Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

ग्रामीण भारत में डॉक्टरों की भारी कमी, बड़ी संख्या में स्वास्थ्य उप-केन्द्रों के पास अपना भवन नहीं

ग्रामीण भारत में डॉक्टरों की भारी कमी, बड़ी संख्या में स्वास्थ्य उप-केन्द्रों के पास अपना भवन नहीं

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, मंगलवार, 10 सितम्बर 2024 (07:46 IST)
नई दिल्ली। एक सरकारी रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि ग्रामीण भारत में बड़ी संख्या में स्वास्थ्य उप-केन्द्रों के पास अपना भवन नहीं है, जो प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली और समुदाय के बीच प्रथम संपर्क बिंदु हैं। रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि इन अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है। ALSO READ: जीएसटी परिषद नवंबर में स्वास्थ्य, जीवन बीमा प्रीमियम पर कर की दर में कटौती पर लेगी फैसला
 
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा द्वारा सोमवार को जारी किए गए वार्षिक प्रकाशन 'हेल्थ डायनेमिक्स ऑफ इंडिया (इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड ह्यूमन रिसोर्सेज) 2022-23' के अनुसार, ये उप-केंद्र या तो किराए के भवन में या स्थानीय ग्राम पंचायत या स्वैच्छिक सोसाइटी भवन द्वारा उपलब्ध कराए गए स्थान पर संचालित होते हैं। 'हेल्थ डायनेमिक्स ऑफ इंडिया (इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड ह्यूमन रिसोर्सेज) 2022-23' एक वार्षिक प्रकाशन है, जिसे पहले ‘ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी’ के नाम से जाना जाता था।
 
रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में कुल 1.69 लाख उप-केंद्र, 31,882 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी), 6,359 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी), 1,340 उप-मंडल/जिला अस्पताल (एसडीएच), 714 जिला अस्पताल (डीएच) और 362 मेडिकल कॉलेज हैं, जो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सेवा प्रदान करते हैं।
 
रिपोर्ट के मुताबिक बीते 18 साल में यहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी में तीन गुना से ज्यादा का इजाफा हुआ है। फिजिशियन, सर्जन समेत एक्सपर्ट्स डॉक्टरों की संख्‍या में भारी इजाफा हुआ है।  
 
चंद्रा ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (एचएमआईएस) पोर्टल को प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य (आरसीएच) पोर्टल तथा स्वास्थ्य मंत्रालय के अन्य पोर्टलों के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता है, ताकि आंकड़े समय पर अपलोड हों और उनका सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया जाए।
 
चंद्रा ने यहां 'हेल्थ डायनामिक्स ऑफ इंडिया (इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड ह्यूमन रिसोर्सेस) 2022-23' जारी करते हुए यह बात कही। साल 1992 से प्रकाशित की जाती रही इस सालाना रिपोर्ट को पहले ‘रूरल हेल्थ स्टेटिस्टिक्स’ (ग्रामीण स्वास्थ्य सांख्यिकी) कहा जाता था।
 
इस दस्तावेज को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अनेक पहलुओं पर प्रामाणिक सूचनाओं का स्रोत बताते हुए अधिकारी ने कहा, 'यह वार्षिक प्रकाशन एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जिसमें एनएचएम से जुड़ी मानवशक्ति और अवसंरचना की अत्यावश्यक जानकारी दी गई है और यह नीति बनाने, प्रक्रियाओं को सुधारने तथा समस्याओं का समाधान करने में सहायक है।'
Edited by : Nrapendra Gupta 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

अमेरिका में राहुल की टिप्पणी पर BJP ने बोला तीखा हमला, भारतीय लोकतंत्र के लिए बताया काला धब्बा