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ग्रेटा थनबर्ग ने जो टूलकिट ट्वीट की, क्या वो खालिस्तान समर्थक संस्था ने बनाई?

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शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2021 (10:04 IST)
जानी-मानी पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने जो पावर प्वाइंट टूलकिट पहले ट्वीट की थी, उसके स्रोत का पता लगाने के लिए की गई शुरुआती जांच में सामने आया है कि कथित तौर पर उसे कनाडा स्थित एक ख़ालिस्तानी-समर्थक संस्था ने बनाया है।
 
टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा कि भारत के हितों को नुक़सान पहुंचाने के मक़सद से बनाई गई किट (दस्तावेज़) को पीस फॉर जस्टिस नाम की संस्था ने तैयार किया है। इस संस्था के सह-संस्थापक मो धालिवाल ख़ुद को ख़ालिस्तान समर्थक बताते हैं और कनाडा के वैंकूवर में रहते हैं।
 
पावर प्वाइंट प्रेज़ेंटेशन में भारत के ख़िलाफ़ कई कामों की विस्तृत जानकारी थी। टूलकिट में कुछ हेडिंग इस तरह थी - "भारत की 'योगा और चाय' की छवि को तोड़ना", "26 जनवरी को प्रवासी भारतीयों में संगठित वैश्विक हंगामा", "कृषि कानूनों को निरस्त करना"।
 
थनबर्ग ने पोस्ट को डिलीट कर दिया था, लेकिन उससे पहले ही भारत में कई लोगों ने उनकी पोस्ट के स्क्रीनशॉट ले लिए थे, जो जल्दी ही वायरल हो गए।
 
पहचान छिपाए रखने की शर्त पर एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, "ग्रेटा ने ग़लती से जो दस्तावेज़ साझा किए, उससे पता चलता है कि रिहाना और अन्य की ओर से किए गए ट्वीट कैसे ऑर्गेनिक नहीं थे और भारत को नुक़सान पहुंचाने के एक बड़े अभियान का हिस्सा थे। इसलिए भारत में और विदेशों में अहम लोगों के ऐसे बयानों/ट्वीट को योजनाबद्ध और प्री-स्क्रिप्टेड अभियान के संदर्भ में देखना ज़रूरी हो जाता है।"
 
उन्होंने टूलकिट कहां से आई ये पता लगाने के लिए शुरू की गई दिल्ली पुलिस की जांच का हवाला दिया। जिसे बीजेपी ने गुरुवार को "अराजकता की स्कूलकिट" बता दिया था।
 
केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने एक फ़ेसबुक पोस्ट में दावा किया कि थनबर्ग के डिलीट किए ट्वीट से भारत के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रची गई साज़िश के असली डिज़ाइन का पता चलता है।
 
वहीं बीजेपी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि "उनको (विदेशी हस्तियां) इन क़ानूनों से कुछ लेना-देना नहीं है, वो सिर्फ देश में अराजकता और संकट की स्थिति बनाना चाहते हैं।"
 
उन्होंने कहा कि "थनबर्ग ने किसानों के प्रदर्शन के समर्थन में जो टूलकिट ट्वीट की, वो दरअसल अराजकता की स्कूल किट थी।"
 
टूलकिट के कवर पर हेडिंग थी - क्या आप मानवता के इतिहास की सबसे बड़े प्रोटेस्ट का हिस्सा होंगे? इसके साथ हैशटैग थे '#AskIndiaWhy' और 'ग्लोबल फार्मर्स स्ट्राइक - फर्स्ट वेव'।
 
पेज की पट्टी पर लिखा था, "भारत के कमज़ोर होते लोकतंत्र (फासीवादी सत्तारूढ़ पार्टी, आरएसएस-भाजपा के इशारे पर) के ख़िलाफ़ खड़े होने के लिए" और "कृषि क्षेत्र के अनियमित कॉर्पोरेटाइज़ेशन के ख़िलाफ़ खड़े होने के लिए।"
 
राम मंदिर के लिए एनएसयूआई के चंदा जुटाने से कांग्रेस मुश्किल स्थिति में
द हिंदू अख़बार के मुताबिक़, कांग्रेस की छात्र इकाई, एनएसयूआई ने अयोध्या के राम मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान में चंदा जुटाने का अभियान शुरू किया है, जिसने राज्य की सत्ताधारी पार्टी को मुश्किल स्थिति में डाल दिया है।
 
वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने इस अभियान से ये कहते हुए दूरी बना ली है कि इस मक़सद के लिए चंदा जुटाने की कोई योजना नहीं थी।
 
एनएसयूआई ने जयपुर में राजस्थान विश्वविद्यालय के कॉमर्स कॉलेज से 15 दिन का विशेष अभियान शुरू किया है।
 
इसके स्टेट प्रेसिडेंट अभिषेक चौधरी ने कहा कि स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालय में हर छात्र से एक रुपये का टोकन अमाउंट लिया जाएगा।
 
चौधरी ने कहा कि अभियान का मक़सद बीजेपी का पर्दाफाश करना है, "जो बिना किसी जवाबदेही के मंदिर के लिए बड़ी रकम जमा कर रहे हैं।"
 
मंदिर निर्माण पर लोगों की भावनाओं के साथ खेलने का आरोप लगाने वाली कांग्रेस इससे मुश्किल की स्थिति में आ गई है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने गुरुवार को कहा कि करोड़ों रुपये दान करने की ज़रूरत नहीं है और लोगों का अपनी आस्था दिखाने के लिए छोटी रकम देना ही काफी है।
 
दिल्ली में एलजी के अधिकार बढ़ाने पर भड़की 'आप'
 
हिंदुस्तान अख़बार के मुताबिक़, दिल्ली में उपराज्यपाल के अधिकार बढ़ाने के बिल पर केंद्र और आम आदमी पार्टी सरकार के बीच टकराव बढ़ने के आसार हैं।
 
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को इसे लोकतंत्र, संविधान और जनता के ख़िलाफ़ बताते हुए बीजेपी पर पिछले दरवाज़े से सरकार चलाने का आरोप लगाया।
 
मनीष सिसोदिया ने कहा, "हमें पता चला है कि केंद्र में बैठी बीजेपी गुपचुप तरीक़े से दिल्ली सरकार के अधिकार एलजी को देना चाहती है।"
 
उन्होंने कहा, "एलजी सरकार के सभी निर्णय लेंगे। चुनी हुई सरकार से निर्णय लेने का अधिकार छीना जाएगा और ये कदम लोकतांत्रिक तरीक़े से चुनी हुई सरकार के ख़िलाफ़ है।"
 
भड़काऊ भाषण के आरोप में शरजील के ख़िलाफ़ लखनऊ में मामला
महाराष्ट्र के पुणे में एल्गार परिषद कार्यक्रम में भाषण देने के मामले में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शरजील उस्मानी के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है। जनसत्ता के मुताबिक़, पुलिस ने इसकी जानकारी दी है।
 
पुलिस ने बताया कि राजधानी के रहने वाले अनुराग सिंह ने हज़रतगंज पुलिस थाने में बुधवार देर रात ये मामला दर्ज करवाया।
 
प्राथमिकी में कहा गया है कि उस्मानी ने पुणे में 30 जनवरी को दिए भाषण में धार्मिक भावनाओं को भड़काने की मंशा से विवादित और भड़काऊ शब्दों का इस्तेमाल किया था, जिससे विद्वेष फैल सकता था।

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