जीरा पाचक और सुगंधित मसाला है। भोजन में अरुचि, पेट फूलना, अपच आदि को दूर करने में जीरा विश्वसनीय औषधि है।
भुने हुए जीरे को लगातार सूँघने से जुकाम की छीकें आना बंद हो जाती है।
प्रसूति के पश्चात जीरे के सेवन से गर्भाशय की सफाई हो जाती है।
जीरा गरम प्रकृति का होता है अत: इसके अधिक सेवन से उल्टी भी हो सकती है।
जीरा कृमिनाशक है और ज्वरनिवारक भी।
जीरे को उबाल कर उस पानी से स्नान करने से खुजली मिटती है।
बवासीर में मिश्री के साथ सेवन करने से शांति मिलती है।
जीरे व नमक को पीसकर घी व शहद में मिलाकर थोड़ा गर्म करके बिच्छू के डंक पर लगाने से विष उतर जाता है।
जीरे का चूर्ण 4 से 6 ग्राम दही में मिलाकर खाने से अतिसार मिटता है।