Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

पश्चिम बंगाल में ख़ून ख़राबे के लिए कौन ज़िम्मेदार- बीजेपी या टीएमसी?: ग्राउंड रिपोर्ट

Webdunia
गुरुवार, 20 जून 2019 (18:59 IST)
- फ़ैसल मोहम्मद अली (संदेशखाली, पश्चिम बंगाल)
 
कल तक राजनीतिक हाशिये पर खड़ा आनंद पाल मंगलवार को अपने क़त्ल के बाद अचानक से इतना अहम हो गया है कि दो राजनीतिक दल- बंगाल की सत्ता में मौजूद तृणमूल कांग्रेस और राज्य में सत्ता पाने को प्रयत्नशील भारतीय जनता पार्टी, दोनों उसे अपना-अपना कार्यकर्ता बता रहे हैं।
 
 
बंगाल बीजेपी ने ट्वीट करते हुए इसे बंगाल के इतिहास का काला अध्याय बताया और सवाल किया कि क्या ममता बनर्जी में दया नहीं है?
 
 
वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री और टीएमसी नेता रबिन्द्रनाथ घोष के हवाले से कहा गया है कि आनंद पाल बीजेपी का नहीं टीएमसी का कार्यकर्ता था और बीजेपी के गुंडे इलाक़े में आतंक फैला रहे हैं और लोगों का क़त्ल कर रहे हैं। कूच बिहार निवासी आनंद पाल की गला रेतकर हत्या कर दी गई और उसके शरीर पर गहरे घाव के निशान पाए गए।
 
 
पश्चिम बंगाल में हाल के दिनों में होने वाली ये पहली राजनीतिक हत्या नहीं है। हालांकि संदेशखाली से लेकर कूच बिहार और सूबे के दूसरे हिस्सों में चुनाव परिणाम के बाद से लगातार हो रही इन हत्याओं का कोई आधिकारिक आंकड़ा मौजूद नहीं है लेकिन ख़बरों के मुताबिक़ कम से कम 15 से 18 लोग इसका शिकार हो चुके हैं जिसमें दोनों दलों- टीएमसी और बीजेपी के कार्यकर्ता मौजूद हैं।
 
 
गुरुवार को पश्चिम बंगाल के भाटपारा इलाके में हुई हिंसा में भी दो लोग मारे गए हैं। स्थानीय पुलिस के मुताबिक दो गुटों में हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हुई है जबकि तीन लोग घायल हुए हैं।
 
 
'बीजेपी ताक़त दिखा रही तो टीएमसी ज़मीन बचा रही'
राजनीतिक विश्लेषक सुबीर भौमिक कहते हैं, "हाल में जो हिंसा देखने में आ रही है वो दोनों तरफ़ से हो रही है। कई जगह बीजेपी अपनी जो नई ताकत है उसे दिखाने के लिए और जो दबदबा बना है उसे बरक़रार रखने के लिए हिंसा कर रही है, वहीं कुछ जगह टीएमसी अपनी ज़मीन बचाने के लिए और बीजेपी को खदेड़ने के लिए हिंसा का सहारा ले रही है।"
 
 
हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में बीजेपी की सीटें बंगाल में दो से बढ़कर 18 तक पहुंच गई हैं और वो टीएमसी से महज़ चार सीट पीछे है। सिर्फ़ इतना ही नहीं बल्कि बीजेपी का वोट प्रतिशत भी लगभग 26 फ़ीसद बढ़ा है। अगर 2011 विधानसभा चुनावों से तुलना करें तो टीएमसी की हालत और पतली दिखती है। बीजेपी को आज बंगाल में संभावित राजनीतिक शक्ति के रूप में देखा जा रहा है।
 
 
सुबीर भौमिक के मुताबिक़ पश्चिम बंगाल में जब भी दो शक्तियों के बीच राजनीतिक संघर्ष होता है तो राजनीतिक हिंसा बढ़ जाती है। जानकार 1967 के नक्सल आंदोलन और कांग्रेस की सिद्धार्थ शंकर राय हुकूमत के ज़रिये उसका दमन, और फिर वामपंथी सरकार के समय हुई राजनीतिक हिंसा की घटनाओं का ज़िक्र करते हुए कहते हैं कि ये हमेशा से बंगाल की राजनीति के नैरेटिव का हिस्सा रहा है।
 
 
कहा जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में सीपीएम की सरकार गिरने के बाद वामपंथियों के दबंग बीजेपी की तरफ़ हो लिए हैं और अभी हो रही अधिकतर हिंसा में कहीं न कहीं उनका हाथ है।
 
 
सुबीर भौमिक कहते हैं कि 2011 में टीएमसी की हुकूमत आने के बाद ये लोग कहीं न कहीं या तो भागे हुए थे या फिर ख़ामोशी से बैठे हुए थे लेकिन इन्हें ये समझ आ गया था कि वामपंथी उनकी मदद नहीं कर सकते हैं, चूंकि बीजेपी यहां एक उभरती हुई ताक़त है इसलिए उसमें उन्हें अपने बचने का रास्ता और भविष्य दोनों दिख रहा है।
 
