इस्लामाबाद। नौसेना की क्षमता और समुद्री सुरक्षा को दुरुस्त करने के लिए पाकिस्तान ने चीन से आठ पनडुब्बियां खरीदने का फैसला किया है। वहीं, दूसरी ओर आतंकवाद के विरूद्ध उसके जर्ब-ए-अज्ब सैनिक अभियान के चलते अमेरिका सैनिक सहायता में लगातार वृद्धि कर रहा है। आशा की जाती है कि वह पाकिस्तान को अगले कुछ दिन में 33 करोड़ 70 लाख डॉलर की सहायता देगा। यानि लगभग 21 अरब रुपए।
ओबामा प्रशासन ने कांग्रेस को अधिसूचित किया है कि वह 15 दिन के नोटिस की अनिवार्य अवधि समाप्त होने के बाद पाकिस्तान को सैनिक सहायता की अतिरिक्त रकम जारी करने का इच्छुक है। यह जानकारी अमरीका के वित्त मंत्रालय ने दी है। पाकिस्तान को पहले यह उम्मीद थी कि अमरीका 30 जून से पहले सैनिक सहायता की रकम जारी कर देगा।
आतंकवाद के खिलाफ जंग लड़ रहे सहयोगी देश के तौर पर पाकिस्तान को अमेरिका से जो मदद दी जाती है उसे कोएलीशन सपोर्ट फंड कहा जाता है। साल 2001 से अब तक पाकिस्तान को इस फंडसे करीब 13 बिलियन डॉलर की मदद दी जा चुकी है। हालांकि अमेरिकी कांग्रेस ने दो वर्ष पूर्व ही इस आशय की रिपोर्ट सदन में रखी थी कि पाकिस्तान को जो सहायता दी जाती है उसका उपयोग वह कश्मीर में आतंकवाद फैलाने में करता है।
दूसरी ओर, चीन की पोत निर्माण कंपनी के अध्यक्ष शू जिकिन और पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक डार के बीच यह सैद्धांतिक बनी है।
सूत्रों के मुताबिक बीजिंग में उच्च स्तर पर समीक्षा के बाद ही समझौते पर औपचारिक तौर पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। इस समझोते के चार से पांच बिलियन डॉलर के बीच होने की बात कही जा रही है। इसपर अंतिम मुहर लगने के बाद पाकिस्तान को 4 किश्तों में भुगतान करना होगा और आने वाले कुछ वर्षो में चीन इन पनडुब्बियों को मुहैया कराएगा।
बैठक के बाद इशाक डार ने चीनी पोत निर्माण कंपनी के प्रतिनिधिमंडल की पाकिस्तान यात्रा से दोनों देशों के द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों में और मजबूती आने की बात कही। शू जिकिन ने रक्षा सौदों को अंजाम तक पहुंचाने में डार की भूमिका की सराहना भी की। अप्रैल में ही चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की इस्लामाबाद यात्रा के दौरान पनडुब्बी खरीद करार होने की बात कही जा रही थी।