Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

कोटा में स्टूडेंट क्यों कर रहे सुसाइड, CSDS की ये नई स्टडी चौंका देगी

suicide
webdunia

नवीन रांगियाल

  • कोटा में रह रहे 7% स्टूडेंट्स सुसाइड के बारे में सोचते हैं
  • हर दूसरे स्टूडेंट को सता रहा परीक्षा में खराब परफॉर्मेंस का डर
  • प्रेशर में अकेलेपन और डिप्रेशन का हो रहे स्टूडेंट
कोटा में स्थित कोचिंग क्लासेस प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए पूरे देश में चर्चित हैं। लेकिन इन दिनों ये स्टूडेंट की होने वाली आत्महत्याओं के लिए खबरों में हैं। दरअसल, पिछले दिनों कोटा में स्टूडेंट की आत्महत्याओं के मामलों में लगातार इजाफा हुआ है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में चौंकाने वाली बातें भी सामने आई हैं। रिपोर्ट के मुताबिक कोटा में रह रहे 7% स्टूडेंट्स सुसाइड के बारे में सोचते हैं। इसके साथ ही यहां रहने वाले स्टूडेंट की मेंटल हेल्थ लगातार खराब हो रही है और वे अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं। विस्तार से जानते हैं क्या कहती है ये रिपोर्ट।
webdunia

7% स्टूडेंट्स सुसाइड के बारे में सोच रहे : लोकनीति CSDS की हालिया स्टडी में सामने आया कि कोटा में रह रहे 7% स्टूडेंट्स सुसाइड की तरफ बढ़ रहे हैं। यहां पढ़ने वाले हर 10 में से दूसरे स्टूडेंट के दिमाग में एग्जाम के खराब नतीजों का डर घूमता रहता है। बच्चों ने पेरेंटल प्रेशर, फाइनेंशियल प्रॉब्लम और बढ़ते कॉम्पिटीशन को स्ट्रेस की वजह माना है। इसके अलावा कोटा के 53% स्टूडेंट्स अकेलेपन के शिकार हैं। स्टूडेंट्स ने ये भी माना कि कोटा आने का बाद उनकी मेंटल हेल्थ खराब हुई है। अब उन्हें पहले से ज्यादा थकान और गुस्सा आता है। वो अब अक्सर मूडी, नर्वस और डिप्रेस्ड फील करते हैं।

क्या कोटा में खराब हुई मेंटल हेल्थ : नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों पर नजर डालें तो अकेले साल 2021 में ही सुसाइड से मरने वालों में 8% सिर्फ स्टूडेंट्स थे। इन आंकड़ों से साफ है कि मेंटल हेल्थ को लेकर इन स्टूडेंट्स में जागरुकता की भारी कमी है। कोचिंग इंस्टीट्यूट्स खासकर के कोटा जैसी जगहों पर स्टूडेंट्स की काउंसलिंग के लिए एक प्रॉपर मेकैनिज्म की जरूरत है।
webdunia

आत्महत्याओं के आंकडे : कोटा में स्टूडेंट्स का आत्महत्या करने का पिछले तीन साल का रिकॉर्ड बताता है कि वहां 2021 में 10 सुसाइड, 2022 में 12 सुसाइड के मामले सामने आए। 2023 में ही दो दर्जन से ज्यादा छात्र कोटा में आत्महत्या कर चुके हैं। इनमें से ज्यादातर जेईई और नीट की तैयारी कर रहे थे। 

ये कैसा प्रेशर : दरअसल, यह सब घटनाएं स्टूडेंट पर आने वाले प्रेशर की वजह से हैं। मां-बाप चाहते हैं बच्चा कोटा में जाकर पढ़ाई करे, लेकिन बच्चा आर्ट्स या सिनेमेटोग्राफी बढ़ना चाहता है। फेल होने का डर, एंट्रेंस क्लीयर न करने का खौफ भी बच्चों को एंजाइटी और डिप्रेशन की ओर ले जाता है। कई बच्चे अपनी इच्छा के खिलाफ कोटा में स्टडी कर रहे हैं। दरअसल, प्रेशर की वजह से नींद पूरी न लेना और अनहेल्दी चीज़ें खानें की आदतें भी मेंटल हेल्थ को इफेक्ट करती हैं। पेरेंट्स और टीचर्स की तरफ से लगातार मिलने वाला प्रेशर स्टूडेंट्स में स्ट्रेस लेवल बढ़ा रहा है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ : जाने माने मनोचिकित्सक डॉ सत्यकांत त्रिवेदी बताते हैं कि दरअसल, मानसिक तनाव, अवसाद और निराशा की स्थिति में कुछ लोग आत्महत्या जैसा घातक कदम उठा लेते हैं। इनमें स्टूडेंट भी होते हैं जो अपने कॅरियर और भविष्य को लेकर पशोपेश में होते हैं। उनके परिजन उन्हें पढाई के लिए बाहर भेजते हैं और धन खर्च करते हैं। ऐसे में जब उन्हें जरा सी भी शुरुआती असफलता मिलती है तो उससे परेशान होकर वे डिप्रेशन में आ जाते हैं। जब यह तनाव बढता है तो स्थति आत्महत्या तक पहुंच सकती है।

कोरोना के साइड इफेक्ट : बता दें कि दूसरी तरफ कोरोना काल के बाद उत्पन्न हुईं विपरीत परिस्थितियों के चलते खुदुकशी करने वालों की संख्या में चिंताजनक रूप से इजाफा हुआ है। 

क्यों करते हैं लोग आत्महत्या : जहां तक आम लोगों में आत्महत्या के कारणों का सवाल है तो सबसे ज्यादा 33.2 फीसदी लोग पारिवारिक समस्याओं के कारण खुदकुशी करते हैं। इसमें सामाजिक और आर्थिक कारण प्रमुख रूप से हो सकते हैं। दूसरे नंबर पर 18.6 फीसदी लोग स्वास्थ्यगत कारणों से आत्महत्या करते हैं। वैवाहिक कारणों से 4.8 फीसदी लोग खुदकुशी करते हैं तो प्रेम में असफल होने पर 4.6 फीसदी लोग मौत को गले लगा लेते हैं। इसके अलावा बेरोजगारी, परीक्षा में फेल होना, गरीबी आदि के चलते भी लोग खुदकुशी कर लेते हैं।
webdunia

काउंसलिंग में नहीं आते मां-बाप : एक रिपोर्ट यह कहती है कि कोचिंग क्लास संचालक माता-पिता के लिए परामर्श सत्र और गतिविधियां भी आयोजित किए जाते हैं। लेकिन ऐसी पहल के दौरान उपस्थिति बहुत कम होती है। माता-पिता अक्सर व्यस्तताओं या वित्तीय दिक्कतों का हवाला देते हुए यहां आने में टालमटोल करते हैं।

इंजीनियरिंग के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी के लिए सालाना 2.5 लाख से अधिक छात्र कोटा आते हैं। कोचिंग क्लास के संचालकों का दावा है कि डिप्रेशन या तनाव की स्थिति में देखकर वे बच्चों के अभिभावकों से संपर्क करते हैं, उन्हें स्पष्ट रूप से बताया जाता है कि उनके बच्चे को उनके साथ रहने की जरूरत है। लेकिन 100 से कम से कम 40 परिजन अपने बच्चे को घर वापस ले जाने को तैयार नहीं होते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

मध्यप्रदेश में अबकी बार लोकल मुद्दों से बनेगी नई सरकार, राष्ट्रीय मुद्दों का वोटर्स पर नहीं दिखा असर