Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

कब-कब हुई एनजीटी के आदेशों की अनदेखी?

Webdunia
बुधवार, 15 नवंबर 2017 (12:01 IST)
बढ़ते प्रदूषण को काबू में करने के लिए पिछले दिनों दिल्ली में कई उपाय किए गए। इसी के तहत दिल्ली सरकार ने 13 नवंबर से पांच दिन तक ऑड-ईवन लागू करने का फैसला लिया था। लेकिन एनजीटी के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली सरकार ने ये फैसला ही वापस ले लिया।
 
दरअसल एनजीटी ने ऑड-ईवन फार्मूले में दो पहिया वाहनों और महिलाओं को छूट देने पर आपत्ति जताई थी। लेकिन दिल्ली सरकार ने खराब परिवहन व्यवस्था का हवाला देते हुए अपने फैसले को ही टाल दिया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब एनजीटी के आदेश को नज़रअंदाज़ किया गया हो। पहले भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं।
 
कब-कब हुई एनजीटी के आदेशों की अनदेखी?
* साल 2016 में यमुना किनारे 'विश्व सांस्कृतिक महोत्सव' का आयोजन करने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर के खिलाफ एनजीटी ने पांच करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
 
 
इस पर रविशंकर ने यमुना को हुए नुकसान का जिम्मेदार एनजीटी और केंद्र सरकार को ही ठहरा दिया था। उनका कहना था कि कार्यक्रम की इजाज़त तो उन्होंने ही दी। श्री श्री के इस बयान के खिलाफ एनजीटी में अवमानना याचिका दायर की गई थी।
 
* इसी साल सितंबर में गणेश चतुर्थी उत्सव के दौरान मूर्ति विसर्जन के आदेशों की अनदेखी पर एनजीटी ने दिल्ली सरकार और डीडीए को फटकार लगाई थी। एनजीटी ने पाया था कि यमुना को प्रदूषणमुक्त बनाने से जुड़े उसके आदेशों का उल्लंघन हो रहा है।
 
 
* सितंबर 2017 में ही दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन चुनाव में पेपर की बर्बादी को लेकर एनजीटी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी पर सख्ती दिखाई थी। दरअसल 2016 में नेशनल ग्रीन ट्रेब्यूनल ने डूसू को पेपरलैस चुनाव कराने का निर्देश दिया था, लेकिन एनजीटी के इस निर्देश का पालन नहीं किया गया। जिसके बाद उसने डीयू प्रशासन और दिल्ली सरकार को चौबीस घंटे के अंदर बैनर-पोस्टर हटाने और नियमों की अनदेखी करने वाले प्रत्याशियों का नामांकन रद्द कर जुर्माना भी लगा दिया था।
 
 
* एनजीटी ने दिल्ली अर्बन शेल्टर इंप्रूवमेंट बोर्ड को मार्च 2016 में रेलवे के सेफ्टी जोन में बसी करीब साढ़े चार हज़ार झुग्गियों को हटाकर पुनर्वास करने के लिए कहा था। लेकिन डीयूएसआईबी ने अदालत के फैसले को नज़रअंदाज़ कर दिया। जिसके बाद इस साल जून में एनजीटी ने उसपर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी थी।
 
* इसी साल जुलाई में एनजीटी ने हरिद्वार और उन्नाव के बीच गंगा नदी के तट से 100 मीटर के दायरे को गैर निर्माण क्षेत्र घोषित किया था। साथ ही 500 मीटर के दायरे में कचरा फेंकने पर रोक लगा दी थी। लेकिन अपने आदेशों की अनदेखी होते देख एनजीटी ने अक्टूबर में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार से अब तक उठाए गए कदमों का ब्यौरा मांगा था।

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

Modi-Jinping Meeting : 5 साल बाद PM Modi-जिनपिंग मुलाकात, क्या LAC पर बन गई बात

जज साहब! पत्नी अश्लील वीडियो देखती है, मुझे हिजड़ा कहती है, फिर क्या आया कोर्ट का फैसला

कैसे देशभर में जान का दुश्मन बना Air Pollution का जहर, भारत में हर साल होती हैं इतनी मौतें!

नकली जज, नकली फैसले, 5 साल चली फर्जी कोर्ट, हड़पी 100 एकड़ जमीन, हे प्रभु, हे जगन्‍नाथ ये क्‍या हुआ?

लोगों को मिलेगी महंगाई से राहत, सरकार बेचेगी भारत ब्रांड के तहत सस्ती दाल

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

Infinix का सस्ता Flip स्मार्टफोन, जानिए फीचर्स और कीमत

Realme P1 Speed 5G : त्योहारों में धमाका मचाने आया रियलमी का सस्ता स्मार्टफोन

जियो के 2 नए 4जी फीचर फोन जियोभारत V3 और V4 लॉन्च

2025 में आएगी Samsung Galaxy S25 Series, जानिए खास बातें

iPhone 16 को कैसे टक्कर देगा OnePlus 13, फीचर्स और लॉन्च की तारीख लीक

આગળનો લેખ
Show comments