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यूक्रेन युद्ध: रूस छोड़कर भाग रहे नागरिक, आख़िर उन्हें किस बात का डर सता रहा है

यूक्रेन युद्ध: रूस छोड़कर भाग रहे नागरिक, आख़िर उन्हें किस बात का डर सता रहा है

BBC Hindi

, शनिवार, 24 सितम्बर 2022 (07:47 IST)
ओलेसा गेरासिमेन्को, लीज़ा फ़ॉट, बीबीसी संवाददाता, रूसी सेवा
यूक्रेन के ख़िलाफ़ जारी युद्ध में शामिल होने के लिए तीन लाख लोगों को बुलाने के रूसी राष्ट्रपति के फ़ैसले से रूस के कई लोग नाराज़ हैं।
 
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इस फ़ैसले के बाद रूस के कई नागरिक देश छोड़कर भाग रहे हैं। देश की सीमा पर कई जगहों पर लंबी-लंबी कतारें देखी जा रही हैं। सड़कों पर भारी ट्रैफिक है। लोग अपना ज़रूरी सामान समेटकर देश से निकलना चाहते हैं। राष्ट्रपति की घोषणा से पहले रूसी नागरिकों को अंदाज़ा नहीं था कि उनके लिए यूक्रेन युद्ध में जाने की संभावना बन सकती है।
 
देश में लोग चर्चा कर रहे हैं कि अब आगे क्या होगा। लोग ये योजना बना रहे हैं कि युद्ध के मैदान में जाने से बचने के लिए वो क्या-क्या रास्ते अपना सकते हैं।
 
पुतिन के फ़ैसले को लेकर हो रहे विरोध के बीच रूसी सक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा है कि आईटी क्षेत्र में काम करने वाले, बैंकर्स और सरकारी मीडिया में काम करने वालों पर रूसी सरकार का ये एलान लागू नहीं होगा। हालांकि इसके लिए कंपनियों को सूची बना कर सरकार को सौंपनी होगी।
 
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने क्या किया एलान?
  • तीन लाख लोगों को सेना में लामबंद किया जाएगा। ये वो लोग होंगे जिन्हें पहले से सेना का अनुभव है।
  • रूस के क़ब्ज़े वाले इलाक़ों के लोगों की सुरक्षा और अखंडता के लिए यह क़दम ज़रूरी।
  • एक अनुमान के मुताबिक़, रूस में 20 लाख मिलिटरी रिज़र्विस्ट हैं। ये वो लोग हैं जिन्होंने अनिवार्य सैन्य सेवा के तहत मिलिट्री ट्रेनिंग ली है।
 
सेंट पीटर्सबर्ग में एक दफ़्तर में काम करने वाले 28 साल के दिमित्री कहते हैं, "स्थिति 1980 के साइंस फ़िक्शन फ़िल्म की तरह है। सच कहूं तो ये सब डराने वाला है।"
 
दिमित्री कहते हैं कि दफ़्तर में लोग काम पर ध्यान नहीं लगा पा रहे हैं, वो अपने मोबाइल फ़ोन, टीवी या कंप्यूटर देख रहे हैं कि इस बारे में क्या कहा जा रहा है।
 
वो कहते हैं कि ऑफ़िस में लंच ब्रेक के बाद उन्होंने आधे दिन की छुट्टी ली और रूसी मुद्रा रूबल को एक्सचेंज कर अमेरिकी डॉलर लेकर आए।
 
कुछ दिनों पहले दिमित्री ने युद्ध का विरोध करने वाली एक रैली में हिस्सा लिया था जिसके बाद पुलिस के अधिकारी उनके घर आए थे। इस घटना के बाद उन्होंने ये सोच कर अपना घर बदल दिया कि अधिकारियों के लिए उन्हें तलाशना आसान नहीं होगा।
 
वो कहते हैं, "मुझे नहीं पता कि अब मैं आगे क्या करूंगा। क्या मैं देश से बाहर जाने वाली कोई फ़्लाइट ले लूं या फिर कुछ और दिन देश में रह कर हालात का जायज़ा लूं। क्या पता युद्धविरोधी रैली में शामिल होने के लिए अधिकारी मुझे ढूंढते हुए मुझ तक पहुंच जाएं।"
 
सर्गेई (बदला हुआ नाम) उन लोगों में हैं जिन्हें युद्ध में जाने का बुलावा आया है। 26 साल के पीएचडी स्टूडेंट और एक जानीमानी रूसी यूनिवर्सिटी में लेक्चरर सर्गेई (बदला हुआ नाम) उस वक्त हैरान रह गए जब सादे कपड़ों में आए दो लोगों ने उनसे सेना के कागज़ात पर हस्ताक्षर करने को कहा।
 
