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क्‍या होता है प्‍लेन में लगा Black Box, क्‍यों जांच एजेंसियां हर हादसे के बाद इसी ब्‍लैक बॉक्‍स का पता लगाती हैं?

क्‍या होता है प्‍लेन में लगा Black Box, क्‍यों जांच एजेंसियां हर हादसे के बाद इसी ब्‍लैक बॉक्‍स का पता लगाती हैं?
, गुरुवार, 9 दिसंबर 2021 (12:19 IST)
किसी भी प्‍लेन हादसे में ब्‍लैक बॉक्‍स की अहम भूमि‍का होती है। यह हवाई जहाज का बेहद महत्‍वपूर्ण पार्ट होता है। हाल ही में हुए हादसे में जनरल बिपिन रावत समेते उनकी पत्‍नी और कई लोगों की मौत हो गई। क्‍या जांच एजेंसियां इस इस हादसे में भी ब्‍लैक बॉक्‍स की मदद से हादसे का पता लगाएगी।

जब भी कोई विमान हादसा या प्‍लेन क्रेश (Plane Crash) होता है तो जांच एजेंसियों दवारा जो काम सबसे किया जाता है वो है ब्लैक बॉक्स को ढूंढना।

क्‍यों हादसे के दौरान प्‍लेन का यह ब्‍लैक बॉक्‍स इतना अहम है, आखिर क्‍यों सबसे पहले जांच में उसी बॉक्‍स को खोजकर उसकी जांच की जाती है।

दरअसल ब्‍लैक बॉक्‍स हवाई जहाज का सबसे अहम अंग होता है, खासतौर से हादसे के वक्‍त। यह बॉक्‍स दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए बेहद अहम भूमिका निभाता है।

हवाई जहाज का ब्लैक बॉक्स या फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर, विमान में उड़ान के दौरान विमान से जुडी सभी तरह की गतिविधियों जैसे विमान की दिशा, ऊंचाई, ईंधन, गति हलचल, केबिन का तापमान इत्यादि सहित 88 प्रकार के आंकड़ों के बारे में 25 घंटों से अधिक की रिकार्डेड जानकारी एकत्रित रखता है।

ब्लैक बॉक्स क्या होता है?
‘ब्लैक बॉक्स' हर किसी प्लेन का सबसे जरूरी हिस्सा होता है। ब्लैक बॉक्स सभी प्लेन में रहता है चाहें वह पैसेंजर प्लेन हो, कार्गो या फाइटर। यह वायुयान में उड़ान के दौरान विमान से जुडी सभी तरह की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने वाला उपकरण होता है।

इसे या फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर भी कहा जाता है। इस बॉक्स को सुरक्षा की दृष्टि से विमान के पिछले हिस्से में रखा जाता है। ब्लैक बॉक्स बहुत ही मजबूत मानी जाने वाली धातु टाइटेनियम का बना होता है और टाइटेनियम के ही बने डिब्बे में बंद होता है ताकि ऊंचाई से जमीन पर गिरने या समुद्री पानी में गिरने की स्थिति में भी इसको कम से कम नुकसान हो।

फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर: इसमें विमान की दिशा, ऊंचाई (altitude) , ईंधन, गति (speed), हलचल (turbulence), केबिन का तापमान इत्यादि सहित 88 प्रकार के आंकड़ों के बारे में 25 घंटों से अधिक की रिकार्डेड जानकारी एकत्रित रखता है। यह बॉक्स 11000°C के तापमान को एक घंटे तक सहन कर सकता है जबकि 260°C के तापमान को 10 घंटे तक सहन करने की क्षमता रखता है। इस दोनों बक्सों का रंग लाल या गुलाबी होता है, जिससे कि इसको खोजने में आसानी हो सके।

कॉकपिट वोइस रिकॉर्डर: यह बॉक्स विमान में अंतिम 2 घंटों के दौरान विमान की आवाज को रिकॉर्ड करता है। यह इंजन की आवाज, आपातकालीन अलार्म की आवाज, केबिन की आवाज और कॉकपिट की आवाज को रिकॉर्ड करता है,  ताकि यह पता चल सके कि हादसे के पहले विमान का माहौल किस तरह का था।

ब्लैक बॉक्स बिना बिजली के भी 30 दिन तक काम कर सकता है। जब यह बॉक्स किसी जगह पर गिरता है तो प्रत्येक सेकेण्ड एक बीप की आवाज/तरंग लगातार 30 दिनों तक निकालता रहता है। इस आवाज की उपस्थिति को खोजी दल द्वारा 2 से 3 किमी. की दूरी से ही पहचान लिया जाता है। इसके एक और मजेदार बात यह है कि यह 14000 फीट गहरे समुद्री पानी के अन्दर से भी संकेतक भेजता रहता है।

History of ‘ब्लैक बॉक्स
ब्लैक बॉक्स का इतिहास 50 साल से भी ज्यादा पुराना है। दरअसल 50 के दशक में जब विमान हादसों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही थी तो 1953-54 के करीब एक्सपर्ट्स ने विमान में एक ऐसे उपकरण को लगाने की बात की जो विमान हादसे के कारणों की ठीक से जानकारी दे सके। जिससे भविष्य में होने वाले हादसों से बचा जा सके। इसी को देखते हुए विमान के लिए ब्लैक बॉक्स का निर्माण किया गया। शुरुआत में इसके लाल रंग के कारण ‘रेड एग’ के नाम से पुकारा जाता था। शुरूआती दिनों में बॉक्स की भीतरी दीवार को काला रखा जाता था, शायद इसी कारण इसका नाम ब्लैक बॉक्स पड़ा।
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