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योग की ये 3 क्रियाएं करेंगी बैक्टीरिया से मुक्त और शरीर में जमा गंदगी साफ

योग की ये 3 क्रियाएं करेंगी बैक्टीरिया से मुक्त और शरीर में जमा गंदगी साफ

अनिरुद्ध जोशी

, सोमवार, 23 मार्च 2020 (11:52 IST)
योग में क्रियाएं बहुत असरकारक होती है, लेकिन इन क्रियाओं को वही व्यक्ति कर सकता है जो योग में पारंगत हो। यह क्रियाएं शरीर में जमी गंदगी के अलावा किसी भी प्रकार के बैक्टीरिया हो उन्हें बाहर निकाल देती हैं। यदि आप किसी योग शिक्षक से यह क्रियाएं सीख लेते हैं तो आपके शरीर में कोईसा भी वायरस पनप नहीं पाएगा और इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होगा।
 
 
1. धौति कर्म- महीन कपड़े की चार अंगुल चौड़ी और सोलह हाथ लंबी पट्टी तैयार कर उसे गरम पानी में उबाल कर धीरे-धीरे खाना चाहिए। खाते-खाते जब पंद्रह हाथ कपड़ा कण्ठ मार्ग से पेट में चला जाए, मात्र एक हाथ बाहर रहे, तब पेट को थोड़ा चलाकर, पुनः धीरे-धीरे उसे पेट से निकाल देना चाहिए। इससे आहार नाल और पेट में जमा गंदगी, कफ आदि बाहर निकल जाते हैं।
 
 
हिदायत- इस क्रिया को किसी योग्य योग शिक्षक से सीख कर ही करें। मन से ना करें। कुछ लोग नींबू और सैंधा नमक मिला पानी पीकर बाधी क्रिया अर्थात वमन क्रिया करने भी शरीर की गंदगी बाहार निकालते हैं। इसे बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं।
 
 
2. बस्ती- योगानुसार बस्ती करने के लिए पहले गणेशक्रिया का अभ्यास करना आवश्यक है। गणेशक्रिया में अपना मध्यम अंगुली में तेल चुपड़कर उसे गुदा- मार्ग में डालकर बार-बार घुमाते हैं। इससे गुदा-मार्ग की गंदगी दूर हो जाती है और गुदा संकोचन और प्रसार का भी अभ्यास हो जाता है।

 
जब यह अभ्यास हो जाए, तब किसी होद या टब में कमर तक पानी में खड़े होकर घुटने को थोड़ा आगे की ओर मोड़कर दोनों हाथों को घुटनों पर दृढ़ता से रखकर फिर गुदा मार्ग से पानी ऊपर की ओर खींचे। आंत और पेट में जब पानी भर जाए तब पेट को थोड़ा इधर-उधर घुमाकर, पुनः गुदा मार्ग से पूरा पानी निकाल दें।

 
3. शंख प्रशालन- कुछ लोग इसकी जगह शंख प्रशालन करते हैं। प्रातःकाल नित्यक्रिया से निवृत्त हो गुनगुना पानी दो-तीन या चार गिलास पीने के बाद वक्रासन, सर्पासन, कटिचक्रासन, विपरीतकरणी, उड्डियान एवं नौली का अभ्यास करें। इससे अपने आप शौच का वेग आता है। शौच से आने पर पुनः उसी प्रकार पानी पीकर उक्त आसनादिकों का अभ्यास कर शौच को जाएं।

 
इस प्रकार बार-बार पानी पीना, आसनादि करना तथा शौच को जाना सात-आठ बार हो जाने पर अंत में जैसा पानी पीते हैं, वैसा ही पानी जब स्वच्छ रूप से शौच में निकलता है, तब पेट पूरा का पूरा धुलकर साफ हो जाता है। इसके बाद कुछ विश्राम कर खिचड़ी, घी, हल्का-सा खाकर पूरा दिन लेटकर आराम किया जाता है। दूसरे दिन से सभी काम पूर्ववत करते रहें। इस क्रिया को दो-तीन महीने में एक बार करने की आवश्यकता होती है।

 
हिदायत- यह क्रिया किसी जानकार व्यक्ति के निर्देशन में ही करना चाहिए। इसके अभ्यास से आंतों में जमा गंदगी दूर होती है। विशेष लाभ यह है कि लिंग-गुदा आदि के सभी रोग सर्वथा समाप्त हो जाते हैं। कई लोग इसकी जगह एनिमा लेकर काम चला लेते हैं।

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