वसंत पंचमी पर नन्हे मासूम बच्चों को अक्षर अभ्यास करवाने से वे कुशाग्र बुद्धि के होते हैं। वसंत पंचमी के दिन छह माह तक के बच्चों को पहली बार अन्न चखाने की परंपरा भी निभाई जाती है। इसे अन्न प्राशन संस्कार यानी बच्चे को पहली बार अन्न खिलाना कहते हैं।
इस दिन दूध पीते बच्चे को नए कपड़े पहनाकर, चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर और उस पर बच्चे को बैठाकर मां सरस्वती की आराधना करके चांदी के चम्मच से खीर खिलाएं। बच्चे की जीभ पर ऐं, श्री या ॐ लिखें। वसंत पंचमी पर छोटे बच्चों को अक्षर अभ्यास करवाने से वह कुशाग्र बुद्धि का होता है।
इस दिन माता-पिता अपने बच्चे को गोद में लेकर चांदी या अनार की कलम से शहद से बच्चे की जीभ पर ऐं, श्री या ॐ लिखें। इसके बाद सरस्वती का पूजन करें।
बहुत छोटे बच्चों से चावल से भरी थाली पर अंगुली से इन 3 में से कोई एक अक्षर लिखवाएं।
काले रंग की पट्टी व चाक (खडिय़ा) का भी पूजन करवाएं। इस दिन सरस्वती स्वरूपा कलम व पुस्तक का पूजन करना चाहिए।
सरस्वती के मूल मंत्र श्री ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा से देवी का पूजन व स्मरण करना चाहिए। जो लोग उच्च शिक्षा में सफल होना चाहते हैं, उन्हें सरस्वती पूजा वाले दिन बच्चे के हाथ से किसी ब्राह्मण को वेदशास्त्र का दान करवाना चाहिए।