नेहरु पार्क स्वीमिंग पूल की सुरक्षा सिर्फ एक गार्ड के हवाले...
इंदौर , गुरुवार, 9 अप्रैल 2015 (00:32 IST)
इंदौर। जैसे-जैसे बच्चों के स्कूलों की छुट्टियां लगती जा रही हैं, वैसे-वैसे इन्दौर नगर निगम के नेहरू पार्क स्थित स्वीमिंग पूल पर तैरने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। सुबह शाम यहां पर 100 से ज्यादा लोग तैरने आ रहे हैं लेकिन इन्हें संभालने के लिए पूल के गेट पर केवल एक सुरक्षाकर्मी (सिकंदर खिलजी) ही तैनात है, जिन्हें कई बार मुफ्त में तैरने के शौकीनों से बहस करते हुए देखा जा सकता है।
दरअसल नगर निगम में भाजपा का कब्जा है और नेहरु पार्क स्वीमिंग पूल पर तैरने आने के लिए कई भाजपाई पार्षद अपने समर्थकों को सिफारिशी पत्र दे देते हैं। यही नहीं, कुछ विधायक भी लोगों को तैरने की सुविधा मुहैया करवाने के लिए सिफारिश करते हैं। कई आसामजिक तत्व भी मुफ्त में तैरने के लिए यहां आ जाते हैं। ऐसे में केवल एक सुरक्षाकर्मी इन लोगों से जूझता दिखाई पड़ता है। यहां पर गेट दरोगा का भी पद है लेकिन वह भी पिछले एक वर्ष से खाली पड़ा हुआ है।
नेहरू पार्क स्वीमिंग पूल पर तैरने के लिए 6 माह का शुल्क 1210 और वर्ष भर तैरने का शुल्क 2010 रुपए लगता है। यहां कभी रोजाना टिकट खरीदकर तैरने की भी व्यवस्था हुआ रहती थी, जो बंद कर दी गई है। ऐसे में नेता के समर्थक मुफ्त में तैरने की सुविधा मुहैया कराने के लिए अनावश्यक दबाव बनाते दिखाई दे जाते हैं। अभी तो 100 से ज्यादा तैरने वाले आ रहे हैं जबकि आने वाले वक्त में यह संख्या 300 के पार होगी।
25 सालों से ज्यादा समय से नगर निगम में कार्यरत खिलजी ने एक मुलाकात में स्वीकार किया कि गेट पर अकेले होने की वजह से उन्हें कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। असामाजिक तत्वों और नेताओं की सिफारिश से मुफ्त में तैरने की सुविधा चाहने वालों से विवाद की स्थिति बन जाती है। खिलजी चाहते हैं कि नगर निगम द्वारा गेट पर सुरक्षा का स्टाफ बढ़ाया जाए ताकि भविष्य में होने वाली किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
सनद रहे कि इन्दौर नगर निगम के शहर में दो स्वीमिंग पूल हैं लेकिन जिस रफ्तार से शहर की आबादी बढ़ रही है, ये कम लगने लगे हैं। नेहरू पार्क और महू नाका स्थित लक्ष्मण सिंह चौहान तरण पुष्कर में गर्मी के दिनों में बेहताशा भीड़ हो जाती है, जिससे सुरक्षा की जिम्मेदारी बढ़ना लाजमी तो है ही साथ ही चुनौतीपूर्ण भी बन जाता है।
खिलजी की यह बात काफी हद तक सही इसलिए भी है, क्योंकि स्वीमिंग पूल में जब भी कोई अनहोनी होती है, तब यहां के स्टाफ को दोषी माना जाता है जबकि हकीकत यह देखने को मिली है कि यहां पर तैनात लाइफगार्ड स्टाफ सदैव चौकन्ना रहता है और हर आधे घंटे की बैच के खत्म होने के बाद पूरे स्वीमिंग पूल का निरीक्षण करने के बाद ही अगली बैच को तैरने की इजाजत दी जाती है। इन लाइफगार्डो में दीपू बागोरा, सुरेश दुबे, नरेन्द्र कटारे, पप्पू परमार, अनिल दराड़े, राजदीप स्वामी, रेवत सिंह हाड़ा के साथ टैक्निशियन संजय व्यास सदैव यही देखते रहते हैं कि कहीं कोई दुर्घटना न हो जाए।
यूं तो नेहरू पार्क स्वीमिंग पूल पर सख्ती का ऐसा आलम है कि तैरने के शौकीन अनाधिकृत व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकते। इसके बावजूद कुछ जगह ऐसी है, जहां सुरक्षा में सेंध लग सकती है। इसके पृष्ठ भाग में कुछ ऐसे स्थान हैं, जहां पर जालियां खराब हो चुकी हैं, जो अब तक बदली नहीं गई है।
यूं तो नगर निगम नेहरू पार्क के स्वीमिंग पूल की व्यवस्था सुचारू रूप से चलाने के लिए अपने बजट में कोई समझौता नहीं करता लेकिन इस बजट में उसे थोड़ी और उदारता बरतनी होगी। नेहरू पार्क की सुरक्षा को आगे से तो कोई खतरा नहीं है लेकिन इसके पृष्ठ भाग में कुछ ऐसे स्थान हैं, जहां पर जालियां खराब हो चुकी हैं।
इन खराब जालियों का फायदा उठाकर अनाधिकृत व्यक्ति तैरने आ सकते हैं। इस स्वीमिंग पूल की दीवार से सटे पेड़ पर चढ़कर ही दो लोगों की मौत तब हुई थी, जब पूल बंद था।
गेट पर तैनात निगम सुरक्षाकर्मी खिलजी से जब इस संवाददाता ने बातचीत की तो उन्होंने कहा कि जालियों की दुरुस्ती बहुत जरूरी है। यदि पुरानी जालियों की जगह नई मोटी जाली लगा दी जाए तो फिर कोई भी गैर व्यक्ति इस स्थान से प्रवेश नहीं कर पाएगा। इसके अलावा टूटी हुई दीवार को भी दुरुस्त करने की जरूरत है।
खिलजी ने कहा कि हमारी ड्यूटी स्वीमिंग पूल के मेनगेट पर रहती है ताकि कोई गलत व्यक्ति भीतर प्रवेश नहीं कर सके। यह ड्यूटी हम पूरी ईमानदारी से करते हैं। ऐसे में यदि पीछे पेड़ पर या फिर टूटी हुई दीवार पर चढ़कर कोई व्यक्ति भीतर प्रवेश करने में सफल हो जाता है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? बहरहाल, इंदौर के नेहरु पार्क के इस सुव्यस्थित स्वीमिंग पूल पर नगर निगम थोड़ा सा भी ध्यान दे दे तो काफी कुछ समस्याओं का निदान स्वत: ही हो जाएगा।(वेबदुनिया न्यूज)