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बांग्लादेश से भारत लौटे छात्रों ने हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बारे में क्या बताया

indians came from bangladesh

BBC Hindi

, रविवार, 21 जुलाई 2024 (07:59 IST)
बांग्लादेश में बीते कुछ दिनों से चल रहे विरोध प्रदर्शनों के हिंसक रूप लेने के बाद वहां पढ़ाई करने के लिए गए भारतीय छात्र अब वापस लौट रहे हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, अब तक 700 से अधिक छात्रों को भारत लाया गया है और वहां फंसे और भारतीयों को वापस लाने के लिए सरकार बांग्लादेश के अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रही है। ALSO READ: बांग्लादेश में आरक्षण विरोध की जड़ें कितनी पुरानी हैं
 
बांग्लादेश में रह रहे कई भारतीय खुद भी सड़क मार्ग के ज़रिए भारत की सीमा तक पहुंच रहे हैं। भारत सरकार ने वहां रह रहे भारतीयों की मदद के लिए इमर्जेंसी फ़ोन नंबर भी जारी किए हैं।
 
शुक्रवार को बांग्लादेश के कई शहरों में हुई भीषण हिंसा को देखते हुए वहां सरकार ने देशव्यापी कर्फ्यू लगा दिया था, जो रविवार सवेरे तक लागू रहेगा। वहां इंटरनेट और फ़ोन सेवाएं बंद कर दी गई हैं। बीएसएफ़ के डीआईडी ने कहा है कि त्रिपुरा की सीमा के रास्ते अब तक 150 छात्र भारत लौट चुके हैं।
 
सत्ताधारी अवामी लीग के जनरल सेक्रेटरी ने कहा है कि रविवार सवेरे तक शूट एट साइट के आदेश लागू रहेगा। अब तक बांग्लादेश में हुए आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों में सौ से अधिक लोगों की जान गई है और कई घायल हैं। इन विरोध प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था से नाराज़ छात्र शामिल हैं।
 
उनका कहना है कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण को ख़त्म कर दिया जाए और नौकरियां मैरिट के आधार पर मिले।
 
क्या हैं ताज़ा हालात?
बांग्लादेश में नौकरियों में आरक्षण के विरोध में छात्रों का प्रदर्शन सोमवार से चल रहा है। लेकिन गुरुवार को प्रदर्शनों के दौरान हिंसा काफी बढ़ गई।
 
शुक्रवार को छात्रों और सुरक्षाबलों के बीच हुई हिंसक झड़पों के बाद शनिवार को वहां कई शहरों में सड़कें सुनसान हैं और सुरक्षाबल गश्त लगा रहे हैं। कहीं-कहीं पर छिटपुट झड़पें होने की भी ख़बरें हैं।
 
राजधानी ढाका के रामपुरा में एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि यहां बाहर निकले हज़ारों प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने गोलियां चलाई हैं। इस घटना में एक व्यक्ति घायल हुआ है। एक प्रदर्शनकारी का कहना है कि पुलिस "इस तरह लोगों पर गोलियां चला रही है, जैसे लोग पक्षी हों।"
 
विरोध प्रदर्शनों के चलते बांग्लादेश में हाई सिक्योरिटी एलर्ट जारी किया गया है। राजधानी ढाका में इंटरनेट ब्लैकआउट है, फ़ोन लाइंस बंद हैं, कई जगहों पर बस और ट्रेन सेवाएं भी रोक दी गई हैं। पूरे बांग्लादेश में स्कूल और विश्वविद्यालय भी अगले आदेश तक बंद कर दिए गए हैं।
 
बीबीसी संवाददाता चार्ल्स हाविलैंड ने बताया, "पुलिस का कहना है कि ढाका में हज़ारों लोगों के साथ पुलिस का झड़प हुई जिनमें कई पुलिसकर्मी घायल हुए। क़रीब 150 पुलिसकर्मियों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।"
 
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि बॉर्डर गार्ड्स ने युवाओं पर गोलियां चलाई थी, और एक मामले में पुलिस ने अपनी गाड़ी से एक मृतक छात्र का शव निकाल कर फेंका था।
 
अब तक मिली ख़बरों के अनुसार विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं, देश में इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगाई गई है।
 
