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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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यदि घर मंदिर के पास है या बनाना चाहते हैं तो जानिए 15 वास्तु टिप्स

यदि घर मंदिर के पास है या बनाना चाहते हैं तो जानिए 15 वास्तु टिप्स

अनिरुद्ध जोशी

जो कोई वास्तुशास्त्री यह कहता है कि मंदिर के पास नहीं रहना चाहिए उसे यह भी समझना होगा कि तीर्थ स्थलों में असंख्य मंदिर होते हैं और वहां के घर या मकान सभी किसी न किसी मंदिर के पास ही होते हैं। उन सभी लोगों का जीवन बुरा नहीं है बल्कि सामान्य जीवन की तरह ही चल रहा है। इससे यह सिद्ध होता है कि मंदिर के पास रहना बुरा नहीं है।
 
 
मंदिर के पास आध्यात्मिक वातावरण रहने के कारण मन और चित्त में निर्मलता बनी रहती है। दरअसल, मंदिर के पास आपका घर होने से आपके भीतर आध्यात्मिक बल बढ़ेगा और यह आपको हर संकट से बचाएगा। घर मंदिर के पास हो तो डरने की जरूरत नहीं, बल्कि मंदिर के पास ही घर बनाना चाहिए। बस, घर बनाते वक्त किसी वास्तुशास्त्री से मिलकर यह जान लें कि घर मंदिर के किस दिशा में बनाएं, कितनी दूरी पर बनाएं या यदि कोई छाया वेध हो रहा है तो उसका क्या समाधान है? यह जान लें।
 
 
1. मंदिर के पास रहने का आपको सिर्फ एक ही नुकसान हो सकता और वह यह कि आपको दिनभर मंदिर की गतिविधियों का सामना करना होगा। यदि आप शांतिप्रिय हैं तो मंदिर की घंटियों को अपने लिए शांति का साधन बना सकते हैं या अशांति की, यह आपके दिमाग पर निर्भर करता है। अक्सर लोग यह तर्क देते हैं कि धार्मिक स्थानों के आसपास रहने वाले वहां बजने वाली घंटी, शंख, ध्वनि विस्तारक यंत्र, शोरगुल, भीड़ इत्यादि के कारण परेशान रहते हैं।
 
2. कहते हैं कि प्रात:काल मंदिर की 'छाया' भवन पर पड़ना 'शुभ नहीं' होता है। ऐसा भवन देवताओं की कृपा से वंचित रह जाता है। दरअसल, इसके पीछे वैज्ञानिक कारण को जानना जरूरी है। मंदिर ही नहीं, कोई भी यदि बड़ा भवन है और उसकी छाया प्रात:काल आपके भवन पर पड़ रही है तो आप सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने से वंचित रह जाएंगे।
 
3. मंदिर ही नहीं, घर पर किसी वृक्ष, भवन, ध्वजा, पहाड़ी, स्तूप, खंभे आदि की छाया 2 पहर से ज्यादा लगभग 6 घंटे मकान पर पड़ती है तो वास्तुशास्त्र में उसे छाया वेध कहते हैं। अत: अगर मंदिर की ध्वजा की ऊंचाई से दो गुनी जगह छोड़कर घर बना हो तो दोष नहीं लगता। यहां यह जानना जरूरी है कि सिर्फ मंदिर के कारण दोष उत्पन्न नहीं होता, बल्कि आपके घर के पास बने ऊंचे भवनों की दिशा के कारण भी दोष होता है।
 
4. अत: मंदिर के पास घर का होना अशुभ नहीं है बल्कि यह तय होना चाहिए कि मंदिर की किस दिशा में आपका घर है और कितनी दूरी पर है? यह भी कहा जाता है कि शिवजी के मंदिर से लगभग 750 मीटर की दूरी में निवास हो तो कष्ट होता है। विष्णु मंदिर के 30 फीट के घेरे में मकान हो तो अमंगल होता है। देवी मंदिर के 180 मीटर में घर हो तो रोगों से पीड़ा होती है और हनुमानजी के मंदिर से 120 मीटर में निवास होने पर तो दोष होता है। इसका भी वास्तुशास्त्री समाधान बताते हैं कि फिर कितनी पास या दूर रहना चाहिए? यह निर्भर करता है मंदिर की ऊंचाई और चौड़ाई पर।
 
