Vat Savitri Vrat : पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री व्रत के दिन इस तरह करें बरगद की पूजा
, गुरुवार, 6 जून 2024 (11:29 IST)
* भारत के पूज्यनीय वृक्षों में वट/ बरगद महत्वपूर्ण है।
* वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर किय जाता है।
* वैदिक धर्म में वट वृक्ष का काफी महत्व माना गया है।
Vat Savitri Amavasya Vrat : हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आज वट सावित्री अमावस्या व्रत किया जा रहा है। इसी दिन शनि जयंती भी मनाई जा रही है। प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर पति की लंबी आयु के लिए वट सावित्री व्रत किया जाता हैं। इस दिन व्रत-उपवास रखकर बरगद की पूजा की जाती हैं तथा पीपल और शमी वृक्ष का पूजन किया जाता हैं। स्कंद पुराण के अनुसार वट सावित्री अमावस्या और पूर्णिमा के दिन व्रत करना चाहिए।
आइए जानते हैं किस तरह करें बरगद की पूजा...
वट सावित्री अमावस्या पर पूजा विधि : Vat Savitri Vrat Pooja Vidhi 2024
* वट सावित्री अमावस्या के दिन सुहागन महिलाएं सुबह उठकर अपने नित्य क्रम से निवृत होकर स्नान करके शुद्ध वस्त्र या नए वस्त्र धारण करें।
* फिर 16 श्रृंगार करें।
* इसके बाद पूजन के सभी सामग्री को डलिया या थाली में सजा लें।
* बरगद/वट वृक्ष के नीचे जाकर वहां पर सफाई कर सभी सामग्री रख लें।
* सबसे पहले सत्यवान एवं सावित्री की मूर्ति स्थापित करें। अब धूप, दीप, रोली, सिंदूर से पूजन करें।
* लाल कपड़ा सत्यवान-सावित्री को अर्पित करके फल समर्पित करें।
* फिर बांस के पंखे से सत्यवान-सावित्री को हवा करें।
* बरगद के पत्ते को अपने बालों में लगाएं।
* अब धागे को बरगद के पेड़ में बांधकर अपनी श्रद्धानुसार 5, 11, 21, 51 या 108 बार परिक्रमा करें।
* इसके बाद सावित्री-सत्यवान की कथा सुनें या पढ़ें।
* इसके बाद घर में आकर उसी पंखे से अपने पति को हवा करें तथा उनका आशीर्वाद लें।
* शाम के वक्त एक बार मीठा भोजन करें।
* तत्पश्चात अपने पति की लंबी आयु के लिए ईश्वर से प्रार्थना करें।
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
આગળનો લેખ