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Hira mandi: भारत की 7 मशहूर तवायफें, इतिहास में जिनका नाम लिया जाता है इज्जत से

WD Feature Desk
मंगलवार, 7 मई 2024 (13:09 IST)
Tawaif: भारत में प्राचीन काल से ही नाच गान करके रुपया कमाने वाले लोगों का एक समूह रहा है। इसके अलावा कुछ मशहूर महल या कोठे भी हुए हैं। यदि हम प्राचीन भारत की बात करें तो पहले नगरवधू हुआ करती थीं। मध्य काल में ऐसी महिलाओं को मुस्लिम प्रभाव के चलते तवायफ कहा जाने लगा। संजय लीला भंसाली की फिल्म सीरीज हीरामंडी तवायफों पर बनी एक फिल्म है जो इस समय चर्चा में है। 
 
नगरवधू : नगरवधू का अर्थ होता है संपूर्ण नगरवासियों की पत्नी। नगर के प्रतिष्ठित लोगों द्वारा चुनी गई वह सुन्दर स्त्री जो नाच-गाने द्वारा लोगों का मन बहलाया करती थी। इसका मुख्य काम राजाओं, मंत्रियों और बड़े लोगों को खुश रखना होता था। हालांकि नगरवधू बनने के बाद ही किसी महिला को यह पता चलता था कि यह काम कितना मुश्किल और खतरे भरा है। यह खतरा ही उसे साहसी और राजनतिज्ञ बनाता था। उक्त काल में राज नर्तकी, नगरवधू, गणिका, रूपाजीवा, देवदासी हुआ करती थी। सभी के कार्य अलग-अलग हुआ करते थे। 
 
तवायफ : मुगलों के समय भी तवायफों का काम नाच और गाकर बादशाहों और लोगों का मनोरंजन करना था। इस काल में कई ऐसी तवायफें हुई जो बला की खूबसूरत थीं और जब इन तवायफों पर कई लोगों का दिल आ जाता था तब शुरू होती थी असली राजनीति या लड़ाई। कई चतुर तवायफें इसका फायदा उठाकर अपना रुतबा बढ़ाने में कामयाब रही और कई ने अपना जीवन बर्बाद कर लिया। जिन तवायफों में हुनर, ज्ञान और अदब के साथ चतुराई होती थी वे अप्रत्यक्ष रूप से सल्तनत पर समानांतर राज करती थीं। अंगिया, मिस्सी और नथ उतराई के बाद ही कोई तवायफ बनती थीं। यदि हम खूबसूरती की बात करें तो ये 5 तवायफें मशहूर थीं। 
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1. गौहर जान : बनारस और कलकत्ते की मशहूर की यह तवायफ खूबसूरत होने के साथ ही देश की बहुत ही मशहूर गायिका भी थीं। यहीं कारण था कि यह उस दौर में करोड़पति बन गई थीं। कहते हैं कि वे सोने की 101 गिन्नियां लेने के बाद ही किसी महफिल में गाती थीं। आर्मेनियाई दंपति की संतान गौहर जान का असली नाम एंजलिना योवर्ड था और उनके पिता का नाम विलियम योवर्ड एवं मां का नाम विक्टोरिया था। वो कीर्तन करने में पारंगत थीं।
 
2. बेगम हजरत महल : यह बला की खूबसूरत थीं जिसके दिवाने कई नवाब और राजा थें। इनका असली नाम मुहम्मददी खानम था। इन्हें 'अवध की बेग़म' भी कहा जाता था। इन्हें खवासिन के तौर पर शाही हरम में शामिल किया गया। बाद में अवध के नवाब वाजिद अली शाह ने उनसे शादी कर ली। शादी के बाद उन्हें हज़रत महल नाम दिया गया। अंग्रेजों ने जब हमला किया तो नवाब तो भाग गए लेकिन हजरत महल ने कमान संभाली और अंग्रेजों से लोहा लेकर स्वतंत्रता सेनानी बन गई। इन्होंने अंग्रेजों की नाक में दम कर रखा था। बाद में इन्हें भी भागना पड़ा। यह नेपाल चली गई थीं।
 
3. ज़ोहरा बाई : इन्हें जोहराबाई आगरवाली कहते थे। यह भारतीय शास्त्रीय संगीत में पारंगत थीं और इन्हें इनकी मर्दाना आवाज के लिए भी जाना जाता था। गौहर जान के बाद गायिकी में इनका नाम मशहूर हुआ। इन्हें उस्ताद शेर खान जैसे संगीतज्ञों से तालीम हासिल हुई थी। 
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4. रसूलनबाई : यह भी बेहद खूबसूरत थीं। बनारस घराने की इस महान गायिका का जन्म 1902 में गरीब परिवार में हुआ था। अपनी मां और उस्ताद शमू ख़ान से तालीम हासिल करके यह मशहूर हो गई। रसूलन बाई वो कलाकार हैं, जिनका जिक्र उस्ताद बिस्मिल्लाह खान बेहद आदर से किया करते थे। उन्हें ईश्वरीय आवाज कहा करते थे।  
 
5. जद्दनबाई : यह एक संगीतज्ञ भी थीं। जद्दनबाई का जन्म 1892 में हुआ था। संगीत की दुनिया में इनका नाम बहुत फेमस था। ये फिल्म एक्ट्रेस नर्गिस की मां और संजय दत्त की नानी थीं। गायिका, म्यूजिक कम्पोज़र, अभिनेत्री और फिल्म मेकर जैसे अलग-अलग हुनर में यह माहिर थीं। वो भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की पहली महिला संगीत निर्देशक भी थीं।
 
6. दिलरुबा जान : लखनऊ की दिलरुबा जान भी लोगों के बीच बहुत फेमस थीं। इन्होंने मेयर का चुनाव भी लड़ा था। दिलरुबा जान जब चुनाव प्रचार के लिए निकलतीं तो उनके पीछे सैकड़ों की भीड़ चलती थीं। हालांकि जब वो चुनाव हार गई तो उनके कोठे की रौनक भी चली गई।  
 
7. तन्नो बाई : 1920 के आसपास पटना शहर में गुड़हट्टा से लेकर चमडोरिया मोहल्ले तक तवायफों के कोठे होते थे। गुड़हट्टा के इसी इलाके की एक तवायफ तन्नो बाई को मुजरे की रानी कहा जाता था। अमीरों और रईसों की महफिलों की जान तन्नो बाई का एक पुजारी पर आ गया था। चौक की कचौड़ी गली में एक छोटा सा वैष्णव मंदिर था जिसके पुजारी धरीक्षण तिवारी बहुत प्रतिष्ठित थे लेकिन संगीत के प्रेमी थे।
 
इसके अलावा फरजाना ऊर्फ बेगम समरू, अज़ीज़ुनबाई, लाल कुंवर आदि तवायफें भी इतिहास में मशहूर हैं।

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