जम्मू। समाचार भिजवाए जाने तक अढ़ाई लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने इस बार की अमरनाथ यात्रा में शिरकत करने के लिए अपना पंजीकरण करवा लिया था। इसके लिए उन्होंने ऑनलाइन व देशभर में फैली बैंकों की 450 शाखाओं का सहारा लिया था। यह तो कुछ भी नहीं, प्रशासन करंट पंजीकरण के सहारे इस बार 6 से 8 लाख श्रद्धालुओं को यात्रा में शामिल होने का न्योता देते हुए इस बार की अमरनाथ यात्रा को जम्मू-कश्मीर के इतिहास की सबसे बड़ी यात्रा बनाने में जुटा हुआ था।
प्रशासन जुटा तैयारियों में : अमरनाथ यात्रा श्राइन बोर्ड के अधिकारियों ने माना था कि इतनी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए व्यापक स्तर पर प्रबंध भी आवश्यक हैं। यही कारण था शिवभक्तों के प्रदेश में आने से पहले ही प्रशासन शिवमय हो चुका था। ऐसा इसलिए था, क्योंकि सरकार के अधिकतर विभाग और कर्मचारी व अधिकारी अपने कामों को छोड़कर अमरनाथ यात्रा और उसमें शामिल होने के लिए आने वालों के लिए प्रबंधों में जुटे हुए थे।
व्यवस्थाएं अंतिम चरण में : प्रदेश के प्रवेश द्वार लखनपुर से लेकर अमरनाथ गुफा तक दोनों मार्गों के अतिरिक्त अब श्रीनगर से गुफा तक की हेलीकॉप्टर की सीधी उड़ान को कामयाब बनाने की खातिर प्रशासन ने पूरी ताकत और पूरा अमला झोंक दिया था। टेंटों की बस्तियों के साथ-साथ श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्थाएं अंतिम चरण में थीं, क्योंकि यात्रा का पहला आधिकारिक जत्था इस महीने की 30 तारीख को जम्मू से रवाना होना है।
सुरक्षा की भी चिंता: इतिहास की सबसे बड़ी यात्रा बनाने की कवायद में सबसे ज्यादा चिंता इसकी सुरक्षा की भी है। सुरक्षाधिकारी आप मानते हैं कि 2 साल स्थगित रहने के बाद इस बार संपन्न होने जा रही अमरनाथ यात्रा पर ड्रोन के साथ-साथ स्टिकी बमों का खतरा मंडरा रहा है तो हाइब्रिड आतंकी भी इसमें तड़का लगा सकते हैं जिनके बड़ी संख्या में दक्षिण कश्मीर के उन जिलों में पहुंचने की खबरें हैं, जहां यह यात्रा संपन्न होना है।
सबसे बड़ा खतरा स्टिकी बमों का : पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह कहते थे कि उनके जवान किसी भी खतरे से निपटने को तैयार हैं तो सेना के अधिकारी कहते थे कि अमरनाथ यात्रा को सबसे बड़ा खतरा स्टिकी बमों से है जबकि खुफिया अधिकारी कहते थे कि आईएस टाइप वोल्फ हमले भी आतंकियों द्वारा अमरनाथ श्रद्धालुओं को नुकसान पहुंचाने के लिए किए जा सकते हैं। इन धमकियों और चेतावनियों के खतरे के बावजूद यात्रा में शामिल होने की इच्छा रखने वालों के चेहरों पर डर या शिकन तक नहीं दिखती। यात्रा शुरू होने से पहले जम्मू पहुंच रहे साधु-संत इन धमकियों के जवाब में सिर्फ 'बम-बम भोले' का उद्घोष करते थे।