Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

अरविंद त्रिवेदी ने ठुकरा दिया था 'रामायण' में रावण का रोल

अरविंद त्रिवेदी ने ठुकरा दिया था 'रामायण' में रावण का रोल

समय ताम्रकर

, बुधवार, 6 अक्टूबर 2021 (12:20 IST)
बहुत कम कलाकार ऐसा कर पाते हैं कि कोई एक रोल उन्हें अमर कर दे। अरविंद त्रिवेदी ने हिंदी और गुजराती की मिलाकर 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया, लेकिन उन्हें रामानंद सागर की 'रामायण' में रावण के रोल के लिए पिछले 30-35 सालों से याद किया जाता रहा है। जितनी प्रसिद्धी राम का रोल निभा कर अभिनेता अरुण गोविल को मिली, उतनी ही प्रसिद्धी अरविंद त्रिवेदी को रावण के रोल के लिए मिली।
 
रावण के रूप में वे इतने लोकप्रिय हो गए कि इसको भुनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने 1991 में गुजरात से अरविंद को चुनाव का टिकट दे दिया और वे चुनाव जीते भी।  
 
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अरविंद त्रिवेदी ने रावण का रोल करने से मना कर दिया था। अरविंद को जब पता चला कि रामानंद सागर दूरदर्शन के लिए रामायण बना रहे हैं तो वे केवट के रोल के लिए ऑडिशन देने गए। उस समय रामानंद सागर को सबसे ज्यादा फिक्र रावण के रोल के लिए कलाकार ढूंढने में हो रही थी। 
 
रावण के रोल के लिए वे ऐसा कलाकार ढूंढ रहे थे जो न केवल बेहतरीन अभिनेता हो बल्कि अपनी दमदार शख्सियत के बूते पर यह रोल को निभाने में कोई कसर नहीं छोड़े। ऑडिशन देने आए अरविंद में रामानंद सागर को अपने टीवी सीरियल के लिए 'रावण' नजर आया। 
 
सागर ने अरविंद को रावण का रोल ऑफर कर दिया, लेकिन अरविंद त्रिवेदी रावण का रोल निभाने के लिए तैयार नहीं हुए। अरविंद त्रिवेदी एक बेहद धार्मिक इंसान थे और उन्हें इस तरह का रोल निभाने में संभवत: संकोच हुआ हो। उन्हें किसी तरह मनाया गया और वे राजी हुए। 
 
रावण के रोल के लिए सबसे जरूरी बात थी कि अभिनय के जरिये अहंकार का भाव पैदा किया जाए और यह काम अरविंद त्रिवेदी ने बखूबी किया। अपनी बुलंद आवाज, चेहरे पर अहं के भाव और अट्टहास करते हुए डॉयलॉग डिलीवरी के जरिये उन्होंने रावण का रोल निभाया। उनका यह अंदाज, यह मैनेरिज्म काफी पसंद किया गया। 
 
रावण के रूप में वे क्रूर नहीं बल्कि अहंकारी लगे और यही उनके अभिनय का कमाल था। उनका उच्चारण भी दोषरहित था और गाढ़ी हिंदी में लिखे गए शब्दों को उनके मुंह से सुनना अच्छा लगा। 
 
केवल रावण के रोल के लिए अरविंद को याद करना उनकी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं होगा। कई फिल्मों में उन्होंने यादगार रोल अदा किए। वे धाकड़ अभिनेता थे और अपनी उपस्थिति मजबूती के साथ दर्ज कराते थे। 
 
1998 में रिलीज हुई गुजराती फिल्म 'देश रे जोया दादा परदेश जोया' में अरविंद ने दादाजी का रोल अदा किया था और इस फिल्म ने सफलता के कई रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए थे। 
 
8 नवंबर 1938 को जन्मे अरविंद त्रिवेदी ने 6 अक्टोबर 2021 में अंतिम सांस ली। वे सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन के चेयरमैन भी रहे। नलिनी से उन्होंने विवाह रचाया और उनकी तीन बेटियां हैं। 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

Bigg Boss 15 : कपड़े बदल रही थीं मीशा अय्यर, तभी पहुंच गया यह कंटेस्टेंट, हुआ जमकर हंगामा