वहां से वतन लौटे भारतीयों ने क्या कहा
बीबीसी के सहयोगी पत्रकार पिनाकी दास ने अगरतला-अंखौरा चेकपोस्ट पर बांग्लादेश से लौट रहे कुछ भारतीय छात्रों से मुलाक़ात की। इनमें से अधिकतर त्रिपुरा की सीमा से सटे बांग्लादेश के ब्राह्मणबेरिया ज़िले से लौट रहे छात्र थे। ये छात्र वहां के ब्राह्मणबेरिया मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के लिए गए थे। वो कहते हैं इसके अलावा इसी ज़िले के घाटुरा मेडिकल कॉलेज के 36 छात्र भी इसी रास्ते भारत वापिस भारत लौटे हैं।
 
हरियाणा की प्रकृति बांग्लादेश के एक मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही हैं। वो कहती हैं, "वहां स्थिति फिलहाल ठीक है, हमें होस्टल से ही रहने को और बाहर न निकलने को कहा गया था और किसी भी स्थिति में तुरंत संपर्क करने को कहा गया था।"
 
उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन और कॉलेज प्रशासन ने उनकी मदद की। उन्होंने कहा, "उन्होंने कॉलेज की वैन में हमें कुछ दूर तक ड्रॉप किया, फिर पुलिस की कारें हमारे साथ आ रही थीं। हम लोग सुरक्षित यहां तक पहुंच सके।"
 
ब्राह्मणबेरिया मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई कर रहे मेघालय के सृजन सेन कहते हैं, "हमारे कॉलेज में स्थिति ख़राब नहीं थी, लेकिन बाहर स्थिति ख़राब है। हमारे सीनियर्स ने हमसे बाहर जाने के लिए मना किया था। हमें पासपोर्ट मिला तो हम लोग वापिस आ गए। अभी और लोग भी भारत आ रहे हैं।"
 
"वहां पर क़रीब 80 भारतीय बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। हमने दूतावास से बात की थी और अपने पासपोर्ट नंबर उनके पास भेजे दिए थे। दूतावास के लोग शायद उन्हें लेकर आएं।"
 
असम के राहुल बताते हैं, "महीना भर पहले हम लोग वहां गए थे। हम वहां होस्टल में थे जहां हालात बुरे नहीं थे। हम सुरक्षित थे और हॉस्टेल में खाने-पीने को भी मिल रहा था। लेकिन दो-तीन दिन पहले कॉलेज ने नोटिस दिया कि कॉजेल अनिश्चितकाल के लिए बंद रहेगा। ढाका और चटगांव में अधिक हिंसा होने की बात हमने सुनी है, लेकिन इंटरनेट बंद होने के कारण हमें सही स्थिति की अधिक जानकारी नहीं थी।"
 
"लेकिन फ़ोन और इंटरनेट लाइनें बंद कर दी गईं जिसके बाद हम अपने घरों को फ़ोन नहीं कर पाए। हम लोग पैनिक करने लगे। जैसे ही कॉलेज ने पासपोर्ट लौटाया, हम तुरंत वापिस आ गए।"
 
वहीं असम के रायमा सिमरेगा कहते हैं, "कॉलेज बंद है और हमें ये नहीं पता कि कब तक कॉलेज खुलेगा, वहां इंटरनेट भी बंद है इसलिए हम लोग वापिस लौट आए।"
 
ब्राह्मणबेरिया से लौट रहे एक शकीबुल हक़ ने बताया, "ये सीमा के पास का ज़िला है और हमारे पास भारतीय सिम कार्ड था जिसमें हमें भारतीय नेटवर्क मिल रहा था।"
 
"कॉलेज की छत से हमें इस नंबर से नेटवर्क मिल रहा था। हमने इसी की मदद से हमने दूतावास से बात की और उनसे मदद ली। जिसके बाद हम लोग वहां से निकल आए। कॉलेज ने भी हमारी मदद की।"
 
बीएसएफ़ के डीआईजी राजीव अग्निहोत्री
बीएसएफ़ के डीआईजी राजीव अग्निहोत्री ने बताया, "बांग्लादेश में मौजूदा हालात के कारण बांग्लादेश में अलग-अलग कॉलेजों में पढ़ रहे भारतीय छात्र लौट रहे हैं।"
 
"शुक्रवार और शनिवार को लगभग 150 छात्र त्रिपुरा की सीमा तक पहुंचे हैं। हम उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में और छात्र यहां आ सकते हैं।"
 
"बीएसएफ़ के वरिष्ठ अधिकारी, अन्य अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं और छात्रों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे है।"
 
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भारतीयों को वापिस लाने में लगा विदेश मंत्रालय
भारतीय विदेश मंत्रालय ने शनिवार को एक बयान जारी कर रहा है कि बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शनों के बीच वहां रह रहे भारतीयों को वापस लाने की कोशिश कर रहा है।
 
