वॉशिंगटन। अमेरिकी चुनाव में एक बार फिर स्विंग स्टेट्स ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। जो बिडेन ने 13 में से 6 स्विंग स्टेट्स में जीत दर्ज कर राष्ट्रपति चुनाव जीतने के करीब पहुंच गए हैं। स्विंग स्टेट्स में मिली हार ने ही ट्रंप को हार की कगार पर पहुंचा दिया और वे कोर्ट पहुंच गए।
क्या होता है स्विंग स्टेट्स : अमेरिकी चुनाव में दोनों ही उम्मीदवारों का जोर 270 इलेक्टर वोट पर होता है। दोनों पार्टियां सोचती हैं कि वे कम से कम कुछ खास बड़े या छोटे राज्यों को अपने नियंत्रण में रखे।
यहां कुछ राज्यों को स्विंग स्टेट्स कहा जाता है। यह ऐसे राज्य होते है जहां के मतदाताओं का मूड स्थिर नहीं होता। यहां के अधिकांश मतदाता किसी एक दल के समर्थक नहीं होते। जॉर्जिया, फ्लोरिडा, ओहिया ऐसे ही राज्य है।
अकसर, हर चुनाव में स्विंग स्टेट्स बदलते रहे हैं। इस चुनाव में एरिजोना, पेन्सिलवेनिया, विस्कॉन्सिन समेत 13 राज्य स्विंग स्टेट्स साबित हो रहे हैं। चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में दोनों कैंडिडेट इन्हीं राज्यों पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं।
स्विंग स्टेट्स को बैटल ग्राउंड या पर्पल स्टेट्स भी कहा जाता है। पर्पल यानी नीले और लाल को मिलाया जाने वाला रंग। चुनावी लिहाज से इसके मायने कि यहां कोई भी जीत सकता है।
स्विंग स्टेट्स ने बदला खेल : इन 13 स्विंग स्टेट्स में से 7 में जीत दर्ज कर बिडेन ने राष्ट्रपति पद पर अपना दावा मजबूत किया। यहां पहले एक समय ट्रंप का पलड़ा भारी लग रहा था। लेकिन देखते ही देखते बिडेन उनसे आगे निकल गए। ट्रंप को जीतने के लिए जॉर्जिया, नोर्थ कैरोलाइना और नेवादा में जीत दर्ज करना जरूरी। नेवादा में 6 इलेक्टोरल वोट, यहां थोड़े ही अंतर से आगे चल रहे हैं बिडेन। अगर बिडेन नेवादा जीत लेते हैं तो वे अमेरिका के अगले राष्ट्रपति बन जाएंगे।
4 स्विंग स्टे्टस के वोट पर बवाल : ट्रंप ने पेन्सिलवेनिया, जॉर्जिया, मिशिगन, और विस्कॉन्सिन में धांधली का आरोप लगाते हुए कोर्ट की शरण ली है। इनमें से विस्कॉन्सिन मेें बिडेन ने जीत हासिल की है तो पेन्सिलवेनिया और जॉजियां में वह तेजी से ट्रंप की बढ़त को कम कर रहे हैं। मिशिगन में ट्रंप ने एक बार फिर बिडेन पर बढ़त बना ली है।