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क्या 2019 लोकसभा चुनाव में संयुक्त विपक्ष बनेगा भाजपा की राह का रोड़ा, उपचुनाव नतीजे तो यही कह रहे हैं....

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गुरुवार, 31 मई 2018 (17:03 IST)
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद 4 लोकसभा और 10 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे न सिर्फ भाजपा के लिए खतरे की घंटी बजा रहे हैं बल्कि इन नतीजों से विपक्षी दलों को साफ संकेत मिल रहे हैं कि 'सर्वशक्तिशाली' मोदी और भाजपा से पार कैसे पाया जा सकता है।
 
संयुक्त विपक्ष की ताकत का मुजाहिरा बिहार विधानसभा चुनाव में ही दिख गया था। जेडीयू-आरजेडी-कांग्रेस के गठजोड़ के आगे मोदी-शाह की जोड़ी भी बिहार नहीं जीत पाई थी, हालांकि बाद में नीतीश कुमार के पाला बदलने पर इस गठबंधन का स्वरूप अब बदल चुका है। पर इससे संयुक्त विपक्ष की ताकत का अंदाजा हो गया था। 
 
कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीयू की सरकार ने एक बार फिर से सत्ता के खेल में भाजपा को मात दी और वो भी तब जब भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। दक्षिण भारत में सरकार बनाने की मंशा फिलहाल भाजपा के लिए थोड़ी मुश्किल है, लेकिन गठजोड़ में माहिर अमित शाह की अगली चाल का इंतजार करना होगा।  
 
फिलहाल लोकसभा की चार सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा ने कैराना और भंडारा-गोंदिया सीटें गंवा दी हैं। कैराना सीट तो भाजपा उम्मीदवार मृगांका सिंह करीब 55000 के बड़े अंतर से हार गईं। आरएलडी के बैनर पर संयुक्त विपक्ष की उम्मीदवार तबस्सुम हसन ने यहां बाजी मार ली।  
 
हालांकि पालघर लोकसभा उपचुनाव में भाजपा को अपनी ही पूर्व सहयोगी शिवसेना को हराने के लिए कड़ा मुकाबला करना पड़ा। पलूस काडेगांव विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को निर्विरोध जीत मिली है। 
 
उत्तराखंड में थराली विधानसभा सीट पर उपचुनाव में भाजपा अपनी सीट बचाए रखने में सफल हुई। पश्चिम बंगाल में महेशतला विधानसभा सीट से तृणमूल ने 60 हजार से भी ज्यादा अंतर से जीत दर्ज की है। इस चुनाव में भाजपा दूसरे स्थान पर रही है जो पार्टी के लिए संतोषजनक है।
 
इसी तरह झारखंड में जेएमएम को दोहरी सफलता मिली है। राज्य की गोमिया और सिल्ली विधानसभा सीट पर जेएमएम उम्मीदवारों ने एनडीए समर्थित आजसू और भाजपा उम्मीदवारों को हराया। पंजाब में कांग्रेस ने अकाली दल से शाहकोट सीट छीनकर एनडीए को करारा झटका दिया है। शाहकोट सीट पर 38 हजार वोटों से कांग्रेस ने जीत दर्ज की है।
 
वहीं मेघालय की अंपाती सीट पर कांग्रेस सत्तारूढ़ मेघालय डेमोक्रेटिक गठबंधन के क्लेमेंट जी मोमिन को 3191 वोटों से हराकर सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है। केरल चेंगन्नूर विधानसभा उपचुनाव में भी सीपीएम उम्मीदवार ने 20956 वोटों से जीत दर्ज की है। 
 
कुल मिलाकर गोरखपुर, फूलपुर के बाद कैराना ऐसा तीसरा लोकसभा उपचुनाव है, जहां संयुक्त विपक्ष के आगे भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। यदि विपक्ष ऐसे ही एकजुट रहा और मोदी सरकार किसी भ्रम में रही तो 2019 के आम चुनावों में भाजपा की राह कठिन होगी। 

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