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अफगानिस्तान के आधे जिलों पर तालिबानी आतंकियों का कब्जा

अफगानिस्तान के आधे जिलों पर तालिबानी आतंकियों का कब्जा
, गुरुवार, 22 जुलाई 2021 (08:52 IST)
मुख्य बिंदु
  • अमेरिकी सेना के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष मार्क मिले का दावा
  • अफगानिस्तान के आधे जिलों पर तालिबान का कब्जा
  • 212 से 214 जिला मुख्यालय तालिबानी आतंकवादियों के नियंत्रण में
  • 34 प्रांतीय राजधानियों में से किसी पर भी तालिबान का कब्जा नहीं
 
वाशिंगटन। अमेरिकी सेना के ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष मार्क मिले ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि अफगानिस्तान में लगभग आधे जिला मुख्यालय तालिबानी आतंकवादियों के कब्जे में हैं।
 
उन्होंने कहा कि लगभग 212 से 214 जिला मुख्यालय तालिबानी आतंकवादियों के नियंत्रण में हैं, जो कुल जिलों 419 के लगभग आधा हैं।
 
उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि तालिबानी आतंकवादियों का पक्ष भारी है क्योंकि उन्होंने पिछले 6 महीनों में एक महत्वपूर्ण क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने हालांकि 34 प्रांतीय राजधानियों में से किसी पर भी कब्जा नहीं किया है।

पेंटागन ने कहा है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों की वापसी की प्रक्रिया 95 प्रतिशत पूरी हो चुकी है और यह 31 अगस्त तक समाप्त हो जाएगी। मिले के साथ मौजूद अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि अमेरिकी सेना के प्रयास तालिबान पर नहीं, बल्कि आतंकवादी खतरों से निपटने पर केंद्रित होंगे। अमेरिका 11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर हमला करने वाले अलकायदा पर नजर रखेगा।
 
ऑस्टिन ने कहा कि तालिबान ने 2020 में संकल्प किया था कि वह भविष्य में अफगानिस्तान को अलकायदा के लिए पनाहगाह नहीं बनने देगा और उन्होंने उम्मीद जताई कि तालिबान अपना संकल्प याद रखेगा।
 
पाकिस्तान की टिप्पणी से अफगानिस्तान नाराज : अफगानिस्तान ने इस्लामाबाद स्थित अपने दूतावास के राजदूत की बेटी के अपहरण को लेकर पाकिस्तान के गृहमंत्री शेख राशिद अहमद की 'गैर-पेशेवर' टिप्पणी करने पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि 'एकतरफा बयान' और 'गैर-पेशेवर पूर्वाग्रह' चल रही जांच को लेकर सवाल खड़े करेंगे।
 
अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि जब तक जांच प्रक्रिया समाप्त नहीं हुई है और अपराधियों को गिरफ्तार नहीं किया गया है, एकतरफा बयानों और गैर-पेशेवर पूर्वाग्रहों की निरंतरता जांच की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा कर सकती है और इसके परिणामस्वरूप अविश्वास में वृद्धि होगी।
 
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के गृह मंत्री ने अफगानिस्तान और भारत पर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पाकिस्तान को बदनाम करने का आरोप लगाया था। उन्होंने यह भी कहा था कि अधिकारियों को अफगानिस्तान के राजदूत की बेटी के अपहरण का कोई सबूत नहीं मिला है।
 

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