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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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नास्त्रेदमस की भारत के संबंध में 10 अचूक भविष्यवाणियां

नास्त्रेदमस की भारत के संबंध में 10 अचूक भविष्यवाणियां
फ्रांस में 14 दिसंबर, 1503 को जन्मे नास्त्रेदमस ने अपनी पुस्तक में 12 सेंचुरिज यानी बारह सौ चतुष्पदियां लिखी हैं। उनमें से अब मात्र 955 अस्तित्व में हैं। इनमें से लगभग 3 हजार भविष्य कथनों का वर्णन है। गत 50 वर्षों में उनकी 800 भविष्यवाणियां सत्य की कसौटी पर सही उतरी हैं। सेंचुरीज में सन् 3797 तक के समयकाल की भविष्यवाणियां की गई हैं। फ्रांस के मेस बाबहम ने 4 मई 1555 को फ्रांसीसी भाषा में नास्त्रेदमस की पुस्तक का प्रकाशन किया था। पुस्तक की प्रकाशन पूर्व इतनी ख्याति हो चुकी थी कि प्रकाशन दिनांक को लंबी कतारें उसके खरीददारों की लगी थीं और पुस्तक का प्रथम संस्करण एक ही दिन में समाप्त हो गया था।
नास्त्रेदमस ने अपनी सेंचुरीज के बारे में बताते हुए लिखा था, जो कुछ मैं कह रहा हूं, आने वाला समय बताएगा कि मैं सही था। मैंने जनहित में अपने भविष्य कथनों को उलझे हुए वाक्यों में लिखा है, जिससे प्रभु इच्छा होने पर लोगों को समझ में आ जाए। मैंने यह दैवी प्रेरणा से प्राप्त किया है। विश्व अनेक त्रासदियों को झेलने वाला है, जैसा कि मैंने अपनी भविष्यवाणियों में स्थान एवं समय को गुप्त रखकर प्रतीकों के द्वारा स्पष्ट किया है। सन् 1566 में नास्त्रेदमस की मृत्यु हुई थी।....आओ जानते हैं नास्त्रेदमस द्वारा भारत के संबंध में की गई 10 भविष्यवाणियों को। जिसनें से कुछ हो चुकी और घटित कुछ होने वाली है।
 
अगले पन्ने पर पहली भविष्यवाणी...

1.इंदिराजी की मृत्यु का भविष्य कथन : 'निष्कासित स्त्री फिर सत्तारूढ़ होगी। उसके बैरी उसके विरुद्ध षड्यं‍त्र करेंगे। तीन वर्षों के अपने यादगार कार्यकाल के बाद सत्तर की आयु के लगभग उसकी मृत्यु होगी।' (से. 6, चतु. 74)
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सन् 1977 के आम चुनाव में इंदिराजी की पराजय हुई थी और जनता पार्टी की सरकार बनी थी। किंतु 1980 में वे वापस सत्ता में आईं और प्रधानमंत्री बनीं। जब उनकी हत्या कर दी गई, उस समय उनकी आयु 67 वर्ष की थी।
 
अगले पन्ने पर दूसरी भविष्यवाणी...

2.राजीव गांधी की मृत्यु का संकेत : 'राजाज्ञा से एक उत्तम वायु चालक अपना पेशा छोड़कर देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हो जाएगा। सात वर्षों तक ख्याति प्राप्त करने के पश्चात उसका ऐसा अंत होगा, जो रोंगटे खड़े कर देगा।-(से. 6, चतु. 75)... एक बर्बर सेना का कृत्य वेनिस को आतंकित कर देना।- (वीआई-75)।..कोयले से काली महिला (उस विस्फोट से) अचानक गायब हो जाएगी और धीरे धीरे महान लोग क्रुद्ध होते जाएंगे।- (से. 5-65)। 
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संजय गांधी की मृत्यु के पश्चात राजीव गांधी अपनी माता इंदिराजी की सहायता करने हेतु राजनीति में आए। सन् 1984 में इंदिराजी की हत्या के पश्चात वे कांग्रेस के नेता बने, और प्रचंड बहुतमत से जीतकर प्रधानमंत्री बने। 7 वर्ष पश्चात सन् 1991 में उनकी दिल दहला देने वाली हत्या की दी गई। हत्या करने वाली महिला कोयले से भी काली थी। उसके इस कृत्य से वेनिस अर्थात इटली (सोनिया गांधी इटली से ही है) आतंकित हो गई। इसके बाद कमजोर दल सत्ता पा जाएगा।
 
अगले पन्ने पर तीसरी भविष्यवाणी...
 

