वॉशिंगटन। पाकिस्तान को आतंकवाद का सबसे बड़ा प्रायोजक देश बताते हुए भारत ने उसे कब्जे वाले कश्मीर को तुरंत खाली करने को कहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने बुधवार को सिलसिलेवार ढंग से कई ट्वीट किए। जानकार मान रहे हैं कि भारत सरकार ने ऐसी तीखी प्रतिक्रिया दशकों बाद दी है।
भारत का यह रुख ऐसे वक्त में सामने आया है, जब पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ ने कश्मीर को लेकर एक बार फिर पुराना राग अलापा है। यूएन में दिए अपने भाषण में नवाज शरीफ ने कहा कि वह आतंकवाद से खुद पीड़ित है। कश्मीर से सेना हटाए जाने की जरूरत है और यहां के लोगों को उनका हक दिया जाए।
शरीफ ने अपने बयान में कहा था, 'कश्मीरियों की कई पीढ़ियों ने कब्जे वाले दिनों में जिंदगी गुजार दी।' स्वरुप ने अपने ट्वीट में कहा, 'पाकिस्तानी पीएम विदेशी कब्जे की बात कह रहे होंगे। कब्जा करने वाले की गलती। हम पाक अधिकृत कश्मीर को जल्द से जल्द खाली करने की मांग करते हैं।'
स्वरुप ने कहा कि कश्मीर से सेना हटाना नहीं, बल्कि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद खत्म करना सही रास्ता है। उन्होंने कहा, 'पाकिस्तान आतंकवाद का नहीं, बल्कि अपनी नीतियों का पीड़ित है। हकीकत में यह आतंकवाद का बड़ा स्पॉन्सर है।
पाकिस्तान की अस्थिरता की वजह इसका आतंकियों को पैदा करना है। पड़ोसियों पर दोष मढ़ना किसी चीज का हल नहीं है।' संभवत: भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज संयुक्त राष्ट्र में आज शरीफ के बयान का जवाब दे सकती हैं।
भारत सरकार की ओर से कहा गया है कि पाक भले ही खुद को आतंकवाद का पीड़ित बताता रहा हो, लेकिन इसकी जमीन आतंकवादियों की शरणस्थली है, यह बात किसी से छिपी नहीं है। यूएन और अमेरिका की ओर से आतंकी संगठन घोषित किए गए कई ग्रुप यहां बरसों से सक्रिय हैं।
अमेरिका पर हुए 9/11 के हमले का मास्टमाइंड ओसामा बिन लादेन आखिरकार पाकिस्तान की जमीन पर ही मारा गया। भारत में मुंबई पर हुए 26/11 के हमलों का मास्टरमाइंड हाफिज सईद और लश्कर का कमांडर जकीउर रहमान लखवी पाकिस्तान में पनाह पाए बैठे हैं। हाल ही में भारत में जिंदा पकड़े गए दो आतंकियों ने खुद को पाकिस्तान बताया था। इसके बावजूद, पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने खुद को आतंकवाद का शिकार बताता रहता है।
अभी तक पाकिस्तान के इस दोगलेपन के बावजूद पिछली सरकारें उसे सार्वजनिक तौर पर शर्मिंदा करने से बचाती रही हैं। संभवत: इसकी एक मंशा दोनों देशों के बीच शांति वार्ता को पटरी पर बनाए रखना था लेकिन अब भाजपा शासित केंद्र सरकार ने यह फैसला कर लिया है कि वह पाकिस्तान के इस दोगलेपन को दुनिया के सामने एक्सपोज करके रहेगा। इसलिए मोदी सरकार ने पाकिस्तान के कश्मीर राग की काट के तौर पाक अधिकृत कश्मीर के मुद्दे को जोर शोर से उठाने की कोशिश की है।
विदित हो कि यह कोशिश भी ऐसे समय सामने आई है जब पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में लोगों ने खुले तौर पर भारत में शामिल होने को लेकर व्यापक प्रदर्शन किए हैं। पाकिस्तानी सेना ने इन्हें दबाने के लिए हर तरह की सख्ती की है।