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होम्योपैथी: इलाज या अंधविश्वास

होम्योपैथी: इलाज या अंधविश्वास
, मंगलवार, 13 अगस्त 2019 (11:53 IST)
होम्योपैथी को अक्सर इलाज का एक बेहतर तरीका बताया जाता है। लेकिन वैज्ञानिक इसे खारिज करते हैं। वो होम्योपैथी को फर्जी करार देते हैं।
 
क्या है होम्योपैथी
होम्योपैथी इलाज का एक तरीका है, जिसे 200 साल पहले जर्मन डॉक्टर जामुऐल्स हानेमन खोजा। होम्योपैथी के डॉक्टर रोग के लक्षण खोजकर ऐसी दवा देते हैं जो वैसे ही लक्षण पैदा करे। लेकिन वह खुराक इतनी कम देते हैं कि शरीर में दवा का सुराग लगाना मुश्किल हो जाता है।
 
खुराक के पीछे सोच
हानेमन को लगता था कि सक्रिय तत्वों से बनी खुराक शरीर में "ऊर्जा की तरह" असर करती है। बारीक करने के लिए तत्वों को पारंपरिक रूप से हिलाया भी जाता है। होम्योपैथी के डॉक्टरों के मुताबिक हिलाने से हुआ कंपन खुराक में समा जाता है। विज्ञान इसे नहीं मानता।
 
छोटी छोटी बॉल
होम्योपैथी की खुराक कई तत्वों से बनती है। दवा बनाने के लिए अक्सर आर्सेनिक और प्लूटोनियम जैसे बेहद विषैले रसायन भी इस्तेमाल किये जाते हैं। पोटैशियम सायनाइड और मर्करी सायनाइड जैसे तत्व भी होम्योपैथी का हिस्सा है। होम्योपैथी दवाएं बनाने में जड़ी बूटियों, मक्खियों, जुओं, सांप के जहर, कुत्ते की लार या कैंसर कोशिकाओं का भी इस्तेमाल होता है।
 
मरीज को कितनी जानकारी
मरीज को सूचना देना डॉक्टर का दायित्व है। लेकिन आम तौर पर ज्यादातर रोगियों को पता नहीं होता कि होम्योपैथ ने उन्हें क्या दिया है। मेडिकल स्टोर में तो दवा का सिर्फ लैटिन नाम होता है। जर्मनी में आलोचक होम्योपैथी की दवाओं की विस्तार से जानकारी देने की मांग कर रहे हैं।
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कैसे काम करती है गोली
होम्योपैथी दवा के केंद्र में क्रिस्टल शुगर होती है, जो उसे गोल आकार देती है। इसे ग्लोबुली भी कहा जाता है। तरल अवस्था में होम्योपैथी दवा में पानी और अल्कोहल से ज्यादा शायद ही कुछ होता है। हालांकि प्राकृतिक क्रियाओं का असर इस पर हो सकता है। ये गोलियां घातक नहीं होतीं।
 
होम्योपैथी का खतरा
बेअसर मानी जाने वाली होम्योपैथी के चक्कर में पड़कर लोग समय बर्बाद करते हैं। कैंसर जैसे मामलों में इलाज जितना जल्द शुरू हो, उतना फायदा होता है। बेहतर है कि जरूरी टेस्ट कराए जाएं और बीमारी का ठीक ठीक पता लगाकर असरदार इलाज शुरू किया जाए।
 
होम्योपैथी का मनोविज्ञान
होम्योपैथ अक्सर अपने मरीज से कई घंटे तक लंबी बातचीत करते हैं। वे रोगी का मनोविज्ञान समझ लेते हैं और फिर मनोचिकित्सक की तरह काम करते हैं। वे रोगी को भरोसा दिला देते हैं कि वह ठीक हो जाएगा। कई मामलों में ऐसा होता भी है। मानसिक ताकत रोगमुक्त बना देती है। लेकिन कैंसर, हार्ट प्रॉब्लम, शुगर या चोट जैसी स्थिति में होम्योपैथी बेअसर है।
 

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