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इस सतरंगी पगड़ी में क्या है खास जो ओबामा ने भी इसे ट्वीट किया

इस सतरंगी पगड़ी में क्या है खास जो ओबामा ने भी इसे ट्वीट किया
, गुरुवार, 6 जून 2019 (11:51 IST)
जीवनदीप की सतरंगी पगड़ी को लोग बहुत पसंद कर रहे हैं। ट्विटर पर एक लाख से ज्यादा लोगों ने उनकी यह तस्वीर पसंद की है।
 
 
जीवनदीप कोहली अमेरिका के सैन डियागो में रहते हैं। वो क्लीनिकल साइकोलॉजी के छात्र हैं और बाइसेक्सुअल हैं। कैलिफॉर्निया में आयोजित हुई प्राइड परेड  में उन्होंने हिस्सा लिया। वहां उन्होंने अपनी पारंपरिक सिख पगड़ी में इंद्रधनुष जैसे रंगों को जगह दी। इसकी तस्वीर उन्होंने ट्वीट की और यह वायरल हो गई।
 
अपनी तस्वीर को ट्वीट कर जीवनदीप ने लिखा, "मुझे दाढ़ी वाला बाइसेक्सुल मनोविज्ञानी होने पर गर्व है। मैं अपनी पहचान के सभी आयामों को व्यक्त कर पाने पर खुद को भाग्यशाली मानता हूं। और मैं कोशिश करता रहूंगा कि ऐसी ही स्वतंत्रता दूसरे लोगों को दिलवाना सुनिश्चित कर सकूं। #PrideMonth #PrideTurban #LoveIsLove'
 
उनका यह ट्वीट वायरल हो गया। अब तक इसे 15 हजार से भी ज्यादा लोगों ने रिट्वीट और 1 लाख से भी ज्यादा लोगों ने लाइक किया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबमा ने भी जीवनदीप के इस फोटो के जवाब में ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, "आपके पास गर्व करने के लिए बहुत कुछ है जीवनदीप। इस देश में समानता लाने की कोशिश करने के लिए आपका शुक्रिया। वैसे पगड़ी बहुत अच्छी लग रही है। सभी को प्राइड मंथ की शुभकामनाएं।"
 
ओबामा के ट्वीट के जवाब में जीवनदीप ने कहा, "मैं बहुक बड़बोला किस्म का हूं लेकिन आज मेरे पास शब्द नहीं हैं। आपके समर्थन और तारीफ के लिए शुक्रिया मिस्टर ओबामा। अगर मैं कभी इसे पेस्ट्री खिला कर चुका सकूं तो मुझे जरूर बताएं।"
 
ओबामा के अलावा दुनिया भर से कई हस्तियों ने जीवनदीप के इस फोटो को शेयर किया है। साथ ही एलजीबीटीक्यू समूह के बीच उनका यह फोटो काफी चर्चा में है। लोग उनकी पगड़ी को प्राइड टरबन का नाम भी दे रहे हैं।

क्या है प्राइड मंथ
प्राइड मंथ स्टोनवॉल दंगों की याद में मनाया जाता है। अमेरिका के मैनहेट्टन के ग्रीनविच गांव के पास स्टोनवॉल होटल में 28 जून 1969 को पुलिस ने छापेमारी की थी। उस समय अमेरिका में समलैंगिक विरोधी माहौल था। इस छापेमारी का उद्देश्य भी इसी माहौल से जुड़ा माना गया। ग्रीनविच गांव को उस समय उदारवादियों का गांव माना जाता था। लेकिन यहां हुई पुलिस छापेमारी के विरोध में भारी संख्या में समलैंगिक समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए थे।
 
इन दंगों के बाद से जून को प्राइड मंथ मान लिया गया। इसका श्रेय ब्रेंडा हॉवर्ड को जाता है जिन्होंने पहली बार प्राइड परेड का आयोजन किया। प्राइड परेड में समलैंगिक लोग जलसा निकालते हैं। जून के महीने में दुनियाभर में ऐसी परेड निकलती हैं। यह परेड समलैंगिकों को समान अधिकार और समाज में समानता के लिए निकाली जाती है।

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