indore : इंदौर नगर निगम के एक भवन निरीक्षक की वर्ष 2019 में क्रिकेट के बल्ले से पिटाई के मामले में अभियोजन को सोमवार को तगड़ा झटका लगा, जब भाजपा के पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय समेत 10 लोगों को विशेष न्यायालय ने आरोपों से बरी कर दिया।
विधायकों और सांसदों से जुड़े मुकदमे सुनने वाली अदालत के पीठासीन अधिकारी (न्यायाधीश) देव कुमार ने विजयवर्गीय और 9 अन्य लोगों को आरोपों से मुक्त किया। बचाव पक्ष के वकील उदयप्रताप सिंह कुशवाह ने बताया कि अभियोजन इस मामले में अदालत में आरोप साबित नहीं कर सका। इस कारण अदालत ने विजयवर्गीय और नौ अन्य लोगों को बरी कर दिया, जबकि मामले के एक अन्य आरोपी की हत्या हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि घटना के कथित वीडियो की प्रामाणिकता विशेष न्यायालय में साबित नहीं हो सकी और नगर निगम के शिकायतकर्ता अधिकारी धीरेंद्र सिंह बायस और अन्य गवाहों ने अभियोजन की कहानी का अदालत में स्पष्ट रूप से समर्थन नहीं किया। आकाश विजयवर्गीय, राज्य के काबीना मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के बेटे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि तत्कालीन भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय और 10 अन्य लोगों के खिलाफ 26 जून 2019 को नगर निगम के भवन निरीक्षक बायस को क्रिकेट के बल्ले से पीटने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था।
यह प्राथमिकी भारतीय दंड विधान की धारा 353 (लोक सेवक को भयभीत कर उसे उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिये उस पर हमला), 294 (गाली-गलौज), 323 (मारपीट), 506 (धमकाना), 147 (बलवा) और 148 (घातक हथियारों से लैस होकर बलवा) के तहत दर्ज की गई थी।
घटना के वक्त आकाश विजयवर्गीय शहर के गंजी कम्पाउंड क्षेत्र के एक जर्जर मकान को ढहाने की मुहिम का विरोध कर रहे थे। राज्य में कमलनाथ की अगुवाई वाली पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुई इस घटना का कथित वीडियो सोशल मीडिया पर फैल गया था और इसके बाद तत्कालीन भाजपा विधायक को गिरफ्तार किया गया था। बाद में उन्हें इस मामले में जमानत मिल गई थी।
Edited by : Nrapendra Gupta