बयान में कहा गया है कि बांग्लादेश में बीते दिनों से चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच राजधानी ढाका में मौजूद हाई कमिश्नर और चटगांव, राजशाही, सिलहट और खुलना में मौजूद असिस्टेंट हाई कमिश्नर वहां बसे भारतीयों को वापिस लाने के काम में मदद कर रहे हैं।
 
हाई कमिश्नर और असिस्टेंट हाई कमिश्नर्स स्थानीय अधिकारियों के साथ कोऑर्डिनेट कर ज़रूरी कदम उठा रहे हैं ताकि भारत-बांग्लादेश सीमा पर बॉर्डर क्रॉसिंग प्वाइंट से होते हुए भारतीय सुरक्षित भारत पहुंच सकें।
 
इसके अलावा भारतीयों को सुरक्षित लाने के लिए विदेश मंत्रालय नागरिक उड्डयन, इमिग्रेशन, बंदरगाहों और बीएसएफ़ के अधिकारियों के साथ भी समन्वय कर रहा है।
 
विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, अब तक 778 भारतीय छात्रों को सड़क मार्ग के ज़रिए वापस भारत लाया जा चुका है। इसके अलावा ढाका और चटगांव हवाई अड्डों के रास्ते क़रीब 200 छात्र लौटे हैं।
 
भारतीय हाई कमिश्नर और असिस्टेंट हाई कमिश्नर्स बांग्लादेश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में रह रहे 4,000 से अधिक छात्रों के साथ लगातार संपर्क में हैं और उन्हें ज़रूरी मदद दे रहे हैं। बयान में ये भी कहा गया है कि नेपाल और भूटान के छात्रों को भी भारत में प्रवेश करने की अनुमति दी जा रही है।
 
भारतीय नागरिकों और छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हाई कमिश्नर और असिस्टेंट हाई कमिश्नर्स बांग्लादेश के अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं। बंदरगाहों के रास्ते लौटने के दौरान सड़क मार्ग से उनके सफर के लिए जहां ज़रूरी हो, सुरक्षा एस्कॉर्ट की भी व्यवस्था की गई है।
 
इसके अलावा ढाका में मौजूद हाई कमिश्नर बांग्लादेश के नागरिक उड्डयन अधिकारियों और वाणिज्यिक एयरलाइनों के साथ भी संपर्क में हैं ताकि ढाका और चटगांव के बीच निर्बाध उड़ान सेवा चलती रहे और भारतीय नागरिक घर लौटने के लिए इनका इस्तेमाल कर सकें।
 
इससे पहले भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि बांग्लादेश में रह रहे सभी भारतीय नागरिक सुरक्षित हैं।
 
उन्होंने कहा "बांग्लादेश में क़रीब 8,500 भारतीय छात्र और क़रीब 15,000 भारतीय नागरिक हैं। उनकी सुरक्षा लेकर दूतावास सक्रिय है और लोगों से कहा गया है कि हाई कमीशन से संपर्क में रहें।"
 
क्या है मामला
बांग्लादेश में 1971 के मुक्ति युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों के बच्चों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण है, जिसका यूनिवर्सिटी के छात्र विरोध कर रहे हैं। बांग्लादेश में 1971 में पाकिस्तान से आज़ादी की जंग लड़ने वालों को मुक्ति योद्धा कहा जाता है।
 
यहां एक तिहाई सरकारी नौकरियां मुक्ति युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों के बच्चों के लिए आरक्षित हैं। इसी के ख़िलाफ़ यूनिवर्सिटी के छात्र बीते कुछ दिनों से रैलियां निकाल रहे थे। छात्रों का कहना है कि आरक्षण की ये व्यवस्था भेदभावपूर्ण है, नौकरी मैरिट के आधार पर दी जानी चाहिए।
 
बांग्लादेश में 2018 में इस व्यवस्था को ख़त्म किया गया था, लेकिन ढाका हाई कोर्ट ने अधिकारियों को आरक्षण व्यवस्था फिर से लागू करने का आदेश दिया, जिसके बाद इसे लेकर विरोध शुरू हुआ।
 
बुधवार को प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद ये विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए। शेख़ हसीना ने आंदोलनकारियों से न्यायिक प्रक्रिया पर भरोसा रखने का आग्रह करते हुए कहा कि अदालत के ज़रिए 'इंसाफ़' ज़रूर मिलेगा।
 
आरक्षण विरोधी प्रदर्शनकारियों ने उनके के भाषण को खारिज़ कर दिया और 'पूर्ण बंद' का आह्वान किया। इसी के बाद विभिन्न इलाक़ों में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए।

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