3.बाढ़ के बाद आएगा एक ऐसा साल जब दो मुखिया चुने जाएंगे। इनमें से पहला सत्ता छोड़ देगा वह कलंक से बचने को ऐसा करेगा। परंतु दूसरे के सामने और कोई चारा नहीं होगा। पहले मुखिया को बनाने वाला घर भंग हो जाएगा। (ix-4).
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विद्वान लोग इस भविष्यवाणी को विश्वनाथ प्रतापसिंह और चंद्रशेखर के कार्यकाल से जोड़कर देखते हैं। चंद्रशेखर और देवीलाल सत्ता में आए चंद्रशेखर ने दबावों के चलते इस्तीफा देकर कलंक से बचने का कार्य किया जबकि चौधरी देवीलाल उनका साथ न देते तो क्या करते। लोकसभा भंग हो गई और फिर मध्यावधि चुनावों की घोषणा हो गई। चंद्रशेखर प्रधानमंत्री के पद पर 7 माह तक ही रहे। उन्होंने जनता दल से कुछ नेता लेकर समाजवादी जनता पार्टी की स्थापना की थी।

यदि हम महान बाढ़ की बात करें तो हाल ही में एक तो कश्मीर में और दूसरी केदारनाथ में बाढ़ आई थी। उसके बाद देश की परिस्थिति बदलती गई। नई सरकार में नरेंद्र मोदी के समक्ष चुनौती बढ़ती गई। हालांकि पहले मुखिया को बनाने वाले का घर भंग हो जाएगा। ऐसी परिस्थिति तो नहीं है। इसलिए यह भविष्यवाणी चंद्रशेखर पर ही फिट बैठती है।
 
अगले पन्ने पर चौथी भविष्यवाणी...

4.एक दूसरे से अजनबी साम्राज्य के खिलाफ बागवत करेंगे। एक ऊंचे सपने और आजादी के लिए सब कुछ दांव पर लगा देंगे। एक किला आजाद करा लिया जाएगा और हुकूमत देखती रह जाएगी। भारी मारकाट से वह बौखला जायेंगे। (ii-25)..एक नेता अपने देश से दूर किसी पनडुब्बी में छिपकर जाएगा और अलग भाषा व संस्कारों वाले लोगों की मदद से अपने देश के हजारों लोगों को रास्ता दिखाएगा। वह एक युद्ध में भाग लेगा, जिसमें बहुत से मारे जाएंगे। (1-18)।
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इस भविष्यवाणी का पहला हिस्सा 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से है दूसरा हिस्सा व्याख्याकार के अनुसार नेताजी सुभाषचंद्र बोस से जोड़कर देखते हैं। बोस ने ही अपने देश से दूर दूसरे देश जापान और जर्मन में जाकर वहां के शासकों की मदद से भारत को आजाद कराने का सपना देखा था। उन्होंने अपनी एक फौज का निर्माण भी किया था और एक युद्ध में भी भाग लिया था। जापानी सैनिकों के साथ उनकी आजाद हिंद फौज रंगून से होती हुई थल मार्ग से 18 मार्च सन् 1944 ई. की कोहिमा और इम्फाल के भारतीय मैदानी क्षेत्रों में पहुंच गई। जापानी वायुसेना से सहायता न मिलने के कारण एक भीषण लड़ाई में भारतीयों और जापानियों की मिली-जुली सेना हार गई और उसे पीछे हटना पड़ा। इसी सेना ने 1943 से 1945 तक शक्तिशाली अंग्रेजों से युद्ध किया था तथा उन्हें भारत को स्वतंत्रता प्रदान कर देने के विषय में सोचने के लिए मजबूर किया था।
 
अगले पन्ने पर पांचवीं भविष्यवाणी...

