Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

इन 5 कारणों से एक दिन धरती पर से जीवन हो जाएगा लुप्त

इन 5 कारणों से एक दिन धरती पर से जीवन हो जाएगा लुप्त

अनिरुद्ध जोशी

वह दिन दूर नहीं जबकि धरती पर से जीवन लुप्त होना प्रारंभ होगा और तब हम इसे देखने के अलावा कुछ भी नहीं कर पाएंगे। आओ जानते हैं वे 5 कारण जिसके चलते धरती पर से जीवन लुप्त हो सकता है।
 
1. ग्लोबल वॉर्मिंग से बदलता मौसम : हिमालय के ग्लेशियरों के पिघलने की गति के चलते समुद्र का जलस्तर 1.5 मिलीमीटर प्रतिवर्ष बढ़ रहा है। वायु प्रदूषण, ग्रीन हाउस गैसों के कारण यह सब हो रहा है। दूसरा कारण हमारी धरती अपनी धुरी से 1 डिग्री तक खिसक गई है। तीसरा कारण वर्षा वन तेजी से खत्म होते जा रहे हैं। इन सबके कारण धरती के वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जा रही है जिसके चलते धरती का तापमान लगभग 1 डिग्री से ज्यादा बढ़ गया है और हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती जा रही है। इस ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण एक ओर जहां पीने के पानी का संकट गहरा रहा है, वहीं मौसम में तेजी से बदलाव हो रहा है।
 
2. खनन से खोखली होती धरती : खनन 5 जगहों पर हो रहा है- 1. नदी के पास खनन, 2. पहाड़ की कटाई, 3. खनिज, धातु, हीरा क्षेत्रों में खनन, 4. समुद्री इलाकों में खनन और 5. पानी के लिए धरती के हर क्षेत्र में किए जा रहे बोरिंग। रेत, गिट्टी, खनिज पदार्थों, हीरा, कोयला, तेल, पेट्रोल, धातु और पानी के लिए संपूर्ण धरती को ही खोद दिया गया है। कहीं हजार फीट तो कहीं 5 हजार फीट नीचे से पानी निकाला जा रहा है। खोखली भूमि भविष्य में जब तेजी से दरकने लगेगी तब मानव के लिए इस स्थिति को रोकना मुश्‍किल हो जाएगा। 
 
3. कटते वृक्ष से घटता ऑक्सीजन : ब्राजील, अफ्रीका, भारत, चीन, रशिया और अमेरिका के वन और वर्षा वनों को तेजी से काटा जा रहा है। वायुमंडल से कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, सीएफसी जैसी जहरीली गैसों को सोखकर धरती पर रह रहे असंख्य जीवधारियों को प्राणवायु अर्थात 'ऑक्सीजन' देने वाले जंगल आज खुद अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जंगल हैं तो पशु-पक्षी हैं, जीव-जंतु और अन्य प्रजातियां हैं। कई पशु-पक्षी, जीव और जंतु लुप्त हो चुके हैं। पेड़ों की भी कई दुर्लभ प्रजातियां और वनस्पतियां लुप्त हो चुकी हैं।
 
4. ओजोन परत के बढ़ते छिद्र से बढ़ा अल्ट्रावॉयलेट का खतरा : प्रदूषण और गैसों के कारण ओजोन परत का छिद्र बढ़ता जा रहा है। लाखों वर्षों की प्रक्रिया के बाद ओजोन परत का निर्माण हुआ जिसने पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के साथ मिलकर पृथ्वी पर आने वाली सूर्य की खतरनाक पराबैंगनी अर्थात अल्ट्रा वॉयलेट किरणों को रोककर धरती को जीवन उत्पत्ति और प्राणियों के रहने लायक वातावरण बनाया। लेकिन आधुनिक मानव की गतिविधियों के चलते मात्र 200 साल में ओजोन परत में ऑस्ट्रेलिया के बराबर का छेद हो गया है। ओजोन परत पृथ्वी और पर्यावरण के लिए एक सुरक्षा कवच का कार्य करती है। वैज्ञानिकों के अनुसार धरती शीर्ष से पतली होती जा रही है, क्योंकि इसके ओजोन लेयर में छेद नजर आने लगे हैं। सभी वैज्ञानिकों का कहना है कि यह विडंबना ही है कि जीवन का समापन co2 की कमी से होगा।
 
5. सूखती नदियों से गहराता जल संकट और लुप्त हो रहे जलीय जीव : विश्व की प्रमुख नदियों में नील, अमेजन, यांग्त्सी, ओब-इरिशश, मिसिसिप्पी, वोल्गा, पीली, कांगो, सिंधु, ब्रह्मपुत्र, गंगा, यमुना, नर्मदा आदि सैकड़ों नदियां हैं। ये सारी नदियां पानी तो बहुत देती हैं, परंतु एक ओर जहां बिजली उत्पादन के लिए नदियों पर बनने वाले बांध ने इनका दम तोड़ दिया है तो दूसरी ओर मानवीय धार्मिक, खनन और पर्यावरणीय गतिविधियों ने इनके अस्तित्व पर संकट खड़ा कर दिया है। पिछले कुछ वर्षों में औद्योगिकीकरण एवं शहरीकरण के कारण प्रमुख नदियों में प्रदूषण खतरनाक स्तर तक बढ़ गया है। सिंचाई, पीने के लिए, बिजली तथा अन्य उद्देश्यों के लिए पानी के अंधाधुंध इस्तेमाल से भी चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं। इसके कारण तो कुछ नदियां लुप्त हो गई हैं और कुछ लुप्त होने के संकट का सामना कर रही हैं। जब सभी नदियां सूख जाएंगी तो भयानक जल संकट से त्रासदी की शुरुआत होगी।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

youtubers को झटका, 1 जून से यूट्‍यूब की कमाई पर देना होगा टैक्स