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फर्जी खबरों से निपटने के वास्ते पत्रकारों के लिए नए मानक

फर्जी खबरों से निपटने के वास्ते पत्रकारों के लिए नए मानक
, मंगलवार, 3 अप्रैल 2018 (23:27 IST)
पेरिस। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) और अग्रणी प्रसारकों ने फर्जी खबरों (फेक न्यूज) के खिलाफ आज से एक अभियान की शुरुआत की जिसमें पत्रकारों के लिए विश्वास एवं पारदर्शिता के नए मानक शामिल हैं। द जर्नलिज्म ट्रस्ट इनिशिएटिव (जेटीआई) को एजेंसी- फ्रांस प्रेस, द यूरोपियन ब्रॉडकास्टिंग यूनियन (ईबीयू) और ग्लोबल एडिटर्स नेटवर्क का समर्थन हासिल है।


इसे आचार और स्वतंत्रता के उच्च मानकों के साथ प्रतिष्ठानों और समाचार स्रोतों को प्रमाणित करने में सफल होने की उम्मीद है। आरएसएफ प्रमुख क्रिस्टोफ डेलोइर ने कहा कि विचार यह है कि सर्च इंजन और सोशल मीडिया मंच अपने यहां उन मीडिया प्रतिष्ठानों को वरीयता देंगे जो मानकों का पालन करते हैं।

उन्हें उम्मीद है कि इससे दुनिया में फर्जी खबरों की बढ़ती समस्या के दौर में एक 'विश्वसनीय मीडिया नाम' स्थापित करने में मदद मिलेगी। विश्व के शीर्ष सार्वजनिक प्रसारकों के संगठन ईबीयू के साथ अभियान का उद्देश्य व्यक्तिगत ब्लॉगरों से लेकर बड़े अंतरराष्ट्रीय समूहों तक नए मानक तय करने का है।

डेलोइर ने कहा, नए सार्वजनिक मंच जहां गलत सूचना असली खबर के मुकाबले अधिक तेजी से प्रसारित होती है, वहां पत्रकारों के बचाव के लिए जरूरी है कि जो विश्वसनीय खबर और सूचना उत्पन्न करते हैं, चाहे उनका दर्जा कुछ भी हो, उन सभी को असल लाभ प्रदान करते हुए रुझान को बदलने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, हमने खबर और सूचना के विश्लेषण के आधार पर एक स्व नियमन तंत्र बनाया है, जो आचार संबंधी चिंताओं को आर्थिक चिंताओं के साथ जोड़ना संभव बनाता है। डेलोइर ने कहा, हमारा मानना है कि हमारी पहल व्यापक बहुवाद और स्वतंत्रता की गारंटी देते हुए सार्वजनिक चर्चा में ईमानदारी को प्रोत्साहित करने में मदद करेगी।

उन्होंने कहा कि 'व्हाइट लिस्टेड' प्रतिष्ठान ऑनलाइन न सिर्फ ज्यादा दिखेंगे, बल्कि उन्हें अधिक विज्ञापन राजस्व मिलने की भी संभावना होगी। डेलोइर ने कहा कि यह प्रणाली मीडिया के लिए सार्वजनिक फंडिंग में भी मदद करेगी।

यह कदम ऐसे समय आया है जब समूचे महाद्वीप में चुनावों में रूस द्वारा हस्तक्षेप किए जाने के मद्देनजर ऑनलाइन फर्जी खबरों से निपटने के लिए ब्रसेल्स एक व्यापक यूरोपीय योजना पर काम कर रहा है। जर्मनी पहले ही एक कानून पारित कर चुका है जिसमें सोशल नेटवर्कों से कहा गया है कि यदि वे फर्जी खबरों और घृणित पोस्ट तत्काल नहीं हटाते हैं तो उन पर पांच करोड़ यूरो तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

फ्रांस भी चुनावों के दौरान इस तरह की सामग्री के प्रचार-प्रसार को रोकने के लिए कानून पर काम कर रहा है। एएफपी की वैश्विक समाचार निदेशक मिशेल लेरिडोन ने कहा, सटीक, निष्पक्ष और विश्वसनीय समाचार उपलब्ध कराने के लिए गलत सूचना और फर्जी खबर के प्रसार के खिलाफ लड़ाई हमारे मिशन में बहुत गहरे तक जाती है...। एजेंसी फर्जी खबरों से निपटने के लिए कई परियोजनाओं में साझेदार है और गलत सूचना के मुद्दे पर काम कर रहे विशेषज्ञों के यूरोपीय समूह की सदस्य है। (भाषा)

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