कोरोना काल का प्रकोप अब धीरे - धीरे कम हो रहा है लेकिन लॉन्ग कोविड इंफेक्शन का खतरा तेजी से पैर पसार रहा है। पहली बार अलग - अलग तरह के फंगल इंफेक्शन मरीजों में सामने आ रहे हैं। डाॅ के मुताबिक भिन्न - भिन्न तरह के फंगल इंफेक्शन की वजह से स्टेरॉयड का अधिक इस्तेमाल और लंग्स का डैमेज होना। देश का पहला ग्रीन फंगस का मामला इंदौर में सामने आया है। मरीज को तुरंत ही मुंबई एयरलिफ्ट की मदद से रेफर कर दिया।
ग्रीन फंगस कितना घातक है?, कैसा होता है?, इसके क्या लक्षण है? इसे लेकर वेबदुनिया ने चेस्ट फिजिशियन डॉ रवि दोसी से चर्चा की - आइए जानते हैं क्या कहा -
ग्रीन फंगस को मेडिकल भाषा में एस्परजिलस कहा जाता है। ग्रीन फंगस का पहला मामला इंदौर में डायग्नोस किया है। यह बहुत हद तक ब्लैक फंगस की तरह होता है। इसके लक्षण जैसे -
- नाक से खून आना, नाक बंद होना, सिरदर्द होना, बुखार आना, जबड़े में दर्द होना, बैचेनी का एहसास होना, चेहरे के अलग - अलग हिस्सों में सुन्नपन होना।
ग्रीन फंगस इंफेक्शन से उन लोगों को खतरा है जिन्हें फेफड़ों की समस्या अधिक रही हो। कोविड की वजह से या अन्य किसी वजह से लंग्स को नुकसान हुआ हो। उनमें यह फंगस की संभावना अधिक होती है। साथ अस्थमेटिक्स वालों में भी इसका खतरा अधिक होता है।
इसका इलाज कैसे संभव है?
इसका उपचार इंजेक्शन और गोली दोनों के द्वार दिया जा सकता है। जिसका असर 60 से 70 फीसदी तक होता है। हालांकि बीमारी अधिक होने पर सर्जरी भी करना पड़ती है।
बारिश के मौसम में नमी से इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है लेकिन डाॅ रवि दोसी ने बताया कि ऐसा अभी तक कोई संबंध नहीं देखा गया है। फफुंद के ज्यादा होने की संभावना अधिक होती है। ऐसे में नमी जैसी जगह पर फंगस बहुत जल्दी होती है लेकिन इंसान में इसका अभी तक कोई कनेक्शन नहीं देखा है। हम इंसान का ब्लड गरम होता है। हम एक सामान्य तापमान में रहते हैं ऐसे में इंसान के अंदर बारिश के दिनों में फैलने की संभावना कम होती है। अगर कोविड के दौरान स्टेराॅयड का इस्तेमाल किया गया हो, रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो तो फंगस इफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है।
अगर आपको किसी भी तरह के लक्षण नजर आते हैं या महसूस होते हैं तो जल्द से जल्द डाॅक्टर से संपर्क करें।