सबसे बड़ा सवाल है कि क्या जैसे जयललिता के जाने के बाद जो एआईएडीएमके में हुआ क्या वही हमें करुणानिधि के कुनबे और पार्टी में भी देखने को मिलेगा? ऐसे में तमिलनाडु की व्यक्तिवाद आधारित राजनीति में अब क्या होगा इस पर सबकी नजर रहेगी साथ ही यह भी देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह परिस्थितियां आने वाले 2019 लोकसभा चुनाव को कितनी प्रभावित करेंगी और कैसे?