Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

क्यों पड़ा बस्ती का नाम इंदौर?

क्यों पड़ा बस्ती का नाम इंदौर?
webdunia

अपना इंदौर

इंदौर के जन्म के विषय में 'इन्सायक्लोपीडिया ब्रिटानिका' में लिखा है कि समुद्र सतह से 1738 फुट की ऊंचाई पर बसे इस नगर को 1715 में कुछ जमींदारों ने बसाया, जो मराठा प्रमुखों से व्यापार करने में रुचि रखते थे। 1741 में जमींदारों ने इंद्रेश्वर मंदिर बनवाया।
 
आजाद नगर उत्खनन में प्राप्त अवशेषों ने उक्त मान्यता को खंडित करते हुए अब यह सिद्ध कर दिया है कि इंदौर में हड़प्पा की समकालीन सभ्यता कायम थी और उसकी निरंतरता यहां बनी रही।
 
इंदौर नगर को नाम का यह स्वरूप कैसे मिला, विद्वानों के इस विषय पर भिन्न-भिन्न मत हैं। स्व. वि.श्री. वाकणकर व म.प्र. शासन के पुरातत्व विभाग के पूर्व उप-संचालक स्व. श्री एस.के. दीक्षित से लेखक ने इस संबंध में लंबी चर्चाएं की हैं। आप दोनों की मान्यता थी कि राष्ट्रकूट राजा इंद्र, जिनका कि मालवा पर अधिकार रहा है, के नाम पर संभवत: इस नगर का नाम इंद्रपुर पड़ा।

अपने एक आलेख में डॉ. वाकणकर ने लिखा है- इंद्रेश्वर महादेव के कारण इसका नाम इंदौर पड़ा, यह भी उक्त धारणा को पुष्ट करता है। उज्जैन विजय हेतु आए राष्ट्रकूट इंद्र ने ही कहीं इस महादेव की स्थापना की होगी तथा इसका नाम इंद्रेश्वर रखा होगा, यह भी धारणा असंभव नहीं लगती।
 
उक्त दोनों धारणाएं कहां तक उचित हैं, यह शोध व विवाद का विषय हो सकता है। यह कहा जाता है कि 1741 ई. में कम्पेल के जमींदारों द्वारा 'इंद्रेश्वर' नामक मंदिर बनवाया गया जिससे आधार पर इस बस्ती का नाम इंदौर हो गया। यहां यह आशंका उठना स्वाभाविक है कि मंदिर निर्माण के पूर्व यहां आबाद बस्ती का क्या नाम था? हमारी मान्य धार्मिक परंपरा रही है कि मंदिरों का नामकरण बस्ती के रक्षक भगवान के रूप में किया जाता रहा है। अत: ऐसा प्रतीत होता है कि इंद्रपुर नामक बस्ती यहां पहले से मौजूद थी और उस बस्ती के रक्षक के रूप में इस मंदिर का नाम इंद्रेश्वर रखा गया।
 
इस बस्ती का नाम संस्कृत में इंद्रपुर रहा होगा जिसे प्राकृत भाषा में 'इन्दुवर' लिखा जाने लगा। आज भी मराठी भाषा में 'इंदूर' लिखा जाता है। इसे अंगरेजी में 'इन्डोर' लिखा गया जिससे आधुनिक प्रचलित नाम 'इंदौर' की उत्पत्ति हुई।
कम्पेल से प्रशासनिक मुख्यालय इंदौर आया : मुगल शासनकाल में सरकार उज्जैन के अंतर्गत इंदौर के आसपास का इलाका भी आता था। इस सारे क्षेत्र का स्थानीय प्रशासनिक मुख्यालय कम्पेल था। इंदौर से पूर्व में 16 मील की दूरी पर आज भी यह कस्बा मौजूद है, जो किसी समय इंदौर की बस्ती पर नियंत्रण रखता था। मण्डलोई (जमींदार) परिवार पहले कम्पेल में ही निवास करता था, वो 1715 में कम्पेल छोड़कर इंदौर आ बसे।
 
मुगल-मराठा संघर्ष के दौरान ही 20 जनवरी 1734 को पेशवा ने मल्हारराव होलकर को कुछ परंपरागत परगने भेंट किए। इनमें इंदौर परगने के नौगांव भी थे। होलकर राज्य के संस्थापक मल्हारराव ने इंदौर का उपयोग फौजी छावनी के रूप में ही किया। जूनी इंदौर का क्षेत्र तब भी जमींदारों के पास ही था। इसलिए पूर्व स्थापित बस्ती से कुछ हटकर मल्हारराव ने मल्हारगंज की स्थापना की।

1743 में होलकर ने जूने राजबाड़े का निर्माण करवाया। लगभग उसी समय निहालपुरा व कानूनगो बाखल आदि का विकास हुआ। फौज को आवश्यक सामग्री सप्लाय करने व व्यापार के उद्देश्य से गुजरात से काफी बोहरा लोग आए और मल्हारगंज के समीप ही बस गए। बाद में जब सियागंज का व्यापारिक क्षेत्र के रूप में विकास हुआ तो कुछ बोहरा परिवार वहां जा बसे।
 
20 जनवरी 1734 ई. के दिन मल्हारराव होलकर की पत्नी गौतमाबाई को खासगी की सनद प्रदान की गई और तभी से इंदौर नगर मल्हारराव के परिवार का स्थायी निवास बन गया। अहिल्याबाई जब होलकर राज्य की शासिका बनीं तो उन्होंने महेश्वर को ही अपनी राजधानी बनाए रखा किंतु इंदौर के लिए उनके मन में विशेष अनुराग था। उन्होंने कम्पेल से प्रशासनिक मुख्यालय हटाकर इंदौर में कायम किया और तभी से इस कस्बे का तेजी से विकास प्रारंभ हुआ। वे इंदौर के समाचार समय-समय पर लिया करती थीं।

इंदौर व्यापार का महत्वपूर्ण केंद्र बनता जा रहा था। अरबी व्यापारी गुजरात होकर इंदौर तक आने लगे थे। अहिल्याबाई के शासनकाल में 1770 में त्र्यम्बकराव इंदौर का कमाविसदार था। उसने अरब से आए नन्हे खां नामक व्यापारी से माल खरीदा किंतु भुगतान करने में आनाकानी की। शिकायत जब अहिल्याबाई तक पहुंची तो उन्होंने त्र्यम्बकराव को पत्र लिखकर अपनी सख्‍त नाराजगी जाहिर की और व्यापारी को तत्काल भुगतान का आदेश दिया।
 
व्यापार के क्षेत्र में इंदौर इतनी तेजी से आगे बढ़ा कि शीघ्र ही यह मालवा का प्रमुख केंद्र बन गया। इंदौर के कमाविसदार खण्डो बाबूराव ने अहिल्याबाई को 14 अक्टूबर 1789 को एक पत्र लिखा। नगर के विषय में वह लिखता है- 'उज्जैन, देवास, धार व मुंबई से बहुत से लोग आकर इंदौर बस रहे हैं।'

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

मध्यप्रदेश में मॉब लिंचिंग, सिवनी में 2 आदिवासियों की पीट-पीटकर हत्या