योग में शरीर के भीतर जमा गंदगी को निकालने के लिए कई आसन और क्रियाएं हैं। क्रियाओं में जैसे गणेश क्रिया, जलनेति, धौति क्रिया और वमन क्रिया की जाती है। उसी तरह आसनों में उत्कटासन या उत्कट आसन का महत्व है। आओ जानते हैं कि यह किस तरह किया जाता है।
उत्कट आसन :
1. उत्कटासन कई तरह से किया जाता है। यह मूलत: खड़े रहकर किया जाता है।
2. पहले आप ताड़ासन में खड़े हो जाएं और फिर धीरे धीरे अपने घुटनों को आपस में मिलाते हुए मोड़ें।
3. अपने कुल्हों को नीचे की ओर लाकर उसी तरह स्थिर रखें जैसे आप किसी कुर्सी पर बैठे हों।
4. अपने हाथों को ऊपर उठाकर ही रखें, अपने चेहरे को फ्रेम करें।
5. अब अपने हाथों को प्रार्थना की मुद्रा में अपने सीने के केंद्र में एक साथ लाएं। यह उत्कटासान है।
6. प्रारंभ में 10 सेकंड से बढ़ाकर 90 सेकंड तक यह आसन करें।
7. जब तक आसन में स्थिर रहें तब तक 5 से 6 बार गहरी श्वास लें और छोड़ें।
8. आसन करते वक्त गहरी श्वास भीतर लें और आसन पूर्ण होने पर श्वास छोड़ते हुए पुन: ताड़ासन में आकर विश्राम मुद्रा में आ जाएं।
9. उपरोक्त आसन प्रारंभ में 5 से 6 बार ही करें।
10. इस आसन को खाली पेट जल पीकर करते हैं।
10. कुछ लोग रात में तांबे के बर्तन में जल रखकर प्रात:काल बासी मुंह से उत्कट आसन के दौरान पानी पीते हैं। इस आसन के लिए शुरू-शुरू में 2 गिलास तक जल पीएं। उसके बाद धीरे-धीरे 5 गिलास तक पीने का अभ्यास करें। जल का सेवन करने के बाद शौच आदि के लिए जाएं।
सावधानी : घुटनों चोट या कोई गंभीर समस्या हो, कुल्हों पर दर्द हो या पीठ दर्द, सिर दर्द या अनिद्रा का रोग हो तो ये आसन ना करें।
उत्कटासन के फायदे :
1. इस आसन से हमारे शरीर में वात-पित्त और कफ का नाश होता है।
2. इस योग से शरीर में कॉपर की मात्रा जाती रहती है जिससे शरीर को हड्डियों और मांसपेशियों को लाभ मिलता है।
3. इस योग से कितना भी पूराना कब्ज हो वह दूर हो जाता है।
4. यह आसन टखनों, जांघों, पिंडली, कंधे, छाती और रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है।
5. पेट के अंगों और डायफ्राम और हार्ट को लाभ पहुंचाता है।
6. शरीर में संतुलन बनाता है और यदि आप ध्यान करते हैं तो उसमें भी इससे लाभ मिलता है।