Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

प्रसिद्ध साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र के बारे में 10 दिलचस्प तथ्य

Webdunia
भारतेंदु हरिशचंद्र एक प्रसिद्ध हिंदी साहित्‍यकार थे। वह बचपन से ही महान थे। उनका जन्‍म 9 सिंतबर 1850 ई में वाराणसी, यूपी में हुआ था। उनके पिता का नाम गोपालचंद्र था। एक साहित्‍य में उनका नाम गिरिधरदास लिखा गया था इसके बाद से वह इस नाम से प्रसिद्ध हो गए। गोपालचंद्र एक प्रसिद्ध कवि थे। वहीं माता का नाम पार्वती देवी था। मात्र 5 वर्ष की आयु में मां का साया उठ गया था। सौतेली मां को भारतेंदु से विशेष लगाव नहीं था। वहीं 10 वर्ष की आयु में पिता का साया भी उठ गया। भारतेंदु का ख्‍याल कालीकदमा दाई और तिलकधारी नौकर मिलकर रखते थे। हिंदी साहित्‍य के एक युग कहे जाने वाले भारतेंदु के जन्‍मदिवस के उपलक्ष्‍य में जानते हैं उनके बारे में 10 रोचक बातें -  
 
1. भारतेंदु माता -पिता के निधन के बाद से अपने ननिहाल में रहते थे। उन्होंने क्‍वींस कॉलेज, वाराणसी में कुछ सालों तक पढ़ाई की। उस वक्‍त काशी में रईसो में केवल राजा शिवप्रसाद सितोरेहिंद अंग्रेजी के अच्‍छे ज्ञाता थे। भारतेंदु ने उनसे ही अंग्रेजी का ज्ञान लिया था। 
 
2.हिंदी, अंग्रेजी और संस्‍क़त के अलावा उर्दू, पंजाबी, मारवाड़ी, गुजराती, मराठी आदि भाषाओं के ज्ञाता थें। 
 
3.13 वर्ष की आयु में इनका विवाह लाला गुलाब राय की पुत्री मन्‍ना देवी से हुआ था। इनके दो बेटे और एक बेटी थी। दोनों बेटों की कम आयु में ही मृत्यु हो गई थी। वहीं पुत्री का नाम विद्यावती था। वहीं भारतेंदु को ऋण लेने की बुरी आदत थी। 
 
4.भारतेंदु की द्वारा रची गई रचनाएं आज भी लोकप्रिय हैं। उनके द्वारा किए गए कार्यों से एक युग पैदा हो गया। जिसे आज भारतेंदु युग के नाम से पढ़ाया जाता है। उनकी मंडली में बड़े-बड़े विद्वान और साहित्‍यकार हुआ करते थे। जैसे पंडित बंद्रीनारायण चौधरी, पंडित बालक़ष्‍ण भट्ट, पंडित प्रतापनारायण मिश्र आदि सम्मिलित थे। 
 
5.वह सिर्फ कवि और साहित्‍यकार ही नहीं बल्कि नाटककार, निबंधकार, समाज सुधारक भी थे। भारतेंदु गद्य के जन्‍मदाता थे। अपने ऐतिहासिक कार्यों से 'भारतेंदु' की पद्वी से सम्‍मानित किया गया था। इसके बाद से ही उन्‍हें समस्‍त लोग भारतेंदु हरिशचंद्र के नाम से जानने लगे हैं। 
 
6.भारतेंदु ने मात्र 25 वर्ष की आयु में ही करीब 175 ग्रंथों की रचना कर दी थी। 
 
7.भारतेंदु की रचनाओं में देशप्रेम तो कही राधा क़ष्‍ण के प्रेम की व्‍याख्‍या मिलेगी। साथ ही वह समाज की दुर्दशा से काफी आहत होते थे। तो देश के आर्थिक हालत को लेकर अपने लेख में चिंता व्‍यक्‍त करते नजर आते थे। 
 
8. भारतेंदु हरिशचंद्र के वर्णन में प्रकृति का चित्रण भी मिलता था। हालांकि उन्‍हें बहुत अधिक सफलता नहीं मिली। हालांकि उन्‍होंने काव्‍य रचना के रूप में काफी सराहा गया था। 
 
9.अपनी कलम से चलाया था आंदोलन। भारतेंदु एक प्रसिद्ध साहित्‍यकार तो थे, साथ ही समाज सुधारक भी थे। उन्‍होंने काव्‍य लिखकर और आंदोलन चलाकर महत्‍वपूर्ण कार्य किया था। ये वहीं वक्‍त था जब कहा जाता था कलम में भी ताकत होती है। 
 
10.भारतेंदु हरिशचंद्र की भाषाओं पर अच्‍छी पकड़ थी। वह अपनी लेखनी में ब्रज भाषा और खड़ी बोली दोनों का प्रयोग करते थे। इतना ही नहीं भारतेंदु ने अंग्रेजी, फारसी शब्‍दों को अपनी लेखनी में अपनाकर हिंदी भाषा में जगह दी।  

सम्बंधित जानकारी

सभी देखें

जरुर पढ़ें

इस Festive Season, इन DIY Ubtans के साथ घर पर आसानी से बनाएं अपनी स्किन को खूबसूरत

दिवाली पर कम मेहनत में चमकाएं काले पड़ चुके तांबे के बर्तन, आजमाएं ये 5 आसान ट्रिक्स

दिवाली पर खिड़की-दरवाजों को चमकाकर नए जैसा बना देंगे ये जबरदस्त Cleaning Hacks

जानिए सोने में निवेश के क्या हैं फायदे, दिवाली पर अच्छे इन्वेस्टमेंट के साथ और भी हैं कारण

दीपावली की तैयारियों के साथ घर और ऑफिस भी होगा आसानी से मैनेज, अपनाएं ये हेक्स

सभी देखें

नवीनतम

दीपावली पर कैसे पाएं परफेक्ट हेयरस्टाइल? जानें आसान और स्टाइलिश हेयर टिप्स

Diwali Skincare : त्योहार के दौरान कैसे रखें अपनी त्वचा का ख्याल

Diwali 2024 : कम समय में खूबसूरत और क्रिएटिव रंगोली बनाने के लिए फॉलो करें ये शानदार हैक्स

धनतेरस पर कैसे पाएं ट्रेडिशनल और स्टाइलिश लुक? जानें महिलाओं के लिए खास फैशन टिप्स

पपीते का ये हिस्सा जिसे बेकार समझकर फेंक देते हैं, फायदे जानकर आज से ही करने लगेंगे स्टोर

આગળનો લેખ
Show comments