नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के साथ सेना की मुठभेड़ की बढ़ती घटनाओं के बीच रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सेना और सुरक्षा बल नियंत्रण रेखा पर आतंकवादियों के ऊपर दबदबा बनाए हुए है तथा सेना उन पर भारी पड़ रही है।
जेटली ने यहां संवाददाताओं के सवालों के जवाब में कहा कि वह आतंकवाद से निपटने की रणनीतिक योजना का खुलासा तो नहीं करेंगे लेकिन इतना जरूर है कि पिछले दो सप्ताह में सेना और सीमा सुरक्षा बल ने नियंत्रण रेखा पर आतंकवादियों पर बेहद अधिक दबाव बनाया है और सीमा पार से आने वाले तथा राज्य में सक्रिय आतंकवादियों पर इन का दबदबा बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि पिछले दो सप्ताह में हुई मुठभेड़ भी इस बात की गवाह हैं कि सेना आतंकवादियों पर भारी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि राज्य के भीतर भी केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल और राज्य पुलिस ने आतंकवादियों पर दबाव बनाया हुआ है।
पाकिस्तान के साथ वार्ता से जुडे सवाल पर उन्होंने कहा कि भारत ने समय- समय पर रिश्तों को सुधारने और पडोसी देश के साथ तनाव दूर करने के लिए कई कदम उठाए हैं। पिछले वर्ष विदेश यात्रा से लौटते समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिलने के लिए लाहौर में उतरना इन्हीं प्रयासों की एक कड़ी है।
उन्होंने कहा कि लेकिन पाकिस्तान ने कभी इन पहलों का सकारात्मक जवाब नहीं दिया और इनके बदले भारत को पठानकोट और उरी जैसे हमलों का सामना करना पड़ा, जिससे वार्ता का उचित माहौल नहीं बन सका।
जम्मू कश्मीर के बारे में उन्होंने कहा कि दक्षिण कश्मीर में भले ही स्थिति कुछ चुनौतीपूर्ण हो बाकी राज्य में माहौल कुल मिलाकर शांतिपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राज्य में पडौसी देश और आतंकवाद की चुनौती से इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन इससे निपटने के लिए सेना की तैयारियों में किसी तरह की कमी नहीं है।
सशस्त्र सेनाओं के लिए खरीदारी से जुडे सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार ने रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने के बाद अब घरेलू निजी क्षेत्र के दरवाजे भी खोले हैं। उन्होंने कहा कि एफडीआई के साथ शर्त यह है कि इसकी अनुमति खरीद के आर्डर के साथ ही मिलेगी। उन्होंने कहा कि सामरिक भागीदारी मॉडल रक्षा क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देगा। (वार्ता)