बीबीसी के पास इन कागज़ात की एक कॉपी है जिनमें सर्गेई को गुरुवार को एक ड्राफ़्ट सेंटर पहुंचने को कहा गया है।
 
राष्ट्रपति पुतिन ने अपने भाषण में कहा था कि सिर्फ़ उन्हीं लोगों को बुलाया जाएगा जो या तो पहले सेना में रहे हों या फिर जिसके पास स्पेशल स्किल हैं और युद्ध का अनुभव है।
 
लेकिन सर्गेई के पास ऐसा कोई अनुभव नहीं है। उनके सौतेले पिता इस बात से परेशान हैं क्योंकि इस सरकारी आदेश को मानने से इनकार करना अपराध माना जाएगा।
 
उनके सौतेले पिता एक सरकारी तेल कंपनी में काम करते हैं। पुतिन के भाषण के बाद उनकी कंपनी ने उनसे सेना में जाने के लिए क़ानूनी छूट की मांग की।
 
युद्ध से पहले रूस और यूक्रेन के सेना की स्थिति
यूक्रेन के पास कुल सैनिक - 1,096,600
ऐक्टिव सैनिक- 196,600, रिज़र्व सैनिक- 900,000
रूस के पास कुल सैनिक - 2,900,000
ऐक्टिव सैनिक- 900,000, रिज़र्व सैनिक- 2,000,000
(रिज़र्व सैनिक में वो लोग भी शामिल हैं जो बीते पांच सालों में सेना में काम कर चुके हैं।)सूत्र- मिलिटरी बैलेंस 2022
 
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सीमा पर लंबी-लंबी कतारें?
दरअसल, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इसी सप्ताह बुधवार (21 सितंबर 2022) को आंशिक सैन्य लामबंदी की घोषणा की थी जिसकी वजह से क़रीब तीन लाख लोगों को युद्ध के लिए बुलाया जा सकता है। बहुत से लोग इससे बचना चाहते हैं और देश से बाहर निकल रहे हैं।
 
हालांकि रूस के राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन का कहना है कि नागरिकों के देश छोड़कर भागने की बात को बढ़ा-चढ़ा कर कहा जा रहा है।
 
लेकिन जॉर्जिया से सटी रूस की सीमा पर वाहनों की कई किलोमीटर लंबी कतार देखी जा सकती है। इनमें वो पुरुष भी हैं जो युद्ध नहीं लड़ना चाहते और देश से भाग रहे हैं।
 
इनमें से कुछ लोग कारों की लंबी लाइन से बचने के लिए साइकिल से बॉर्डर तक पहुंच रहे हैं और पैदल सीमा पार करने पर लगे प्रतिबंध से भी बचने की कोशिश रहे हैं।
 
सीमा पर खड़े एक शख़्स ने नाम न छापने की शर्त पर बीबीसी संवाददाता नीना अक्मेटली को बताया कि वो गुरुवार को स्थानीय समयानुसार सुबह नौ बजे से इंतज़ार में थे और आख़िरकार देर शाम सीमा पार कर पाए।
 
एक अन्य शख़्स ने बताया कि 12 घंटे इंतज़ार के बाद वो सीमा पार करने में कामयाब रहे। उन्होंने बताया कि वो सरकार की घोषणा के बाद इसलिए रूस छोड़कर जा रहे हैं ताकि अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें।
 
जॉर्जिया उन कुछ देशों में से एक है जहां रूसी नागरिकों को बिना वीज़ा प्रवेश मिलता है। वहीं रूस से 1,300 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करने वाले फ़िनलैंड में रूसी नागरिकों को प्रवेश के लिए वीज़ा की ज़रूरत पड़ती है। वहां भी रातोंरात ट्रैफ़िक बढ़ने की जानकारी मिली है, हालांकि कहा गया है कि स्थिति क़ाबू में है।
 
इनके अलावा इस्तांबुल, बेलग्रेड, दुबई की हवाई टिकटों के दाम भी अचानक बढ़ गए हैं। पुतिन की ओर से घोषणा किए जाने के कुछ ही घंटों बाद कुछ रास्तों पर तो सभी टिकटें बिक चुकी हैं। तुर्की की मीडिया के मुताबिक़ रूस से वन-वे टिकट की बिक्री में अचानक उछाल देखा गया जबकि बिना-वीज़ा वाली जगहों के लिए टिकटों की क़ीमत एक हज़ार यूरो तक मिल रही थी।
 
