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रोग ठीक करने का दुनिया का सबसे बड़ा नुस्खा

अनिरुद्ध जोशी
पशुओं में रोग या बीमारी कभी गंभीर नहीं होती क्योंकि उनका शरीर वह नुस्खा जानता है जिससे रोग ठीक होता है, परंतु मनुष्य के पास बुद्धि होने के कारण वह अपने शरीर की पुकार कभी नहीं सुनता है वह हमेशा अपने मन की करता है। तो आओ जानते हैं कि किस तरह आप बगैर डॉक्टर व दवाई के ही  स्वस्थ हो सकते हैं।
 
 
अदृश्य मशीन : आपके शरीर के भीतर एक अदृश्य मशीन है जो एक वक्त में एक ही कार्य करती है और वह यह कि या तो वह आपका खाना पचाएगी या फिर वह आपके शरीर को स्वस्थ करेगी। जैसे जब हमारे पैर या हाथ में कोई घाव हो जाता है कि रात में सोने के दौरान वह मशीन उस घाव को भरने का कार्य करती है। दिन में यदि वह फ्री है तो भी वह यह काम करती है। इस अदृश्य मशीन का नाम है प्राण शक्ति।
 
 
क्यों फ्री नहीं होती यह मशीन : सुबह के ब्रेकफास्ट, कॉफी या चाय को उसे पचाना होता है। दोपहर के लंच और फिर शाम के स्नेक्स को पचाने होता है फिर रात के डीनर को पचाने में पूरी रात लग जाती है। इस बीच यदि और कुछ भी खाया है तो उसे पचाने के कार्य भी करना होता है। जानकार कहते हैं कि रात के डीन को पचाने के लिए 16 से 18 घंटे लगते हैं परंतु उससे पहले ही व्यक्ति सुबह उठकर ब्रेकफास्ट और चाय का मजा ले लेता है। ऐसे में वह मशीन निरंतर बस पचाने का ही कार्य किए जा रही है ऐसे में न तो उसे आराम मिलता है और ना ही वह रोग को ठीक करने का कार्य ठीक से कर पाती है।
 
 
समझे शरीर की शरीर की जैविक घड़ी : शोधानुसार मनुष्य में 'जैविक घड़ी' का मूल स्थान उसका मस्तिष्क है। मस्तिष्क हमें जगाता और मस्तिष्क ही हमें सुलाता है। औसतन हम 1 मिनट में 15 से 18 बार सांस लेते हैं तथा हमारा हृदय 72 बार धड़कता है। यदि यह औसत गड़बड़ाता है तो शरीर रोगी होने लगता है। वैज्ञानिक कहते हैं कि मनुष्य के शरीर में अनुमानित 60 हजार अरब से 1 लाख अरब जितने कोश होते हैं और हर सेकंड 1 अरब रासायनिक संक्रियाएं होती हैं। उनका नियंत्रण सुनियोजित ढंग से किया जाता है और उचित समय पर हर कार्य का संपादन किया जाता है। यदि किसी वजह से इस प्राकृतिक शारीरिक कालचक्र या 'जैविक घड़ी' में गड़बड़ होती है तो उसके कारण भयंकर रोग होते हैं। 
 
'जैविक घड़ी' के अनुसार हम रात्रि 2 बजे गहरी नींद में होते हैं। प्रात: 4.30 बजे हमारे शरीर का तापमान न्यूनतम होता है। 6.45 बजे रक्तचाप में बढ़ोतरी शुरू होती है और 7.30 के बाद इसमें गिरावट शुरू हो जाती है। सुबह 3 से 5 बजे के बीच:- इस समय में फेफड़े क्रियाशील रहते हैं। प्रात: 5 से 7 बजे के बीच बड़ी आंत क्रियाशील रहती है। सुबह 7 से 9 बजे आमाशय की क्रियाशीलता और 9 से 11 तक अग्न्याशय एवं प्लीहा क्रियाशील रहते हैं। दोपहर 11 से 1 बजे के बीच के समय में ऊर्जा का प्रवाह हृदय में प्रवाहित होता है इसीलिए यह क्रियाशील रहता है। दोपहर 1 से 3 बजे के बीच छोटी आंत सक्रिय होती है। दोपहर 3 से 5 बजे के बीच मूत्राशय की सक्रियता का काल रहता है। शाम 5 से 7 बजे के बीच शरीर के गुर्दों की एयर विशेष प्रवाहित होने लगती है। रात्रि 7 से 9 बजे के बीच अग्न्याशय, गुर्दे सक्रिय रहते हैं। रात्रि 9 से 11 बजे के बीच रक्तवाहिकायों और धमनियों की सक्रियता रहती है। रात्रि 11 से 1 बजे के बीच का समय इस समय पित्ताशय, यकृत सक्रिय होता है। रात्रि 1 से 3 बजे के बीच का समय यकृत अर्थात लिवर ज्यादा क्रियाशील होता है। 
 
अब क्या करें : उपवास करें 16 घंटे का। जैसे यदि आप रात को आठ बजे भोजन करते हैं तो फिर अगले दिन सुबह 12 बजे ही भोजन करें। इस बीच आपको कुछ भी नहीं खाना या पीना है। सुबह पानी या नारियल पानी पी सकते हैं। ऐसा करने लगेंगे तो शरीर स्थित नया-पुराना भोजन पूर्णत: पचकर बाहर निकलने लगेगा और अदृश्य मशीन को रोग से लड़ने का समय भी मिलने लगेगा। यह धीरे धीरे आपके शरीर में जमी गंदगी को बाहार कर देगी।
 
त्याज्य पदार्थ- चाय, कॉफी, दूध, कोल्ड्रिंक, मैदा, बेसन, बैंगन, समोसे, कचोरी, पोहे, पिज्जा, बर्गर आदि।
 
 
कुछ जरूरी जानकारी- शरीर में सर्वप्रथम गंदगी तीन जगह पर जमती है। पहला आहार नाल में और दूसरा पेट में और तीसरा आंतों में। इन तीनों जगह यदि गंदगी ज्यादा समय तक बनी रही तो यह फैलेगी। तब यह किडनी में, फेंफड़ों में और हृदय के आसपास भी जमने लगेगी। अंत में यह खून को गंदा कर देगी। अत: इस गंदगी को साफ करना जरूरी है। हम जो खाते हैं उसी से गंदगी पैदा होती है। हम क्या खा रहे हैं इस पर ध्यान देने की जरूरत है। हम दो तरह के खाद्य पदार्थ खाते हैं पहला वह जो हमें सीधे प्रकृति से प्राप्त होता है और दूसरा वह जिसे मानव ने निर्मित किया है। प्रकृति से प्राप्त फल और सब्जियां हैं। फल को पचने में 3 घंटे लगते हैं। सब्जियों को पचने में 6 घंटे लगते हैं।
 
उपरोक्त दोनों के अलावा मानव द्वारा पैदा किया गया, बनाया या उत्पादित किए गए खाद्य पदार्थों में आते हैं- अनाज, दाल, चना, चावल, दूध, मैदा, सोयाबीन आदि और इन्हीं से बने अन्य खाद्य पदार्थ। जैसे ब्रेड, सेंडविच, चीज, बर्गर, चीप्स, पापड़, आदि। इन सभी पदार्थों को पचने में 18 घंटे लगते हैं। अब आप सोचिए कि आपको क्या ज्यादा खाना चाहिए।
 

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