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JNU हिंसा मामले में नया मोड़, हिंदू रक्षा दल ने हमले की जिम्मेदारी, नकाबपोश गिरफ्त से बाहर

JNU हिंसा मामले में नया मोड़, हिंदू रक्षा दल ने हमले की जिम्मेदारी, नकाबपोश गिरफ्त से बाहर
, मंगलवार, 7 जनवरी 2020 (08:14 IST)
JNU हिंसा मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस ने भी अब ये मान लिया है कि हिंसा के लिए एक बड़ी साजिश रची गई थी। पुलिस ने हिंसा को लेकर 50 अज्ञात नकाबपोशों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। वहीं हिंसा के दो दिन बाद तक अब तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
 
इस बीच JNU में हिंसा की पूरी जिम्मेदारी हिंदू रक्षा दल नाम के संगठन ने ली है। खुद को हिंदू रक्षा दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष बताने वाले भूपेंद्र तोमर उर्फ पिंकी चौधरी ने बकायदा एक वीडियो जारी कर JNU हिंसा की पूरी जिम्मेदारी ली है। वीडियो जारी करते हुए पिंकी चौधरी ने कहा कि रविवार शाम JNU में पिटाई करने वाले उनके कार्यकर्ता थे। पिंकी चौधरी ने JNU को देश विरोधी गतिविधियों का केंद्र बताते हुए कहा कि अगर कोई भी देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होगा तो उसको इसी तरह जवाब दिया जाएगा। उन्होंने JNU को कई सालों से कम्युनिस्टों का अड्डा बताते हुए कहा कि वहां पर उनके धर्म के खिलाफ बोला जाता है।
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अपने वीडियो में पिंकी चौधरी ने दावा किया कि JNU में रविवार को जो भी घटना हुई उसको उनके कार्यकर्ताओं ने अंजाम दिया। अपने वीडियो में भूपेंद तोमर उर्फ पिंकी चौधरी ने चेतावनी दी कि देश विरोधी गतिविधियां हिंदू रक्षा दल बर्दाश्त नहीं करेगा और अपने धर्म की रक्षा के लिए जान देने के लिए भी तैयार है।

उन्होंने कहा कि आगे अगर किसी ने देश विरोधी गतिविधियां करने की कोशिश की तो आगे भी यूनिवर्सिटी में  ऐसी कार्रवाई को अंजाम देंगे। उन्होंने कहा कि जो भी धर्म के खिलाफ बोलेगा उसको बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और आगे भी उसको सबक सिखाएंगे।
 
पिंकी चौधरी पहले भी उस वक्त सुर्खियों आया था जब उसने अपने कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दफ्तर पर पथराव किया था। इसके साथ पिंकी चौधरी कई अन्य मामलों में पहले भी आरोपी रह चुका है। 
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दिल्ली पुलिस ने अज्ञात नकाबपोशों के खिलाफ दर्ज किया मामला : दिल्ली पुलिस ने जेएनयू परिसर में दंगा करने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में अज्ञात नकाबपोशों के खिलाफ सोमवार को प्राथमिकी दर्ज की।
 
प्राथमिकी के अनुसार छात्र बढ़े हुए छात्रावास शुल्क के विरोध में पिछले कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे थे। उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार विश्वविद्यालय के प्रशासनिक ब्लॉक के 100 मीटर के दायरे में किसी तरह के प्रदर्शन की अनुमति नहीं है।
 
शिकायत में कहा गया कि रविवार को दोपहर 3 बजकर 45 मिनट पर पुलिस निरीक्षक की अगुवाई वाली एक टीम को सूचना मिली कि पेरियार हॉस्टल में कुछ छात्र इकट्ठा हो गए हैं और उनके बीच झगड़ा हो रहा है। वे छात्रावास की इमारत में भी तोड़फोड़ कर रहे हैं। 
 
पुलिस निरीक्षक की अगुवाई वाली यह टीम प्रशासनिक ब्लॉक में तैनात थी। जानकारी मिलने पर पुलिस निरीक्षक पेरियार हॉस्टल पहुंचे और उन्होंने देखा कि 40 से 50 लोग हाथों में डंडे लिए थे और छात्रों को पीट रहे थे, छात्रावास में तोड़फोड़ कर रहे थे। इनमें से कुछ के चेहरे ढंके हुए थे।
 
प्राथमिकी में आगे कहा गया कि जेएनयू प्रशासन ने उन्हें विश्वविद्यालय के अंदर हिंसा को रोकने का आग्रह किया जिसके बाद पुलिस परिसर के भीतर घुसी। अतिरिक्त पुलिसकर्मियों को बुलाना पड़ा और छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील की गई। पुलिस को हिंसा के संबंध में और पीसीआर कॉल प्राप्त हुईं।
 
इसमें आगे कहा गया कि शाम 7 बजे के करीब सूचना मिली कि साबरमती हॉस्टल में कुछ लोग घुस आए हैं और छात्रों को पीट रहे हैं। वहां 50 से 60 लोग हाथों में डंडे लिए हुए थे। उनसे तत्काल मारपीट बंद करने और परिसर से चले जाने को कहा गया, लेकिन उन्होंने इमारत में तोड़फोड़ जारी रखी और छात्रों के साथ मारपीट करते रहे। कुछ देर बाद वे भाग गए और घायल छात्रों को अस्पताल ले जाया गया। अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है।

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