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कमांडो 3 : फिल्म समीक्षा

कमांडो 3 : फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर

, शुक्रवार, 29 नवंबर 2019 (15:28 IST)
कमांडो मध्यम बजट में बनाई जाने वाली एक्शन फिल्म की सीरिज़ है जिसमें विद्युत जामवाल वही करते हैं जो सलमान खान 'टाइगर' सीरिज में और टाइगर श्रॉफ 'बागी' सीरिज में करते हैं। कमांडो 3 में विद्युत देश को सलमान की तरह बचाते हैं और टाइगर की तरह गुंडों की धुनाई करते हैं। 
 
कमांडो और कमांडो 2 को बॉक्स ऑफिस पर औसत सफलता मिली थी और इसी से उत्साहित होकर इस सीरिज का तीसरा भाग बनाया गया है। 
 
फिल्म का शुरुआती सीन है जिसमें तीन लड़कों को उनके फर्जी पासपोर्ट के आधार पर एटीएस ने पकड़ा। कड़ी पूछताछ के बाद सिर्फ एक रहस्यमयी आदमी के बारे में ही पता चल सका, जिसने इन तीनों लड़कों के दिमाग में भारत के खिलाफ ज़हर भर दिया है। 
 
पुलिस के हाथ अहम सुराग ये लगता है कि भारत पर बड़े हमले की साजिश हो रही है और यह रहस्यमय व्यक्ति लंदन से सारा काम करता है। 
 
उसे पकड़ने का जिम्मा करण सिंह डोगरा (विद्युत जामवाल) को दिया जाता है। करण की मदद करते हैं भारत से भावना रेड्डी (अदा शर्मा) और ‍‍ब्रिटिश इंटेलीजेंस से मल्लिका सूद और अरमान अख्तर। 
 
लंदन जाकर करण को पता चलता है कि भारत पर हमले का काउंट डाउन शुरू हो गया है। क्या हमारा कमांडो, मिस्ट्री मैन की पहचान का खुलासा कर पाएगा? कैसे वो देश को बचाएगा? इन सवालों के जवाब इस थ्रिलर और एक्शन मूवी में मिलते हैं। 

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फिल्म पहले हाफ इसलिए अच्छी लगती है कि जो उम्मीद आप इस तरह की फिल्मों से करते हैं वो पूरी करती है। लेकिन दूसरे हाफ में फिल्म अपनी चमक खो देती है। 
 
क्लाइमैक्स बहुत ज्यादा फिल्मी होने से निराश करता है। क्या बात को खत्म करने का इससे बेहतर तरीका लेखक और निर्देशक को नहीं मिला? 
 
फिल्म में देशप्रेम को दिखाने की कोशिश बार-बार की गई है जो कि अखरती है। बिना सिचुएशन के यह सब ठीक नहीं लगता और समझ में आता है कि बात थोपी जा रही है। 
 
आदित्य दत्ता ने ज्यादा दर्शकों को खुश करने के लिए ऐसे सीन भी रखे हैं जो फिल्म के मूड के अनुरूप नहीं है। मिसाल के तौर पर विद्युत जामवाल का एंट्री सीन। 
 
हीरो का विलेन तक पहुंचने का सफर बहुत मजेदार नहीं है। हीरो सब कुछ आसानी से कर लेता है इसलिए थ्रिल पैदा नहीं होता और न ही हीरोगिरी नजर आती है। यदि हीरो की राह थोड़ी मुश्किल बनाई जाती तो फिल्म की पकड़ मजबूत हो जाती। 
 
विलेन फिल्म की कमजोर कड़ी है। गुलशन दैवेया एक बेहतरीन अभिनेता हैं, लेकिन यहां वे मिसफिट लगे। उन्होंने अपने आपको ताकतवर और क्रूर दिखाने की भरसक कोशिश की, ओवरएक्टिंग की, लेकिन कामयाब नहीं हो सके। विलेन भारत पर क्यों हमला करना चाहता है? क्यों उसके अंदर नफरत भरी है, यह बात भी कहानी में बताई नहीं गई है। 
 
अदा शर्मा को ज्यादा मौका नहीं मिला, लेकिन वे यह दिखाने में सफल रही कि वे भी स्टंट्स अच्छे से कर लेती हैं। ज्यादा गाने नहीं रख कर निर्देशक ने दर्शकों पर उपकार किया है। 
 
कमियों के बावजूद फिल्म दर्शकों की रूचि बनाए रखती है तो इसका श्रेय कुछ टर्न्स और ट्विस्ट्स, विद्युत जामवाल के शानदार स्टंट्स, कुछ बढ़िया पीछा करने वाले दृश्यों को जाता है। ज्यादा उम्मीद से नहीं देखी जाए तो पसंद आ सकती है।  
 
बैनर : रिलायंस एंटरटेनमेंट, मोशन पिक्चर कैपिटल, सनशाइन पिक्चर्स प्रा.लि.
निर्माता : विपुल अमृतलाल शाह, रिलायंस एंटरटेनमेंट, मोशन पिक्चर केपिटल
निर्देशक : आदित्य दत्त
कलाकार : विद्युत जामवाल, अदा शर्मा, अंगीरा धर, गुलशन दैवेया
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 13 मिनट 42 सेकंड 
रेटिंग : 2.5/5 

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