भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर जाने वाले नेताओं की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है। हर नए दिन के साथ भाजपा छोड़ने वाले नेताओं की संख्या बढ़ती जा रही है जो कहीं न कहीं चुनाव में भाजपा के लिए एक चुनौती बनती जा रही है। भाजपा नेताओं का लगातार पार्टी से मोहभंग होना पार्टी संगठन को सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है। अब तक 50 के करीब नेताओं ने भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया है।
सोमवार को बालाघाट के पूर्व सांसद बोधसिंह भगत, चांचौड़ा की पूर्व विधायक ममता मीणा, बुधनी के भाजपा नेता राजेश पटेल, इंदौर के भाजपा नेता प्रमोद टंडन और दिनेश मल्हार ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। सोमवार को भाजपा छोड़ने वाले पांच नेताओं में से ममता मीणा बुधवार को आम आदमी पार्टी में शामिल होगी। वहीं अन्य नेता कांग्रेस का दामन थामने की तैयारी में है।
50 के करीब नेताओं ने छोड़ी भाजपा-विधानसभा चुनाव से पहले अब 50 के करीब भाजपा नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। वहीं आने वाले दिनों में ग्वालियर-चंबल से 10 के करीब नेताओं के कांग्रेस में शामिल होने की भी अटकलें लगाई जा रही है। अगर भाजपा छोड़ने वाले दिग्गज नेताओं की बात की जाए तो इनमें पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे और पूर्व मंत्री दीपक जोशी, कोलारस से भाजपा विधायक वीरेंद्र रघुवंशी, पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत, पूर्व विधायक गिरिजाशंकर शर्मा, महेंद्र प्रताप सिंह, नीमच से भाजपा नेता समंदर पटेल,पूर्व सांसद कंकज मुंजारे की पत्नी पूर्व विधायक अनुभा मुंजारे, पूर्व सांसद माखन सिंह सोलंकी, पूर्व विधायक राधेलाल बघेल, पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता के भांजे आशीष अग्रवाल, नरयावली से भाजपा विधायक प्रदीप लारिया के भाई हेमंत लारिया, शिवपुरी से आने वाले रघुराज सिंह धाकड़ के साथ शिवपुरी के कोलारस विधानसभा सीट से टिकट के दावेदार रघुराज सिंह धाकड़ के साथ यादवेंद्र सिंह यादव और बैजनाथ यादव कांग्रेस में शामिल हो चुके है।
सिंधिया समर्थकों को भाजपा से मोहभंग-चुनावी बेला में भाजपा छोड़कर जाने वालों में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों की संख्या सबसे अधिक है। मार्च 2020 में सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल होने वाले नेता एक के बाद एक कांग्रेस में वापसी कर रहे है। इनमें इंदौर से प्रमोद टंडन के साथ राउ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट के दावेदार दिनेश मल्हार ने भी भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। ऐसा नहीं है कि प्रमोद टंडन और दिनेश मल्हार पहले सिंधिया समर्थक है जिन्होंने भाजपा को अलविदा बोला है। इससे पहले सिंधिया समर्थक और भाजपा नेता समंदर पटेल ने भी भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम चुके है। वहीं शिवपुरी से आने वाले रघुराज सिंह धाकड़ के साथ शिवपुरी के कोलारस विधानसभा सीट से टिकट के दावेदार रघुराज सिंह धाकड़ के साथ यादवेंद्र सिंह यादव और बैजनाथ यादव कांग्रेस में वापसी कर चुके है।
गोहद से पिछला चुनाव लड़े सिंधिया समर्थक रणवीर जाटव का टिकट कट चुका है। दरअसल विधानसभा चुनाव में सिंधिया समर्थक उन नेताओं के टिकट सबसे ज्यादा खतरे में दिखाई दे रहा है जो उपचुनाव हार गए। मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हुए 22 विधायकों में कई को उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। सिंधिया के गढ़ माने जाने वाले ग्वालियर-चंबल की 16 सीटों में से डबरा से इमरती देवी, दिमनी से गिर्राज दंडोतिया, सुमावली से एंदल सिंह कंसाना मंत्री रहते हुए चुनाव हार गए थे। इसके साथ ही ग्वालियर पूर्व से मुन्नालाल गोयल, मुरैना से रघुराज सिंह कंषाना, करैरा से जसमंत जाटव भी चुनाव हार गए थे। उपचुनाव में हार का सामना करने वाले यह सभी सिंधिया समर्थक एक बार टिकट की दावेदारी कर रहे है, ऐसे में रणवीर जाटव का टिकट कटने के बाद उपचुनाव हारे सिंधिया समर्थकों का टिकट खतरे में दिखाई दे रहे है।