नई दिल्ली। उत्तर और मध्य भारत में भीषण गर्मी की वजह से लोगों का हाल बेहाल है। पिछले 50 सालों में देश में भीषण गर्मी और लू की वजह से 17 हजार से ज्यादा लोग काल के गाल में समा गए। इनमें भी करीब 6500 लोग पिछले 10 सालों में गर्मी की वजह से मारे गए।
दक्षिण पश्चिम मानसून तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकाल एवं बंगाल की खाड़ी के दक्षिण पश्चिम एवं पश्चिम मध्य हिस्सों में आगे बढ़ गया हैं। हालांकि इसके कमजोर होने से 15 जून तक उत्तर और मध्य भारत को गर्मी से राहत मिलने के कोई आसार नहीं है।
उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत के अधिकतर भागों में अभी भी लू का प्रकोप जारी है। राजस्थान के गंगानगर और महाराष्ट्र के ब्रह्मपुरी में अधिकतम तापमान 46.2 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा। राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश के कम से कम 42 शहरों और कस्बों में अधिकतम तापमान 44 डिग्री सेल्सियस से ऊपर दर्ज किया गया।
MOSPI के EnviStats के मुताबिक, देश में 50 साल में हीट वेव से 17461 लोग मारे गए। हर वर्ष गर्मी और लू की वजह से औसतन 349 से ज्यादा लोग मारे जा रहे हैं। 1970 से 1979 के बीच 2,488 लोग मारे गए जबकि 1980 से 1989 के बीच 1,505 लोगों की मौत हो गई। 1990 से 1999 के बीच 2,916 लोगों का लू की वजह से निधन हो गया। 2000 से 2009 तक 4056 और 2010 से 2019 के बीच 6,496 लोग हीट वेव की वजह से काल के गाल में समा गए।
दिल्ली एनसीआर में गर्मी पहले ही कई रिकॉर्ड तोड़ चुकी है। मई में यहां पारा 49 डिग्री तक पहुंच गया। राजस्थान, मध्यप्रदेश के कई इलाकों में पारा 48 डिग्री के आंकड़े को पार कर गया। अब यूपी में भी गर्मी ने 52 साल का रिकॉर्ड तोड़ा है और 47 डिग्री के साथ प्रदेश में कानपुर सबसे गर्म रहा है।
2006 के बाद बढ़ी हीटवेव से मरने वालों की संख्या : कनाडा की संस्था इंटरनेशनल डेवलपमेंट रिसर्च सेंटर ने हीटवेव और उसके दुष्प्रभाव पर एक रिपोर्ट पेश की है जिसमें कहा गया है कि भारत में साल 2006 के बाद से हीटवेक के कारण मरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
2014 से 2017 के बीच इस ग्राफ में तेजी से इजाफा हुआ साल 2014 से 2017 के बीच इस ग्राफ में तेजी से इजाफा हुआ है, इन तीन सालों के अंदर हीटवेव से होने वाली मौतों की संख्या 4000 से ज्यादा पहुंच गई है। जो कि सोचनीय विषय है। गर्मी से डायरिया, डेंगू बुखार और मलेरिया का खतरा बढ़ गया जलवायु परिवर्तन की वजह से लोगों की सेहत सीधे तौर पर प्रभावित हो रही है।
मिनिस्ट्री ऑफ़ अर्थ साइंसेज की रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल 2022 में सबसे ज्यादा बार तापमान 45 या 45 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा रिकॉर्ड किया गया। इस वर्ष 25 मौसम केंद्रों पर 56 बार 45 या 45 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा का तापमान रिकॉर्ड किया गया। इससे पहले अप्रैल 2010 में 11 मौसम केंद्रों पर 23 बार 45 या 45 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा का तापमान रिकॉर्ड किया गया था। अप्रैल 2019 में, 13 मौसम केंद्रों पर 37 बार 45 या 45 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा का तापमान रिकॉर्ड हुआ।