इंफाल। Manipur violence : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बुधवार को कहा कि सरकार मणिपुर में जल्द से जल्द शांति बहाल करने और विस्थापित लोगों की उनके घरों में वापसी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। 3 मई को मणिपुर में जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद गृह मंत्री पहली बार पूर्वोत्तर राज्य का दौरा कर रहे हैं। संघर्ष में मरने वालों की संख्या बढ़कर 80 हो गई है।
राज्य में राहत शिविरों में मेइती और कुकी दोनों समुदायों के पीड़ितों से मुलाकात कर उन्होंने उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दिया और कहा कि सरकार का ध्यान उनकी सुरक्षित घर वापसी सुनिश्चित करने पर है।
संघर्षरत समुदायों के बीच शांति कायम करने के लिए मणिपुर की अपनी यात्रा के तीसरे दिन, शाह ने तेंगनोपाल जिले के मोरेह का दौरा किया, उसके बाद कांगपोकपी जिले का दौरा किया और नागरिक संस्थाओं के साथ व्यापक चर्चा की।
अमित शाह ने कहा कि हम मणिपुर में जल्द से जल्द शांति बहाल करने और उनकी (शरणार्थियों की) घर वापसी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
गृह मंत्री ने लोगों को आश्वस्त किया कि पहाड़ी क्षेत्रों में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति और चुराचांदपुर, मोरेह और कांगपोकपी में आपातकालीन जरूरतों के लिए हेलीकॉप्टर सेवा सुनिश्चित की जाएगी।
राजभवन में शाह से मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए, मेइती परिषद के सलाहकार मोरेह निंगथौखोंगजम पुलेंद्रो सिंह ने कहा कि हमने उन्हें मोरेह और चुराचांदपुर में अपने पुनर्वास की आवश्यकता से अवगत कराया। सिंह ने कहा कि हमने मोरेह में हिंसा के बाद म्यांमा भाग गए मेइती लोगों को राज्य में वापस लाने में भी मदद मांगी।
माना जाता है कि गृह मंत्री ने आंतरिक रूप से विस्थापित सभी लोगों की सुरक्षित घर वापसी का आश्वासन दिया है, साथ ही उन लोगों की भी वापसी का आश्वासन दिया है जो म्यांमा भाग गए थे, हालांकि अधिकारियों ने कहा कि म्यांमा गए लोगों की वापसी में कुछ समय लग सकता है।
बाद में, गृह मंत्री ने इंफाल में एक राहत शिविर का दौरा किया, जहां पहाड़ी जिलों के मेइती समुदाय के सदस्य शरण लिए हुए थे।
शाह ने कहा कि हमारा संकल्प मणिपुर को जल्द से जल्द एक बार फिर शांति और सद्भाव के रास्ते पर वापस लाने पर केंद्रित है।”
केंद्रीय गृह मंत्री ने बाद में शाम को इंफाल में केंद्रीय और राज्य बलों के शीर्ष अधिकारियों के साथ सुरक्षा समीक्षा बैठक भी की।
उन्हें हिंसा को रोकने तथा जल्द से जल्द सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए लूटे गए हथियारों को बरामद करने के वास्ते सशस्त्र शरारती तत्वों के खिलाफ कड़ी और त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इससे पूर्व उन्होंने मोरेह में भी ऐसी ही बैठक की थी। शाह ने ट्वीट किया कि मोरेह (मणिपुर) में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सुरक्षा स्थिति का जायजा लिया।
यात्रा पर उनके साथ गृह सचिव अजय कुमार भल्ला और खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन कुमार डेका भी थे।
गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मणिपुर की अपनी यात्रा के तीसरे दिन, केंद्रीय गृह मंत्री ने मोरेह और कांगपोकपी का दौरा किया और नागरिक संस्थाओं के साथ व्यापक चर्चा की।
इसमें कहा गया कि उन्होंने मोरेह में पहाड़ी जनजातीय परिषद, कुकी छात्र संगठन, कुकी चीफ्स एसोसिएशन, तमिल संगम, गोरखा समाज और मणिपुरी मुस्लिम परिषद के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। प्रतिनिधियों ने राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सरकार की पहल के लिए मजबूत समर्थन व्यक्त किया।”
कांगपोकपी में, शाह ने जनजातीय एकता समिति, कुकी इंपी मणिपुर, कुकी छात्र संगठन, थदौ इंपी और प्रमुख हस्तियों और बुद्धिजीवियों जैसे नागरिक संस्थाओं के प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की।
इसबीच, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सुरक्षा बलों से लूटे गए हथियार वापस करने की लोगों से अपील की और किसी भी व्यक्ति के पास अनधिकृत हथियार और गोला-बारूद पाये जाने पर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी।
मुख्यमंत्री ने एक हस्ताक्षरित बयान में लोगों से सुरक्षा कर्मियों और राहत सामग्री की मुक्त आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए सड़कों को अवरुद्ध नहीं करने की भी अपील की। सिंह ने कहा कि इस तरह की बाधाएं सुरक्षा और पुलिसकर्मियों के लिए सशस्त्र समूहों द्वारा हमलों का समय पर जवाब देना मुश्किल बना रही हैं।
जनजातीय मार्च में भड़की थी हिंसा : मणिपुर में जनजातीय एकता मार्च के बाद पहली बार जातीय हिंसा भड़क उठी थी। अनुसूचित जाति (एसटी) के दर्जे की मांग को लेकर मैतेई समुदाय ने तीन मई को प्रदर्शन किया था जिसके बाद जनजातीय एकता मार्च का आयोजन किया था। आरक्षित वन भूमि से कुकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर तनाव के चलते, पहले भी हिंसा हुई थी, जिसके कारण कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए थे। एजेंसियां Edited By : Sudhir Sharma