5.एक समय ऐसा आएगा कि जब बेपढ़े लोग पढ़े लिखों की सभ्यता को तबाह कर देंगे और पुस्तकें वगैराह फूक डालेंगे। ऐसा दुर्लभ ज्ञान नष्ट कर दिया जाएगा जिसका अधिकांश भाग वापस नहीं पाया जा सकेगा। (6-17).
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बर्बर आक्रमणकारियों के हमले में भारत के नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला के विश्‍व विद्यालय नष्ट हो गए थे। हजारों मंदिरों और महलों को नष्ट कर दिया गया था। यह बात सर्वविदित है कि मुस्लिम आक्रांताओं ने अखंड भारत के आधे हिस्से की हिन्दू और बौद्ध सभ्यता को लगभग नष्ट ही कर दिया है।
 
अगले पन्ने पर छठी भविष्यवाणी...
 

6. 'तीन ओर घिरे समुद्र क्षेत्र में वह जन्म लेगा, जो बृहस्पतिवार को अपना अवकाश दिवस घोषित करेगा। उसकी प्रसंशा और प्रसिद्धि, सत्ता और शक्ति बढ़ती जाएगी और भूमि व समुद्र में उस जैसा शक्तिशाली कोई न होगा।'  (सेंचुरी 1-50वां सूत्र)  
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तीन ओर समुद्र से तो भारत ही घिरा हुआ है। भारत में गुरुवार एक ऐसा वार है जिसे सभी धर्म के लोग समान रूप से मानते हैं। भारत में पहले भी राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, चाणक्य आदि महापुरुषों का जन्म हो चुका तात्कालीन समाज को काफी प्रभावित किया था। हालांकि अभी इस भविष्यवाणी के पूर्ण होने का इंतजार है। कौन करेगा गुरुवार को अपना अवकाश दिवस घोषित।

7.'पांच नदियों के प्रख्‍यात द्वीप राष्ट्र में एक महान राजनेता का उदय होगा। इस राजनेता का नाम 'वरण' या 'शरण' होगा। वह एक शत्रु के उन्माद को हवा के जरिए समाप्त करेगा और इस कार्रवाई में छ: लोग मारे जाएंगे।' (सेंचुरी v-27)
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भारत में वैसे तो कई प्रसिद्ध नदियां हैं- गंगा, यमुना, सरस्वती, गोदावरी, नर्मदा, कावेरी, ब्रह्मपुत्र, कृष्णा आदि। लेकिन पंजाब ऐसा क्षेत्र है जिसे पांच नदियों की भूमि भी कहा जाता है। पंजाब अर्थात जहां पांच नदियां बहती हों। पूर्व में इसे पंचनद प्रदेश भी कहा जाता था।   पंजाब प्राचीनकाल से धरती की राजनीति का मुख्य केंद्र भी रहा है। ये पांच नदियां हैं- सतलुज, व्यास, रावी, चिनाब और झेलम। इन पांचों नदियों का उल्लेख वेदों में भी मिलता है। तो क्या पंजाब से होगा महान राजनेता? पंजाब के इतिहास को देखें तो गुरुनानक देव, गुरु तेगबहादुर, गुरु गोविंदसिंह जैसी महान विभूतियों का इसी क्षेत्र से ताल्लुक है।

8.'शीघ्र ही पूरी दुनिया का मुखिया होगा महान 'शायरन' जिसे पहले सभी प्यार करेंगे और बाद में वह भयंकर व भयभीत करने वाला होगा। उसकी ख्याति आसमान चूमेगी और वह विजेता के रूप में सम्मान पाएगा।' (v-70)
...'एशिया में वह होगा, जो यूरोप में नहीं हो सकता। एक विद्वान शांतिदूत सभी राष्ट्रों पर हावी होगा।' (x-75)।
 