5. समरांगन वास्तुशास्त्र के सिद्धांत के अनुसार भवन की किसी भी दिशा में 300 कदम की दूरी पर स्थित शिव मंदिर के प्रभाव अशुभ होते हैं। भवन के बाईं ओर स्थित दुर्गा, गायत्री, लक्ष्मी या किसी अन्य देवी का मंदिर अशुभ होता है। भवन के पृष्ठ भाग में भगवान विष्णु या उनके किसी अवतार का मंदिर होना भी गंभीर वास्तुदोष होता है। रुद्रावतार भगवान हनुमानजी का मंदिर भी शिव मंदिर की तरह वास्तु दोषकारक होता है। भगवान भैरव, नाग देवता, सती माता, शीतलामाता आदि के मंदिर यदि भूमि और गृहस्वामी के कद से कुछ छोटे हों, तो उनका वास्तुदोष नहीं होता।
 
6. घर की जिस दिशा में शिव मंदिर हो, उस दिशा की ओर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करने से वास्तुदोष दूर हो जाता है। लेकिन यदि शिव मंदिर घर के ठीक सामने हो, तो घर की मुख्य दहलीज में तांबे का सर्प गाड़ देना चाहिए।
 
7. घर की जिस दिशा में शिव मंदिर हो, उस दिशा की ओर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करने से वास्तुदोष दूर हो जाता है।
 
8. यदि शिव मंदिर घर के ठीक सामने हो, तो घर की मुख्य दहलीज में तांबे का सर्प गाड़ देना चाहिए। 
 
9. यदि भगवान भैरवनाथ का मंदिर यदि ठीक सामने हो तो कौवों को अपने मुख्य द्वार पर रोज रोटी खिलानी चाहिए।
 
10. यदि किसी देवी मंदिर के कारण उत्पन्न वास्तुदोष है तो उस देवी के अस्त्र के प्रतीक की स्थापना प्रमुख द्वार पर करनी चाहिए अथवा उसका चित्र लगाया जा सकता है। यदि देवी प्रतिमा अस्त्रहीन हो, तो देवी के वाहन का प्रतीक द्वार पर लगाएं।
 
11. भगवती लक्ष्मी का मंदिर हो, तो द्वार पर कमल का चित्र बनाएं या भगवान विष्णु का चित्र लगाकर उन्हें नित्य कमल गट्टे की माला पहनाएं।
 
12. यदि मंदिर भगवान विष्णु का हो, तो भवन के ईशान कोण में चांदी या तांबे के आधार पर दक्षिणावर्ती शंख की स्थापना कर उसमें नियमित जल भरना व उसका पूजन करना चाहिए। यदि प्रतिमा चतुर्भुज की हो, तो मुख्य द्वार पर गृहस्वामी के अंगूठे के बराबर पीतल की गदा भी लगानी चाहिए।
 
13. यदि भगवान विष्णु के अवतार राम का मंदिर हो, तो घर के मुख्य द्वार पर तीरविहीन धनुष का दिव्य चित्र बनाना चाहिए।
 
14. भगवान कृष्ण का मंदिर हो, तो ऐसी स्थिति में एक गोलाकार चुंबक को सुदर्शन चक्र के रूप में प्रतिष्ठित करके स्थापित करना चाहिए।
 
15. यदि किसी अन्य अवतार का मंदिर हो, तो मुख्य द्वार पर पंचमुखी हनुमान का चित्र लगाना चाहिए। पंचमुखी हनुमान का एक अच्‍छा-सा चित्र सभी तरह के वास्तु का शमन कर देता है।

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