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Motivational Context incident : एकाग्रता का चमत्कार

Motivational Context incident : एकाग्रता का चमत्कार

अनिरुद्ध जोशी

, सोमवार, 24 फ़रवरी 2020 (11:18 IST)
विवेकानंद एक बड़े विद्वान देवसेन के साथ ठहरे थे। उनके पास एक नई प्रकाशित पुस्‍तक थी। विवेकानंद ने कहा- क्‍या मैं इसे देख सकता हूं? देवसेन ने कहा- जरूर देख सकते हो, मैंने इसे बिलकुल नहीं पढ़ा है, क्योंकि यह अभी ही प्रकाशित हुई है।
 
 
कोई आधे घंटे बाद विवेकानंद ने पुस्‍तक लौटा दी। देवसेन को भरोसा न हुआ। इतनी बड़ी पुस्‍तक पढ़ने के लिए तो कम से कम एक सप्‍ताह चाहिए। उसने कहा- क्‍या आपने सच मैं पूरा पढ़ लिया इसे या यूं ही इधर-उधर निगाह डाल ली?
 
 
विवेकानंद ने कहा- मैंने इसे भलीभांति पढ़ लिया। देवसेन ने कहा- मैं विश्‍वास नहीं कर सकता। मुझे पढ़ने दें और फिर मैं आपसे पुस्‍तक के संबंध में कुछ प्रश्‍न पुछूंगा।
 
 
देवसेन ने सात दिन तक पुस्‍तक पढ़ी और फिर उसने कुछ प्रश्‍न पूछे, जिसका विवेकानंद ने एकदम सही उत्तर दिया। देवसन को आश्चर्य हुआ। उन्होंने अपने संस्‍मरणों में लिखा- मेरे लिए असंभव थी यह बात और मैंने पूछा कि कैसे संभव हुआ यह? तब विवेकानंद ने कहा- जब तुम शरीर द्वारा अध्‍ययन करते हो तो एकाग्रता संभव नहीं है। तुम शरीर में बंधे नहीं होते हो तब तुम किताब से सीधे जुड़ते हो। तुम्‍हारे और किताब के बीच कोई बाधा नहीं होती। तब आधा घंटा भी पर्याप्‍त होता है। तुम उसका अभिप्राय, उसका सार आत्‍मसात कर लेते हो।
 

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