Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

क्षितिज का अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन 2023 सम्पन्न

क्षितिज का अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन 2023 सम्पन्न
इंदौर। क्षितिज संस्था ने अपने स्थापना दिवस पर अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ विकास दवे सहित कई जानेमाने साहित्यकार उपस्थित थे। क्षितिज संस्था ने स्थापना के 40 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं और संस्था द्वारा 2018 से आरंभ किया गया अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन 2023 तक अनवरत जारी है।
 
संस्था द्वारा दिनांक 29 अक्टूबर को आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन की अध्यक्षता मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ. विकास दवे ने की। प्रमुख अतिथि साहित्यकार डॉ. जयंत गुप्ता थे जबकि विशिष्ट अतिथि दिल्ली के वरिष्ठ लघुकथाकार श्री बलराम अग्रवाल तथा सम्मानित अतिथि श्री सूर्यकांत नागर थे। संस्था के अध्यक्ष श्री सतीश राठी ने सदस्यों का स्वागत किया और देश के विभिन्न हिस्सों से आए लघुकथा लेखकों को पुरस्कारों से सम्मानित किया।
 
अपने उद्बोधन में श्री बलराम अग्रवाल ने कहा कि 1983 तक लघुकथा और लघु कहानी के मध्य विवाद था। लघुकथा को पृथक पहचान दिलाने के उद्देश्य से संस्था क्षितिज का गठन किया गया। जिसे चालीस साल पूर्ण हो गए हैं। यह हम सबके लिए गौरव की बात है। पिछले दो तीन दशकों में लघुकथा के लेखन को बहुत गति मिली है। पत्रिकाओं के विशेषांक, विभिन्न मंचों पर प्रतियोगिताएं इसे आगे बढ़ा रहे हैं।
webdunia
जयंत गुप्ता जी ने कहा कि मैं जन्म और कर्म से लक्ष्मी पुत्र हूँ। पर मैं सरस्वती का अनन्य साधक हूँ। मैंने पचास की वय तक जो पाया उसके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए मैंने तीन पुस्तकें तैयार की हैं। अंग्रेजी में कहावत है, जीवन चालीसवें साल में आरंभ होता है। इसके अनुसार क्षितिज का वास्तव में आरंभ हुआ है। क्षितिज की यात्रा में हम सभी पूर्ण सहयोग देंगे।
 
‌डॉ. विकास दवे ने अपने उद्बोधन में कहा कि क्षितिज का वार्षिक सम्मेलन हम सभी को उर्जा से भर देता है। यहाँ लघुकथा का लघु भारत देखने को मिलता है। किसी भी विधा को मान्यता रचनाकार देते हैं, अकादमियाँ नहीं। हम तो रचनाओं और रचनाकारों का सम्मान करते हैं। लघुकथा का अपना स्वरूप है, अपना सौष्ठव है। मैंने अपने जीवन में कविता, कहानी को तो नहीं लघुकथा को संघर्ष करते देखा है। और वर्षों की संघर्ष का परिणाम है कि यदि आज सभी विधाओं में प्रकाशन की प्रतियोगिता हो तो निश्चित रूप से लघुकथा ही अव्वल आएगी।
 
दवेजी ने कहा कि लघुकथा में निरंतर होने वाले शोध मील का पत्थर साबित हो रहे हैं। साझा संकलन लघुकथा को नई ऊंचाइयां दे रहे हैं। लघुकथा बाल साहित्य का भी हिस्सा है। हाल ही में क ई लघुकथा संग्रह के अनुवाद भी प्रकाशित हु ए। नयी शिक्षा नीति में लोक भाषाओं को महत्व दिया गया है। लोक भाषाओं में भी लघुकथा के अनुवाद आने चाहिए। रंगकर्मियों ने लघुकथा को मंच प्रदान कर चिरंजीवी बना दिया है।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

Diwali Sweets: दिवाली की खास 10 परंपरागत मिठाइयां