुप क्यों हैं प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री: कांग्रेस