उक्त भविष्यवाणी से लगता है कि उस 'महापुरुष' का नाम 'श' से शुरू होगा। 'वरण' या 'शरण' जैसे नाम तो भारत में ही होते हैं, लेकिन 'शायरन' नाम जरूर अजीब है। नास्त्रेदमस ने अंग्रेजी में cheyren लिखा है। इस दौरान 'एलस' नाम से एक और व्यक्ति होगा जिसकी बर्बरता के बारे में लिखा गया है।
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'उसका हाथ अंतत: खूनी एलस (ALUS) तक पहुंच जाएगा। समुद्री रास्ते से भागने में भी नाकाम रहेगा। दो नदियों के बीच सेना उसे घेर लेगी। उसके किए की सजा क्रुद्ध काला उसे देगा।'- (6-33)
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'पैगंबर के कुल नाम के अंतिम अक्षर से पहले के नाम वाले, सोमवार को अपना अवकाश दिवस घोषित करेगा। अपनी सनक में वह अनुचित कार्य भी करेगा। जनता को करों से आजाद कराएगा।' (1-28).... पैगंबर तो एक ही हैं मुहम्मद। उनके कुल का नाम हाशमी था। हाशमी के अंतिम अक्षर के पहले 'श', यानी जिस नेता के प्रादुर्भाव की बात कही जा रही है उसका नाम 'श' से शुरू होना चाहिए। यदि हम कुल का नाम न मानें तो मुहम्मद के अंतिम अक्षर के नाम के पहले 'म' आता है।

11. '27 अक्टूबर 2025 को मेष के प्रभाव में तीसरी किस्म की जलवायु आएगी, एशिया का राजा मिस्र का भी सम्राट बनेगा। युद्ध, मौतें, नुकसान और ईसाइयों की शर्म के हालात बनेंगे। -(3/77 सेंचुरी)। 
 
एक जलवायु आकाश, धरती और धरती के भीतर जीवों के लिए उपयोगी होती है, दूसरी जलवायु पानी और पानीभरे स्थानों के लिए उपयोगी होती है, लेकिन तीसरी जलवायु तो अंतरिक्ष ही हो सकती है, जहां जीवन पनपना असंभव होगा। माना जा रहा है कि उक्त वर्ष में किसी ऐसे युद्ध की आशंका है जिसके चलते न्यूट्रॉन बम का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके व्यापक प्रभाव वाले क्षेत्र में तत्काल ही जीवन समाप्त हो जाएगा। ऐसा कौन करेगा? एशिया का महान शक्तिशाली नेता...
 
'धर्म बांटेगा लोगों को। काले और सफेद तथा दोनों के बीच लाल और पीले अपने-अपने अधिकारों के लिए भिड़ेंगे। रक्तपात, बीमारियां, अकाल, सूखा, युद्ध और भूख से मानवता बेहाल होगी।' (vi-10)
 
'साम्प्रदायिकता और श‍त्रुता के एक लंबे दौर के बाद सभी धर्म तथा जातियां एक ही विचारधारा को मानने लगेंगी।' (6-10)। '17 साल के भीतर 5 पोप बदले जाएंगे तब एक नया धर्म आएगा।' -5-96। ...अब जहां तक एक ही विचारधारा को मानने की बात है तो ओशो रजनीश जैसे संतों को भारत, चीन सहित समूचे पश्चिम में ध्यान से पढ़ा जाता है और उनके विचारों से विश्व में नए तरह की धार्मिक क्रांति होने लगी है।
 
'महान सितारा 7 दिन तक जलेगा और एक बादल से निकलेंगे दो सूरज, एक बड़ा कुत्ता रोएगा सारी रात और एक महान पोप अपना मुल्क छोड़ देगा।' ... पोप बेनेडिक्ट 16वें ने अचानक इस्तीफा दे दिया और मुल्क छोड़कर चले गए। 85 साल के पोप वैसे ही कमजोर हो रहे थे। इनसे पहले पोप जॉन पॉल द्वितीय 26 साल अपने पद पर रहे। यह वह साल चल रहा है जबकि दूसरे पोप का चयन हुआ है।... 'अनीश्वरवादी और ईश्वरवादियों के बीच संघर्ष होगा।' -(6-62)। ऐसे माहौल में मुक्तिदाता आएगा शांतिदूत बनकर।
 
