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यह ख्वाब लेकर फिल्मों में आए थे टॉम ऑल्टर

यह ख्वाब लेकर फिल्मों में आए थे टॉम ऑल्टर
मुंबई , शनिवार, 30 सितम्बर 2017 (12:13 IST)
मुंबई। सिने दर्शकों के जेहन में टॉम ऑल्टर की पहचान ऐसे अभिनेता के तौर पर की जाती  रही है, जो फिल्मों में 'अंग्रेज' का किरदार निभाता था। टॉम ऑल्टर को भले ही कई लोग  उनके नाम से नहीं जानते हों, लेकिन 'वो अंग्रेज एक्टर' कहते ही सभी के जेहन में एक ही  चेहरा उभरता है, वह टॉम ऑल्टर का। 
 
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22 जून 1950 को उत्तराखंड के मसूरी में जन्मे टॉम ऑल्टर 18 की उम्र में अमेरिका के  येल यूनिवर्सिटी पढ़ने चले गए लेकिन लेकिन उनका मन नहीं लगा और वे बीच में वापस  आ गए। इसके बाद उन्होंने कई नौकरियां कीं। इसी दौरान वे हरियाणा के जगधरी में करीब  6 महीने रहे, जहां वे सेंट थॉमस स्कूल में शिक्षक थे। 
 
सुपरस्टार राजेश खन्ना की वर्ष 1969 में प्रदर्शित फिल्म 'आराधना' ने टॉम को  इतना प्रभावित किया कि उसी सप्ताह उन्होंने इस फिल्म को 3 बार देख डाला। अगले 2  साल तक उनके जेहन में राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर चलती रहीं। अब बस वे राजेश  खन्ना बनना चाहते थे।
 
बतौर अभिनेता बनने का सपना लिए टॉम ऑल्टर ने पुणे के भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन  संस्थान (एफटीआईआई) में प्रवेश ले लिया। टॉम ने 1974 में एफटीआईआई से ग्रेजुएशन के  दौरान गोल्ड मेडल हासिल किया था। 
 
एफटीआईआई में रहते हुए टॉम ने नसीरउद्दीन साह और बेंजामिन गिलानी के साथ एक  कंपनी 'मोटली' स्थापित की और रंगमंच पर कदम रखा। रंगमंच पर उनके एकल नाटकों के  लिए उन्हें विशेष ख्याति मिली जिसमें मशहूर शायर 'मिर्जा गालिब' पर इसी नाम के प्ले  और मौलाना अबुल कलाम आजाद पर आधारित प्ले 'मौलाना' में निभाए उनके एकल  अभिनय को हमेशा याद रखा जाएगा।
 
टॉम ऑल्टर ने बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1976 में प्रदर्शित फिल्म 'चरस'  से की। वर्ष 1977 में उन्होंने कैरोल इवान्स से शादी की। उनका एक बेटा जैमी और एक  बेटी अफशां हैं। फिल्म 'चरस' के बाद उन्होंने शतरंज के खिलाड़ी, देश-परदेश, क्रांति, गांधी,  राम तेरी गंगा मैली, कर्मा, सलीम लंगड़े पे मत रो, परिंदा, आशिकी, जुनून, परिंदा,  वीर-जारा, मंगल पांडे समेत 300 से अधिक फिल्मों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया।  टॉम ने अपने करियर के दौरान सत्यजीत रे से लेकर श्याम बेनेगल तक भारतीय  फिल्म जगत के लगभग सभी चोटी के निर्देशकों के साथ काम किया
 
टॉम ऑल्टर को मशहूर टीवी शो 'जुनून' में उनके किरदार केशव कल्सी के लिए जाना जाता  है। 1990 के दशक में यह टीवी शो लगातार 5 साल तक चला था। उन्होंने कई बेहद  लोकप्रिय धारावाहिकों में भी काम किया जिसमें भारत एक खोज, जबान संभाल के, बेताल  पचीसी, हातिम और यहां के हैं हम सिकंदर प्रमुख हैं। 
 
1980 से 1990 के दौरान टॉम एक स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट भी रहे हैं। टीवी पर सचिन तेंदुलकर  का इंटरव्यू लेने वाले वे पहले व्यक्ति थे। वर्ष 2008 में उन्हें कला और सिनेमा के क्षेत्र में  योगदान के लिए पद्म अवॉर्ड भी दिया गया था। 
 
आम धारणा के विपरीत टॉम को अंग्रेजों जैसा लुक होने का फायदा ही मिला और फिल्मों  में शुरुआत करने में खास परेशानी नहीं हुई। आज के दौर में टॉम की वह बात सबसे  यादगार है कि 'मैं कोई गोरा नहीं, बल्कि एक देसी आदमी हूं और मुझे भारत में  धर्मनिरपेक्षता यहां की सबसे अच्छी बात लगती है।' टॉम इसी साल प्रदर्शित फिल्म  'सरगोशियां' में नजर आए थे। टॉम ने 3 किताबें भी लिखी हैं। (वार्ता)

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