लखनऊ। उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह के बाद मुख्यमंत्री आवास की पुरानी नेमप्लेट हटाकर नई नेमप्लेट लगाई गई है जिसमें योगी आदित्यनाथ की जगह आदित्यनाथ योगी, मुख्यमंत्री लिखा हुआ है। सवाल यह है कि योगी शब्द को आदित्यनाथ के बाद क्यों लिखा गया? पुरानी नेमप्लेट में निवर्तमान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का नाम लिखा था।
यह भी हो सकता है कि प्रचलन में उनका नाम योगी आदित्यनाथ हो गया हो और जबकि सही में उनका नाम आदित्यनाथ योगी ही हो। हालांकि योगी आदित्यनाथ अब योगी नहीं महंत के पद पर आसीन है। दरअसल उन्हें महंत आदित्यनाथ योगी कहना चाहिए। माना जा सकता है कि योगी आदित्यनाथ अब आदित्यनाथ योगी इसलिए हो गए क्योंकि वे अब राज्य के मुख्यमंत्री हैं और सबका साथ सबका विकास के नारे के साथ ही उन्होंने अपनी सोच भी बदल दी है। अब वे योगी से पहले राज्य के मुख्यमंत्री हैं।
शपथ ग्रहण के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने पहले दिन से ही कामकाज संभाल लिया है और अपने कड़े तेवर भी दिखाने शुरू कर दिए हैं। राज्य के नए मुख्यमंत्री ने अपने कैबिनेट सहयोगियों को निर्देश दिया है कि वे 15 दिन के भीतर अपनी आय और चल-अचल संपत्ति का पूरा ब्योरा पार्टी एवं सरकार को उपलब्ध कराएं।
मुख्यमंत्री की शपथ ग्रहण करने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी कैबिनेट की पहली बैठक की, जिसमें सदस्यों ने एकदूसरे को परिचय दिया। बैठक के बाद कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा और सिद्धार्थनाथ सिंह ने संवाददाताओं को बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भ्रष्टाचार को समाप्त करने के संकल्प के तहत मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों को अपनी आय और चल अचल संपत्ति का ब्यौरा उपलब्ध कराने को कहा है।
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि सभी मंत्रियों को आय, चल-अचल संपत्ति का पूरा ब्योरा 15 दिन में संगठन को और मुख्यमंत्री के सचिव को देना है। दोनों मंत्रियों ने बताया कि नए विधायकों की ट्रेनिंग के लिए कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना के नेतृत्व में एक कमेटी बनेगी, जिसमें कोशिश होगी कि सभी विधायकों की सही तरीके से ट्रेनिंग हो। इस ट्रेनिंग में केन्द्र के भी कुछ बड़े नेता कक्षाएं लेने के लिए आ सकते हैं। (एजेंसी)