 
'शीघ्र ही पूरी दुनिया का मुखिया होगा महान 'शायरन' जिसे पहले सभी प्यार करेंगे और बाद में वह भयंकर व भयभीत करने वाला होगा। उसकी ख्याति आसमान चूमेगी और वह विजेता के रूप में सम्मान पाएगा।' (v-70)
 
'एशिया में वह होगा, जो यूरोप में नहीं हो सकता। एक विद्वान शांतिदूत सभी राष्ट्रों पर हावी होगा।' (x-75) 
 
नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणी में कहा है कि 21वीं सदी के प्रारंभ में दुनिया के क्षितिज पर शायरन का उदय होगा।
 
उक्त भविष्यवाणी से लगता है कि उस 'महापुरुष' का नाम 'श' से शुरू होगा। 'वरण' या 'शरण' जैसे नाम तो भारत में ही होते हैं, लेकिन 'शायरन' नाम जरूर अजीब है। नास्त्रेदमस ने अंग्रेजी में cheyren लिखा है।
 
हालांकि कुछ विद्वानों का मत है कि वह नेता चीन से हो सकता है, क्योंकि नास्त्रेदमस ने स्पष्ट किया है कि वह नेता न तो क्रिश्चियन, न मुसलमान और न ज्यू होगा। एशिया का वह महान नेता शांतिदूत होगा। कुछ लोग उक्त भविष्यवाणी को भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से जोड़कर देखते हैं, क्योंकि वे भी एक गरीब परिवार में जन्मे और उन्होंने भी अपना प्रारंभिक जीवन संत की तरह बिताया और उन्हें भी पहले लोग नफरत करते थे फिर प्यार करने लगे हैं और हो सकता है कि बाद में सभी उनसे डरें। लेकिन 'शायरन' और 'नरेन्द्र' शब्द में बहुत फर्क है इसलिए यह स्पष्ट कहना कि यह भविष्यवाणी मोदी से संबंधित है, सही नहीं होगा।
 
नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों के ज्ञाता महाराष्ट्र के ज्योतिषाचार्य डॉ. रामचंद्र जोशी ने इस पर एक मराठी में पुस्तक लिखी है जिसमें वे नास्त्रेदमस की सेंचुरी का हवाला देते हुए लिखते हैं कि 'ठहरो स्वर्णयुग (रामराज्य) आ रहा है। एक अधेड़ उम्र का औदार्य (उदार) अजोड़ अधाप महासत्ता अधिकारी भारत ही नहीं, सारी पृथ्वी पर स्वर्णयुग लाएगा और अपने सनातन धर्म का पुनरुत्थान करके यथार्थ भक्ति मार्ग बताकर सर्वश्रेष्ठ हिन्दू राष्ट्र बनाएगा तत्पश्चात् ब्रह्मदेश, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत, अफगानिस्तान, मलाया आदि देशों में वही सार्वभौम धार्मिक नेता होगा। सत्ताधारी चांडाल-चौकड़ियों पर उसकी सत्ता होगी। वह नेता 'शायरन' दुनिया की आशा मालूम होता है, बस देखते रहो।'

नास्त्रेदमस की इस किताब का मराठी भाषा में महाराष्‍ट्र के मशहूर ज्‍योतिषी डॉक्‍टर रामचंद्रजी जोशी ने अनुवाद किया है। उनकी अनूदित किताब में लिखा है कि एक अधेड़ उम्र का व्‍यक्ति जो भारत का प्रतिनिधित्‍व करेगा वह भारत के साथ ही साथ पूरी दुनिया में एक नया अध्‍याय लिखेगा। उसकी अगुवाई में भारत दुनिया में महाशक्तिशाली बन जाएगा।  
 
महान भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस की 950 भविष्यवाणियों में से 18 भविष्यवाणियों का केंद्र तीसरा विश्वयुद्ध था। उन्होंने कहा था कि 2009 से 2013 तक दुनिया में बड़ी क्रांतियां होंगी। उनका कहना था कि यह अवधि मुसीबतों, निराशा और बुराई से भरी होगी, साथ ही इन सबके बीच आशा और उम्मीद की किरणें भी होंगी।  2009 से 2012 तक के समय की उन्होंने विस्तार से चर्चा की है। इसके बाद ही महान 'शायरन' का विश्व पटल पर उदय होगा और धीरे-धीरे वह अपनी ताकत बढ़ाता जाएगा। अंत में होगा वही, जो वह चाहेगा।

