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जानिए देश की पहली ट्रांसवुमन पायलट नैना मेनन की हौसले से लबरेज कहानी

अपनी पहचान से लेकर आसमान में उड़ान तक, खुद के दम पर तय किया चुनैतिपूर्ण सफर

गरिमा मुद्‍गल
शुक्रवार, 20 सितम्बर 2024 (13:40 IST)
india's First Trans Woman Pilot: Naina Menon

Inspiring Story of Naina Menon: एक इंजीनिअर, फिटनेस ट्रेनर, राइटर और एक पायलट; ये सब नैना मेनन की पहचान हैं। लेकिन बतौर नैना, वे खुद को गर्व से एक ट्रांस वुमन के रूप में पहचाना जाना पसंद करती हैं। नैना मेनन आज एक ऐसा नाम हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और हिम्मत के दम पर पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। अपने आत्मविश्वास और अथक मेहनत की बदौलत उन्होंने सफलता की बुलंदियों को छुआ है। 

नैना की ज़िन्दगी को देखकर ये शेर सच होता लगता है:
“ कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं होता,
 एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों। ”


नैना मेनन एक ट्रांस वूमेन हैं, जिन्होंने ज़िन्दगी की तमाम चुनौतियों का डटकर मुकाबला करते हुए सफलता के पायदानों पर कदम रखा। नैना ने अपने हौसलों के दम पर असमान में उड़ने का सपना पूरा किया और आज वे देश की पहली ट्रांस वुमन पायलट के रूप में पहचानी जाती हैं। आज इस आलेख में हम आपको नैना मेनन के जीवन से जुड़ी कई प्रेरक बातों की जानकारी दे रहे हैं। आइये जानते हैं किन संघर्षों से जूझते हुए नैना अपनी मंजिल तक पहुंची हैं।
 
जन्म और पढ़ाई
केरल में जन्मी नैना ने अपनी स्कूल की शिक्षा दिल्ली में पूरी की। इसके बाद  आगे की पढ़ाई के लिए नैना बेंगलुरु चली गईं जहां से उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री को प्राप्त किया।

नैना ने कैसे किया जेंडर आईडेंटिटी की समस्या का सामना
एक पुरुष के रूप में जन्म लेने वाली नैना को समय बीतने के साथ अपने अन्दर छिपे नारित्व का एहसास हुआ। उनके लिए अपनी पहचान के सम्बन्ध में ये एक दुविधा से भरा समय था जिसको समझ पाना उनके लिए आसान नहीं था। नैना को महिलाओं की तरह सजना-संवरना पसंद था। उनके शौक भी लड़कों से मेल नहीं खाते थे और इसी वजह से उनके मन में भावनाओं की उथल-पुथल मची रहती थी। सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि नैना के पास अपने मन की बात साझा करने के लिए कोई नहीं था।
स्कूली शिक्षा के दौरान ही नैना को इस बात का एहसास हो गया था कि वह दूसरों से अलग हैं। लेकिन ये समय उनके लिए बहुत मुश्किलों वाला था। इतने साल तक वे अपनी पहचान को छुपाए बिल्कुल अकेली जी रहीं थीं।
नैना ने जब बेंगलुरु कॉलेज में एडमिशन लिया तब उन्हें सोशल मीडिया के ज़रिए इस बात का पता चला कि वह अकेली नहीं है। उनके जैसे कई लोग हैं जो जेंडर आईडेंटिटी की समस्या से जूझ रहे हैं।

पैरेंट्स ने नहीं दिया साथ तो छोड़ना पड़ा घर
नैना मेनन ने जब अपनी पहचान की सच्चाई अपने माता-पिता के सामने रखी तो उन्हें घरवालों के तीखे सवालों का सामना करना पड़ा। परिवार ने निशा की असलियत को नहीं अपनाया और उनके पास घर और परिजनों को छोड़कर जाने के अलावा कोई भी चारा नहीं बचा। इसके बाद नैना ने अपना घर एवं अपने परिजनों को छोड़ दिया।

नैना मेनन ने अपने अधिकारों के लिए लिया ये अहम फ़ैसला
नैना ने खुद को एक ट्रांस वुमन के रूप में पूरे मन और गर्व से स्वीकार किया।  अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद नैना ने अपनी योग्यता से नौकरी हासिल की। नौकरी के बाद नैना ने अपनी मर्ज़ी से एक महिला की तरह रहना शुरू कर दिया। उनके इस साहसी निर्णय के कारण परिवार और दोस्त एक बार फिर उनसे दूर हो गए।

वेश्यावृत्ति की ओर धकेलना की कोशिश 
नैना को आगे की ज़िन्दगी में भी काफी बुरे अनुभवों का सामना करना पड़ा। लोगों ने उन्हें वेश्यावृत्ति की ओर धकेलना की कोशिश की गई। इन बुरे हालातों में नैना के गुरु ने उनका साथ दिया। उन्होंने नैना को समझा और उनकी योग्यता पर भरोसा कर उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।

नैना ने जाना शिक्षा का महत्व
नैना के जीवन की कठिनाइयों से उन्होंने सीखा कि सिर्फ शिक्षा के सहारे ही वे अपनी बाकी की ज़िन्दगी आत्मनिर्भर होकर जी सकेंगी। यही एक मात्र जरिया है जब वे अपने आत्मसम्मान की रक्षा कर पाएंगी। नैना मानती हैं कि शिक्षा ने उनके हालातों में बदलाव लाने में उनकी मदद की और आज उनकी जो भी पहचान है उसका पूरा श्रेय उनकी एजुकेशन को ही जाता है।

LGBTQIA+ समुदाय से जुड़कर समझी उनकी तकलीफें
सोशल मीडिया के माध्यम से नैना LGBTQIA+ समुदाय से जुड़ गईं। उन्होंने यहां अपने जैसे और लोगों को अपनी ज़िन्दगी में बदलाव लाने और आत्मनिर्भर बन सम्मान का जीवन जीने के लिए प्रेरित किया।

आसमान की ऊँचाइयों को छूकर हासिल की पायलट की नौकरी
नौकरी के दौरान नैना को अहसास हुआ कि उनके जीवन का लक्ष्य आसमान की ऊंचाई है। एयर इंडिया में पायलट की नौकरी पाने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की। आखिरकार नैना की ये मेहनत रंग लायी और वे भारत देश की पहली ट्रांस वुमन महिला पायलट बनीं।

एक ट्रांस वुमन होने के अलावा नैना मेनन को भारत की पहली ट्रांस वुमन पायलट बनने का गौरव प्राप्त है। नैना एक कुशल फिटनेस ट्रेनर और एक सफल मॉडल भी हैं। यही नहीं नैना एक लेखिका के रूप में भी जानी जाती हैं। उन्होंने एक पुस्तक भी लिखी है।

वर्थिंग मी: मेमोयर्स आफ ए ट्रांस वुमन 

iNaina Menon as an Author

नैना की लिखी इस किताब में उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों को साझा किया है। कैसे एक पुरुष के रूप में जन्म लेने वाली नैना ने महिला बनने का सफ़र तय किया और जीवन में हर मुश्किल के बावजूद तमाम उपलब्धियां हासिल कीं, ये सब उन्होंने किताब के ज़रिए दुनिया को बताया। इस किताब में नैना ने ट्रांसवुमन के जीवन से जुड़ी सभी परेशानियों के बारे में विस्तार से लिखा है। कैसे ट्रांसवुमन समुदाय को समाज की मुख्य धारा के साथ जुड़ने के लिए जूझना पड़ता है इस बारे में भी नैना ने खुल कर किताब में बात की है।
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