 
बीजेपी राज्य महासचिव सयानतन बासु हालांकि कहते हैं कि टीएमसी में जो हत्याएं हो रही हैं वो एक गुट का दूसरे गुट से टकराव की वजह से है। बासु कहते हैं, "बीजेपी हाल तक राज्य के कई हिस्सों में मौजूद नहीं थी। टीएमसी के लोग गुटबाज़ी, और वसूली के चक्कर में एक दूसरे को मार रहे हैं।"
 
 
ख़ून की राजनीति
बंगाल की राजनीति में हिंसा के कारणों की बात करते हुए बांग्ला पक्खो नाम की संस्था के गोर्गो चर्टजी कहते हैं, "जब एक बड़ी जनसंख्या एक बहुत ही सीमित क्षेत्र में रह रही हो और उनमें जब संसाधनों के लिए संघर्ष होगा तो इस तरह की हिंसा होगी ही।"
 
 
बंगाल की तरह की स्थिति का हवाला देते हुए गोर्गो कहते हैं कुछ ऐसी ही स्थिति बांग्लादेश में भी है इसलिए वहां हाल के चुनावों में भी बड़े पैमाने पर हिंसा देखी गई जिसमें तक़रीबन 160 लोगों की मौत हुई।
 
 
हालांकि बीजेपी ममता बनर्जी पर ख़ून की राजनीति करने का आरोप लगाती है लेकिन वो ख़ुद इस तरह की हिंसा का दोहन करने से नहीं चूक रही। नरेंद्र मोदी 0.2 सरकार के शपथ-ग्रहण में पार्टी ने बंगाल की हिंसा में मारे गए कुछ परिवारों को ख़ासतौर पर दिल्ली बुलाया जिसपर सोशल मीडिया पर सवाल भी उठे कि पार्टी को सिर्फ़ चुनाव जीतने के पहले सैनिक याद आये थे और अब नहीं।
 
 
संदेशखाली में हाल में हिंसा का शिकार हुए कुछ कथित बीजेपी कार्यकर्ताओं के शवों को भी पार्टी की राज्य इकाई ने कोलकाता लाने की कोशिश की और पुलिस-प्रशासन द्वारा ऐसा न करने देने को उसने राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश की। मीडिया के एक समूह में सूबे में हो रही हिंसा को लेकर बहुत अधिक चर्चा को भी बंगाल की राजनीति को क़रीब से जानने वाले बीजेपी के बंगाल प्लान का हिस्सा बताते हैं।
 
 
गोर्गो चर्टजी कहते हैं, "कार्पोरेट मीडिया इस बात पर तुला हुआ है कि सूबे में किसी न किसी तरह बीजेपी की सरकार बनवानी है और उसके लिए ज़रूरी है इस बात को स्थापित किया जाना कि पश्चिम बंगाल में क़ानून-व्यवस्था चरमरा गई है जिससे राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने का बहाना तैयार किया जा सके।"
 
 
टीएमसी में लाख कोशिशों के बाद भी किसी से बात नहीं हो सकी लेकिन पार्टी सासंद डेरक ओ ब्रायन ने ट्वीट करके कहा है, "1990 के दशक में सीपीएम सरकार के समय 400 लोगों की हत्या हुई थी लेकिन अब ये कुछ दर्जन भर हैं तो फिर इतना हो हल्ला क्यों।"
 
 
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार ममता बनर्जी ने कहा है कि बीजेपी हिंसा को बढ़ावा दे रही है ताकि उनकी आवाज़ को शांत किया जा सके क्योंकि बीजेपी जानती है कि अगर कोई उसे जवाब दे सकता है तो वो है ममता बनर्जी।
 
 
इस बीच इन राजनीतिक हत्याओं पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को एडवाइज़री जारी की है और गवर्नर केशरीनाथ त्रिपाठी कह रहे हैं कि सूबे में राष्ट्रपति शासन की स्थिति है। जिससे समझा जाता है कि टीएमसी और बीजेपी का तनाव और बढ़ेगा और शायद हिंसा भी।
 

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

Modi-Jinping Meeting : 5 साल बाद PM Modi-जिनपिंग मुलाकात, क्या LAC पर बन गई बात

जज साहब! पत्नी अश्लील वीडियो देखती है, मुझे हिजड़ा कहती है, फिर क्या आया कोर्ट का फैसला

कैसे देशभर में जान का दुश्मन बना Air Pollution का जहर, भारत में हर साल होती हैं इतनी मौतें!

नकली जज, नकली फैसले, 5 साल चली फर्जी कोर्ट, हड़पी 100 एकड़ जमीन, हे प्रभु, हे जगन्‍नाथ ये क्‍या हुआ?

लोगों को मिलेगी महंगाई से राहत, सरकार बेचेगी भारत ब्रांड के तहत सस्ती दाल

सभी देखें

मोबाइल मेनिया

Infinix का सस्ता Flip स्मार्टफोन, जानिए फीचर्स और कीमत

Realme P1 Speed 5G : त्योहारों में धमाका मचाने आया रियलमी का सस्ता स्मार्टफोन

जियो के 2 नए 4जी फीचर फोन जियोभारत V3 और V4 लॉन्च

2025 में आएगी Samsung Galaxy S25 Series, जानिए खास बातें

iPhone 16 को कैसे टक्कर देगा OnePlus 13, फीचर्स और लॉन्च की तारीख लीक

આગળનો લેખ
Show comments