जर्मनी की गृह मंत्री नैन्सी फेज़र ने गुरुवार को इस बात के संकेत दिए हैं कि रूस के मौजूदा हालात से भागने वालों को जर्मनी में शरण मिल सकती है। हालांकि लिथुआनिया, लात्विया, एस्टोनिया और चेक गणराज्य ने रूस से आने वालों को शरण देने से इनकार कर दिया है।
 
रूस यूक्रेन युद्ध अब किस मोड़ पर
  • रूस ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ दिया था।
  • रूस इसे विशेष सैन्य अभियान कहता रहा है।
  • 13 सितंबर को यूक्रेनी राष्ट्रपति ने दावा किया कि यूक्रेनी सेना रूसी सेना के क़ब्ज़े वाली कई जगहों को वापस छुड़ाने में कामयाब रही है।
  • यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की ने कहा कि उनकी सेना ने छह हज़ार वर्ग किलोमीटर की ज़मीन को रूसी क़ब्ज़े से छुड़ा लिया है। हालांकि बीबीसी इन आंकड़ों की स्वतंत्र पुष्टि नहीं करती।
  • यूक्रेन देश के पूर्वी हिस्से में तेज़ी से जवाबी आक्रमण कर रहा है।
  • कुछ दिनों पहले अमेरिका ने यूक्रेन के लिए 2।7 अरब डॉलर की ताज़ा आर्थिक मदद को मंज़ूर किया है। इसमें से 67।5 करोड़ डॉलर की मदद हथियारों के लिए दी जाएगी।
 
रूसी सरकार की घोषणा का हो रहा विरोध
रूसी सरकार की घोषणा के बाद रूस के कई शहरों में लोग इसके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। मंगलवार को मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग में विरोध प्रदर्शन हुआ। इस दौरान कम से कम 1300 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
 
रूस से आ रही रिपोर्ट्स के अनुसार, विरोध कर रहे जिन लोगों को हिरासत में लिया गया उनसे पुलिस थाने में ही युद्ध में जाने के लिए तैयार किए गए ड्राफ्ट कागज़ातों पर हस्ताक्षर करा लिए गए।
 
रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि ये क़ानून के ख़िलाफ़ नहीं है। हालांकि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने गुरुवार को रूसी नागरिकों से अपील की है वो लामबंद होने से बचें।
 
युद्ध में मारे गए रूसी सैनिकों का ज़िक्र करते हुए ज़ेलेंस्की ने कहा, "आप और मौतें चाहते हैं? नहीं? तो विरोध करिए और लड़िए। देश छोड़कर भाग जाइए या फिर यूक्रेन की क़ैद में आत्मसमर्पण कर दीजिए।"
 
रूस में सैन्य लामबंदी की प्रक्रिया अप्रत्याशित रूप से मज़बूत हो रही है।
 
इस पूरे मामले पर यूके के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि "रूसी नागरिकों के कुछ हलकों में इस सरकारी घोषणा का कड़ा विरोध किया जा रहा है। युद्ध के लिए लड़ाकों की व्यवस्था करने की कोशिश में पुतिन बड़ा राजनीतिक जोख़िम ले रहे हैं। सरकार की ये कोशिश प्रभावी तरीके से ये बताती है कि रूस के पास यूक्रेन में ख़ुद से आगे आकर लड़ने वाले लोगों की संख्या कम हो रही है।"
 
ख़ुफ़िया रक्षा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अगर रूसी सरकार की ये मुहिम कामयाब हो जाती है तब भी लोगों को युद्ध के लिए तैयार कर उन्हें ज़मीन पर उतारने में कई महीनों का वक्त लग सकता है। इधर रूस के भीतर ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि तय संख्या से कहीं अधिक लोगों को युद्ध में भेजा जा सकता है।
 
युद्ध शुरू होने के बाद मीडिया पर लगाम लगाने की कोशिशों के बीच स्वतंत्र अख़बार नोवाया गैजेट ने हाल में अपना काम यूरोप में शिफ्ट कर लिया है। अख़बार के अनुसार पुतिन ने जो आदेश जारी किया है उसमे एक और पैराग्राफ़ है, जिसे अभी तक सीक्रेट रखा गया है।
 
अख़बार का आरोप है कि जो बात बताई जा रही है वो ये है कि सरकार तीन लाख लोगों को युद्ध के लिए बुलाना चाहती है, लेकिन इस सीक्रेट पैराग्राफ़ में क़रीब 10 लाख लोगों को युद्ध के लिए बुलाने की बात की गई है।

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