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यदि धनवान बनना है तो वास्तु के अनुसार घर में करें मात्र 3 काम, कमाल हो जाएगा

यदि धनवान बनना है तो वास्तु के अनुसार घर में करें मात्र 3 काम, कमाल हो जाएगा

WD Feature Desk

, सोमवार, 24 जून 2024 (16:38 IST)
Astrology Vastu Tips: हर कोई चहता है कि घर में धन समृद्धि बनी रहे और धन की आवक बरकरार रहे। यदि आप चाहते हैं खूब धन दौलत, घर में रहे बरकत बरकरार और कभी भी नहीं हो धन की कमी तो वास्तु और फेंगशुई के अनुसार घर में रखें मात्र 10 ऐसी वस्तुएं तो करती है धन को आकर्षित। यहां पर कई चीजों को एक साथ भी लिखा गया है। आप उनमें से किसी एक का चयन कर सकते हैं।ALSO READ: Vastu Tips : वास्तु शास्त्र के ऐसे 5 चमत्कारिक उपाय कि जीवन में मिलेगा अपार धन
 
  • पूरे घर को ऑफ वाइड कलर से पुतवा लें।
  • घर में अतिथि कक्ष में हंस के जोड़ों की तस्वीर लगाएं।
  • रोज गुड़ और घी मिलाकर सुबह शाम को धूप दें।
 
1. एकाक्षी नारियल-खड़ी हल्दी : नारियल श्रीफल कहा जाता है। 'श्री' अर्थात् लक्ष्मी, 'एकाक्षी नारियल' को साक्षात् लक्ष्मी का रूप माना गया है। खड़ी हल्दी बृहस्पति ग्रह को शुभता प्रदान करती है। हल्दी की गांठ पर मौली लपेट कर पूजा स्थल या तिजोरी में रखने से श्रीहरि विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।ALSO READ: वास्तु की ये 5 टिप्स आजमाएं, माता लक्ष्मी बरसाएंगी धन
 
2. कुबेर पौधा : धन को आकर्षित करने के लिए आप अपने घरों में मनी प्लांट लगाते हैं। मनी प्लांट के अलावा एक और पौधा हो हैं जो घर में सुख, शांति और समृद्धि को बढ़ाते हैं, जिसे कुबेर का पौधा कहते हैं। कुबेर के पौधे को कुबेराक्षी के नाम से भी जाना जाता है। कुबेर का पौधा भीतर से हरे रंग का और बाहर से बैंगनी रंग का होता है। इसकी पत्तियां मनी प्लांट की अपेक्षा छोटी और आगे से गोल होती हैं। कुछ लोग इसे क्रसुला ओवाटा का पौधा कहते हैं। हालांकि दोनों में बहुत ही मामूली सा अंतर माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने इस पौधे को कुबेर देव को भेंट किया था इसीलिए इसका नाम कुबेर पौधा है।ALSO READ: Vastu Tips : 5 भयंकर वास्तु दोष से जीवन हो जाता है बर्बाद, भले ही उच्च के ग्रह हों
 
3. मंगल कलश-: कलश को सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसे ईशान कोण में अष्टदल कमल बनाकर स्थापित किया जाता है। इसमें जलभरकर उसमें तांबे का सिक्का डालकर फिर आम के पत्ते डालकर उसके मुख पर नारियल रखा जाता है। कलश पर रोली, स्वस्तिक का चिह्न बनाकर, उसके गले पर मौली (नाड़ा) बांधी जाती है।

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