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महादेवी वर्मा पुण्‍यतिथि - जिस मैगजीन में पहली रचना छपी, उसकी संपादक बनीं

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शनिवार, 11 सितम्बर 2021 (11:57 IST)
महादेवी वर्मा हिंदी साहित्‍य की जानी मानी कवयित्री थीं। आज भी लेखन के जरिए उनका अस्तित्व कायम है। महादेवी वर्मा हिंदी के छायावादी कवियों की सूची में श्रेष्ठ नामों में से एक है। वह छायावादी युग के चार सबसे महत्वपूर्ण कवियों में गिनी जाती हैं। उनका नाम जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, सुमित्रानंदन पंत के साथ बड़े आदर्श से लिया जाता है। वह लेखिका होने के साथ एक सामाजिक कार्यकर्ता भी थीं और महिलाओं के उत्थान के लिए लगातार काम करती रहती थीं। महादेवी वर्मा ने गांधी जी के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में भी हिस्‍सा लिया था। महादेवी वर्मा की आज पुण्यतिथि हैं। 11 सितंबर 1987 को उनका निधन हो गया था। उनके इस विशेष दिन पर आइए डालते हैं एक नजर -
 
महादेवी वर्मा का बालकाल्‍य 
 
महादेवी वर्मा का जन्‍म 26 मार्च 1907 को फर्रुखाबाद, उत्‍तर प्रदेश में हुआ था। महादेवी वर्मा के पिता जी का नाम गोविंद प्रसाद वर्मा था। वे अंग्रेजी के अच्‍छे जानकार थे। वहीं उनकी माता का नाम हेमरानी वर्मा था। उनकी माता हिंदी की अच्‍छी ज्ञाता थी। परिवार में सभी लेखन से जुडें थे और जिससे उनका लगाव भी लेखनी में अधिक रहा। माता को हिंदी के साथ संस्‍क़त से भी काफी लगाव था। उन्‍होंने महादेवी को तुलसीदास, सूरदास और मीरा के जीवंत और साहित्‍य के बारे में पढ़ाया। वे कई बार अपनी माता द्वारा लिखी गई 
 
कविताओं में कड़ियाँ जोड़ दिया करती थीं। महादेवी वर्मा की प्रारंभिक पढ़ाई इंदौर से हुई थी। छात्रवृत्ति मिलने के बाद उन्‍होंने अपनी आगे की पढ़ाई यूपी से जारी रखी। 
 
जिस मैगजीन में पहली कविता छपी उसकी ही संपादक बनीं...
 
महादेवी वर्मा ने मात्र 7 साल की उम्र से ही लिखना शुरू कर दिया था। उनकी रचनाएं चांद में भी प्रकाशित हुई थी। पाठकों से उन्‍हें बहुत अच्‍छा रिस्‍पॉन्‍स मिला। और इसके बाद वह और अधिक लिखने लगी। और नियमित रूप से काव्‍य की रचनाएं करती थीं। उनका संपूर्ण जीवन शिक्षा जगत से जुड़ा रहा। एम. ए. की परीक्षा पास करने के बाद वह 'प्रयाग महिला विद्यापीठ की पहली प्रधानाध्‍यापक नियुक्‍त हुईं। इसके बाद 1932 में वह महिला केंद्रीत 'चांद' मैगजीन की संपादका बनीं। 
 
निम्‍न पुरस्‍कार से किया गया सम्‍मानित 
 
1956 में पद्म भूषण से सम्‍मानित किया गया। 
1988 में पद्म विभूषण से सम्‍मानित किया गया। 
भारतेंदु पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया। 
1982 में ज्ञानपीठ पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया। 
 
महादेवी वर्मा की काव्‍य साधना 
 
महादेवी वर्मा छायावाद -युग की प्रसिद्ध कवयित्री हैं। आइए जानते हैं उनकी प्रमुख रचनाएं - 
काव्‍य - रश्मि (1932), नीहार (1930), सांध्‍यगीत (1936), यामा (1940), दीपशिखा (1942) इत्‍यादि। 
गद्य - स्‍म़ति की रेखाएं (1943), अतीत के चलचित्र (1943), पथ के साथी, श्रृंखला की कड़ियाँ, महादेवी का विवेचनात्‍मक गद्य इत्‍यादि।   

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