9.'सागरों के नाम वाला धर्म चांद पर निर्भर रहने वालों के मुकाबले तेजी से पनपेगा और उसे भयभीत कर देंगे, 'ए' तथा 'ए' से घायल दो लोग।' (x-96)
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चांद पर आधारित धर्म एक ही है इस्लाम और दुनिया में जितने भी सागर हैं उनमें से सिर्फ हिंद महासागर के नाम पर ही एक धर्म है जिसे हिंदू धर्म कहते हैं। आगे के वाक्य की व्याख्या करना कठिन है। लेकिन नास्त्रेदमस ने अपनी और भी भविष्यवाणियों में हिंदू धर्म के उत्थान की बात कही गई है।
 
'लाल के खिलाफ एकजुट होंगे लोग, लेकिन साजिश और धोखे को नाकाम कर दिया जाएगा।'  'पूरब का वह नेता अपने देश को छोड़कर आएगा, पार करता हुआ इटली के पहाड़ों को और फ्रांस को देखेगा। वह वायु, जल और बर्फ से ऊपर जाकर सभी पर अपने दंड का प्रहार करेगा।'  

10. नूरबरजेन के अनुसार तृतीय विश्वयुद्ध दक्षिण-पश्चिम एशिया में जब पश्चिमी देशों की संयुक्त सेना अभियान शुरू करेगी तो मध्यपूर्वी सैनिक उपनिवेशों के पास गंगा नदी के मुहाने पर और खाड़ी के आसपास संघर्ष होगा।...हो सकता है कि पाकिस्तान और चीन मिलकर भारत की सीमा में घुसपैठ कर गंगा नदी के मुहाने तक पहुंच जाएं।
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तृतीय विश्व युद्ध के संदर्भ में नास्त्रेदमस लिखते हैं, 'अनीश्वरवादी और ईश्वरवादियों के बीच संघर्ष होगा।'- (6-62)। चीन का धर्म और वहां की सरकार अनीश्वरवादी ही है।  हाल ही में चीन द्वारा पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल से घनिष्ठता बढ़ाकर भारत की घेराबंदी करना इस बात की सूचना है कि चीन के इरादे नेक नहीं है।
 
'एक सेनापति उत्सुकतावश पीछे भागती दुश्मन सेना की फौज का पीछा करेगा। वह उसके बचाव चक्र को भेदता हुआ, अंत: उन्हें रोक देगा। वे पैदल भांगेंगे, मगर उनसे अधिक दूर नहीं होगा वह। अंतिम जंग गंगा (ganges) के किनारे होगी।'' (iv-51)
 
गंगेज नाम से फ्रांस का एक कस्बा भी है लेकिन 'किनारे' शब्द का इस्तेमाल तो किसी नदी के लिए ही होता है। इसीलिए व्याख्याकार इसे भारत के संदर्भ में लिखी गई भविष्यवाणी मानते हैं। ''भारत, फ्रांस, जोर्डन आजाद कराएं जाएंगे। निर्दयी शक्तियों का सुदूर पूर्व में विनाश होगा। गंगा, जोर्डन, फ्रांस और स्पेन को हड़पने वाला साम्राज्य खत्म हो जाएगा। समुद्र में खून और लाशें तैरती दिखेंगी।''
 
यहां सवाल यह है कि भारत जैसे समर्थ देश के तृतीय विश्वयुद्ध में कमजोर होने की संभावना किस तरह है? इसके दो कारण हो सकते हैं- पहला राजनीतिक नेतृत्व की कमजोरी और दूसरा आंतरिक कारण और आपसी फूट में उलझे रहने वाले कारणों में उलझे रहने वाले भारत का अपनी सीमा की ओर कभी ध्यान नहीं दे पाना।

संदर्भ : अशोक कुमार शर्मा की पुस्तक नास्त्रेदमस की संपूर्ण भविष्यवाणियां (डायमंड पाकेट बुक्स)

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